आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने आज रविवार की सुबह तेहरान में शहीदों के सैकड़ों माँ-बाप और बीवियों से मुलाक़ात में, शहीदों को मुल्क की तारीख़ का महानायक क़रार दिया और क़ुरआन, जेहाद, इंसानियत और सामाजिक पहलुओं से शहीदों के घरवालों के उच्च स्थान की व्याख्या की। उन्होंने कला के क्षेत्र में सरगर्म लोगों और मीडिया से शहीदों की याद को ज़िन्दा रखने और नौजवान नस्ल के लिए आइडियल तैयार करने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा कोशिश करने की अपील की।
उन्होंने क़ुरआन की ओर से मूल्यों के निर्धारण के लेहाज़ से शहीदों के माँ-बाप और बीवियों को दूसरे मोमिनों से ज़्यादा श्रेष्ठ बताया और ऐसे धैर्य करने वाले बताया जिन पर अल्लाह दुरूद व सलाम भेजता है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने माँ-बाप की ओर से अपने प्यारों की क़ुरबानी दिए जाने और शहीदों की बीवियों की ओर से अपने शौहरों की आशिक़ाना मोहब्बत के बलिदान को अल्लाह की राह में भलाई का सबसे ऊंचा मरतबा बताया और कहा कि शहीदों के घर वाले, इच्छाओं से जेहाद का सबसे स्पष्ट नमूना हैं क्योंकि उन्होंने अपने बच्चों और शौहरों से अपनी मोहब्बत से लड़कर और उस पर क़ाबू पाकर उन्हें जेहाद के मैदान में भेजा।
उन्होंने उन सभी लोगों को, जो पाक डिफ़ेन्स के सिपाहियों की किसी न किसी तरह मदद करते थे, उनके जेहाद में भागीदार बताया और कहा कि इन सब में पाक डिफ़ेन्स की फ़तह में उन लोगों का रोल सबसे ज़्यादा नुमायां है जिन्होंने अल्लाह की राह में जेहाद में अपने जिगर के टुकड़ों और प्रिय शौहरों की मदद की और उनका साथ दिया और बड़े अफ़सोस की बात है कि शहीदों के माँ-बाप और बीवियों के इस अज़ीम जेहाद के संबंध में अब तक लापरवाही बरती गयी है।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने कहा कि शहीदों के घर वालों को अपने प्यारों का दाग़ उठाने की वजह से कभी न ख़त्म होने वाली पीड़ा मिली लेकिन इसके साथ ही उन्हें महानता व इज़्ज़त भी मिली। उन्होंने कहा कि इस पहलू से भी अल्लाह इन सब्र और शुक्र करने वाले इंसानों को ऊंचा स्थान अता करता है।
उन्होंने पाक डिफ़ेन्स, राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा, अहलेबैत के रौज़ों की रक्षा सहित पिछले साल की मुख़्तलिफ़ घटनाओं से मुक़ाबला करने के दौरान अपनी जान क़ुरबान करने वाले शहीदों के माँ-बाप और बीवियों को शहीदों की यादों का बेमिसाल ख़ज़ाना क़रार दिया और कहा कि इन महानायकों का व्यवाहर, अख़लाक़, जीवन शैली और ज़िन्दगी के हालात, समाज ख़ास तौर पर बच्चों और नौजवानों के लिए मार्गदर्शक हैं और इस सिलसिले में शहीदों के घर वालों की यादों और उनके वाक़यों को छपवाना, बहुत प्रभावी रोल अदा करेगा।
उन्होंने इस्लामी इंक़ेलाब को ईरान के नैतिक, धार्मिक और राजनैतिक पतन की खाई में गिरने से बचाने वाला बताया और कहा कि इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी के बाद भी मुल्क के नौजवान, सभी घटनाओं के सामने सीना तान कर डट गए और मुख़्तलिफ़ साज़िशों में दुश्मन को धूल चटा कर और ख़तरों को अवसर में बदल कर उन्होंने ईरान का सिर फ़ख़्र से ऊंचा कर दिया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अपने ख़िताब के आख़िरी हिस्से में मीडिया और कला के सभी क्षेत्रों के कलाकारों को शहीदों की यादों और उनके क़िस्सों को कलात्मक अंदाज़ में आम करने की अपील की और कहा कि हालिया बरसों में किताबों, फ़िल्मों और कुछ दूसरे विभागों में काफ़ी अच्छा काम हुआ है लेकिन ज़ितने बड़े काम होने चाहिए, उनकी तुलना में ये काम कम हैं।