प्यारे नौजवानो और बच्चो! आप सब अपने मुल्क में अपना रोल तय कर सकते हैं। एक रोल, हुसैन फ़हमीदे (13 साल का बहादुर ईरानी बच्चा जिसने सद्दाम के ज़रिए थोपी गई जंग में दुश्मन के टैंकों की प्रगति रोकने के लिए अपने जिस्म पर विस्फोटक लगाए और टैंक से जा टकराया।) का रोल था; किसी दिन दूसरे रोल होते हैं। मज़हब, कलचर, सियासत, अख़लाक़ के विषयों, मुस्तक़बिल संवारने, उम्मीद जगाने, अपने आस-पास के माहौल को ख़ुशगवार बनाने, इबादत और इस्लामी शरीयत की फ़ील्ड में -जो शख़्स और समाज की सरबुलंदी का सरमाया है- जिद्दो जेहद की जा सकती है। इन मैदानों में जान देने की बात नहीं है; लेकिन हिम्मत, इरादा और ठोस फ़ैसले की ज़रूरत है। आप सभी स्कूलों, यूनिवर्सिटियों, दफ़्तर वग़ैरह में रोल निभा सकते हैं। ज़िन्दादिल, ख़ुश, आशावादी और पाकदामन जवान तारीख़ के एक दौर को संवार सकता है। यही वजह है कि ज़ायोनियों, साम्राज्यवादियों, बड़ी बड़ी कंपनियों ने दुनिया के मुल्कों के जवानों पर बरसों काम किया ताकि जवान नस्लों को बर्बाद कर दें; उनके भीतर इरादा और उम्मीद को ख़त्म कर दें; भविष्य को उनकी आँखों में तारीक दिखाएं; उन्हें भविष्य की ओर से मायूस करें और अख़लाक़ी व फ़िक्री पेचीदगियों में फंसा दें। जो कुछ आप दुनिया में देखते हैं वह इत्तेफ़ाक़ी बात नहीं है।

इमाम ख़ामेनेई

30-10-1998