ईमान, अख़लाक़ और अमल की पाकीज़ा जन्नत में दाख़िल होना, नामुनासिब अमल, नापसंदीदा अख़लाक़ और आदतों, ग़लत आस्था व अक़ीदे के जहन्नम से निकलना, ईदे फ़ित्र की दुआ का लक्ष्य है।