उस वक़्त की ज़ालिम सरकार, पैग़म्बर के अहलेबैत की इस महान हस्ती को इससे ज़्यादा बर्दाश्त करने पर तैयार क्यों नहीं हुई? इस सवाल का जवाब हमें इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम के व्यक्तित्व और उनकी ज़िंदगी से मिलता है। वो ज़ुल्म और असत्य के ख़िलाफ़ संघर्ष का आईना थे, वो अल्लाह के शासन की स्थापना की दावत देने वाले थे, वो अल्लाह और क़ुरआन के लिए संघर्ष करते रहते थे, वो दुनिया की ताक़तों से कभी भी नहीं डरे।

 

8 सितम्बर 1983

इमाम ख़ामेनेई