अबू हम्ज़ा सुमाली नामक दुआ आत्मज्ञान से भरी हुई है, अरफ़ा नामक दुआ आत्मज्ञान से भरी हुई है; मैं पूरे विश्वास से आप अज़ीज़ लोगों से अर्ज़ कर रहा हूं और आप इस बात को मान लीजिए कि जो कोई भी मिसाल के तौर पर दुआए अरफ़ा को उसके मानी पर ध्यान देते हुए पढ़े, जिस वक़्त इस दुआ को पढ़ना शुरू करता है उस वक़्त से लेकर अंत तक पहुंचते पहुंचते पूरी तरह बदल जाता है उस व्यक्ति की तुलना में जो दुआ पढ़ने से पहले था। चाहे उससे पहले दस बार इस दुआ को पढ़ चुका हो। इस दुआ में ऐसा आत्मज्ञान है। शिक्षा विभाग और पाठ्यक्रम तैयार करने वाली परिषद के सदस्यों से मुलाक़ात में दी गई स्पीच का एक भाग इमाम ख़ामेनेई 16/01/2001