मैं आप अज़ीज़ों को नसीहत करता हूं कि सहीफ़ए सज्जादिया से उन्स पैदा कीजिए, सहीफ़ए सज्जादिया की पांचवीं दुआ बार-बार पढ़िए...सहीफ़ए सज्जादिया की सभी दुआएं ऐसी ही हैं। हमें मौत की याद दिलाती हैं, हमें ग़लतियों से रोकती हैं, अल्लाह के नेज़ाम की, पैग़म्बरे इस्लाम, उनके साथियों और अल्लाह के फ़रिश्तों की रूहानी अज़मत को हमारे सामने पेश करती हैं, ये सब चीज़ें हमे मुस्तहकम बनाती हैं। हर मैदान में, अंदर से मज़बूती हमारे लिए बहुत बुनियादी चीज़ होती है। अगर हमारा भीतरी ढांचा -चाहे निजी सतह पर हमारे भीतर, हमारी रूह और फ़िक्र के भीतर, चाहे हमारे पूरे समाज के भीतर मज़बूती है- मज़बूत ढांचा है, तो कोई चीज़ उसके मुक़ाबले में नहीं टिक सकती।

इमाम ख़ामेनेई

28/12/2011