अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम ने इस मुद्दत में (अपनी हुकूमत के दौर में) यह दिखा दिया कि इस्लामी उसूल और इस्लामी वैल्यूज़ जो इस्लाम को अलग थलग करने के दौर में और इस्लामी समाज के छोटे से दौर में वजूद में आयी थीं, आराम व राहत, ताक़त, तरक़्क़ी और इस्लामी समाज की भौतिक तरक़्क़ी के दौर में भी लागू होने के क़ाबिल है। अगर हम इस प्वाइंट पर ध्यान दें, जो बहुत ही अहम है। हमारे आज के दौर के मुद्दे भी यही सब हैं। इस्लामी उसूल, इस्लामी अदालत, इंसानी इज़्ज़त, जेहाद का ज़ज़्बा, इस्लामी तरक़्क़ी, इस्लामी अख़लाक और वैल्यूज़ की बुनियादें, पैग़म्बर के दौर में अल्लाह की पैग़ाम की शक्ल में नाज़िल हुयीं और जहां तक मुमकिन था पैग़म्बर के ज़रिए इस्लामी समाज में लागू हुयीं। 

इमाम ख़ामेनेई

5/11/2004