इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने बारहवीं संसद के प्रतिनिधियों और स्पीकर से आज 11 जून 2025 की सुबह मुलाक़ात की।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में हुयी इस मुलाक़ात के आग़ाज में, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने ईदे ग़दीर को पूरे इस्लामी जगत के लिए ऐसी बड़ी हक़ीक़त बताया जिसमें इस्लाम की पहचान के बहुत गहरे अर्थ छिपे हुए हैं और इस मुबारक दिन और इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस की बधाई दी।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने दुनिया में संसदों की क़ानूनी शान को एक दूसरे से मिलती जुलती और इसका स्रोत क़ानून की अज़मत को बताया और कहा कि क़ानून, इंसान के सामाजिक जीवन की मूल शर्त है और तार्किक लेहाज़ से जो क़ानून सामूहिक विचार विमर्श और क़ौम के चुने हुए प्रतिनिधियों के ज़रिए बनता है, उसकी अहमियत और मूल्य बहुत ज़्यादा होता है।
उन्होंने दुनिया की संसदों के वास्तविक प्रभाव को, उनके क़ानूनी भार के विपरीत, अलग अलग बताया और कहा कि उस संसद की हैसियत जो "धर्म पर आधारित है, नेक और ईमानदार लोगों से बनी है, उसका लक्ष्य न्याय और कमज़ोरों की मदद करना और धौंस देने वालों के ख़िलाफ़ डटना है" उस संसद की तुलना में जो "ग़ैर ज़िम्मेदार लोगों पर आधारित है, उसका काम ज़ुल्म, भेदभाव और सामाजिक अंतर को बढ़ावा देने में मदद करना और ग़ज़ा में क़त्ले आम करने वाले जैसे अपराधियों का सपोर्ट करना है" ज़मीन से आसमान जितना अंतर रखती है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने जनाब क़ालीबाफ़ के दोबारा संसद सभापति बनने पर उन्हें बधाई दी और संसद की शान की रक्षा के लिए भले-बुरे बिंदुओं को बयान किया और कहा कि सांसद, ख़ुद को अल्लाह और क़ानून के सामने जवाबदेह समझे, अल्लाह की ख़ुशी हासिल करने और मुल्क के हितों को पूरा करने की कोशिश करे और हितों के टकराव के सामने न झुके।
उन्होंने सांसदों की बातों के प्रभाव की अहमियत की ओर इशारा करते हुए कहा कि जो बात आप संसद के पटल पर बोलते हैं वह आशाजनक और सुकून पहुंचाने वाली हो।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इसी तरह इस बात पर बल दिया कि सांसदों की बातें तर्क और इस्लामी इंक़ेलाब के उसूलों की पाबंदी पर आधारित हों और कहा सांसदों की बातों में उसूलों व मूल उद्देश्यों के प्रति पाबंदी और राष्ट्रीय संकल्प, ताक़त और इरादा नुमायां होना चाहिए।
उन्होंने बड़ी ताक़तों की धौंस धमकियों के मुक़ाबले में ईरानी क़ौम की बेमिसाल दृढ़ता और इमाम ख़ुमैनी की बरसी तथा 10 फ़रवरी की रैलियों में अवाम की भरपूर भागीदारी को राष्ट्रीय ताक़त और संकल्प की निशानियों में गिनवाया और कहा कि यह ताक़त क़ानून और व्यक्तियों को क़ुबूल करने या रद्द करने में प्रतिनिधियों के स्टैंड में नज़र आनी चाहिए अलबत्ता यह ख़ूबी बड़ी हद तक संसद में मौजूद है।
उन्होंने संसद के इंक़ेलाबी व्यवहार को, उसकी शान की रक्षा के लिए ज़रूरी तत्वों में बताया और कहा कि यह संसद, इंक़ेलाब की संसद है लेकिन इंक़ेलाबी होना, सिर्फ़ आवाज़ बुलंद करना नहीं है बल्कि इसके लिए सावधानी बरतने की ज़रूरत है कि ग़लती न होने पाए।
उन्होंने इंक़ेलाबी होने का मतलब, इंक़ेलाब के लक्ष्य की राह में आगे बढ़ना, इस राह में ग़लती से बचना, अक़ीदे को सही और सम्मानीय ढंग से व्यक्त करने में बहादुरी और स्पष्ट रवैया अपनाना, काम के मामले में व्यक्तिगत हितों और राजनैति झुकाव से प्रभावित न होना बताया और कहा हम सबको अल्लाह देख रहा है और इस नज़रिए के साथ उसकी ख़ुशी हासिल करने की कोशिश करें और इंक़ेलाबी दृष्टिकोण को बहादुरी और दृढ़ता के साथ बयान करें और फ़ैसलों में उसे अपनाएं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस्लामी गणराज्य के ख़िलाफ़ इल्ज़ाम और विवेकहीन बयानों पर ठोस व संगठित प्रतिक्रिया को सांसदों का एक और फ़रीज़ा और इंक़ेलाबी होने की एक और मिसाल बताया।
इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में बारहवीं संसद के सभापति जनाब क़ालीबाफ़ ने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए स्ट्रैटिजिक ऐक्शन क़ानून बनाए जाने और मसक़त वार्ता के दौरान मुल्क के कूटनैतिक तंत्र के सम्मानीय स्टैंड को संसद की ओर से समर्थन दिए जाने का ज़िक्र किया और "संसदीय कूटनीति के मंच पर प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी", "ट्रेड पर टैक्स लगाने वाले क़ानून का पारित होना", "एआई से संबंधित राष्ट्रीय योजना का पारित होना", "सांसदों के आचार संहिता पर नज़र रखने वाले क़ानून में सुधार" और "मुल्क की वित्तीय व्यवस्था की बजटिंग और निगरानी के क्षेत्र को स्मार्ट तरीक़े से संगठित करना" बारहवीं संसद के काम गिनवाए।