"ज़्यादातर लोग ग़लती से (तेहरान के क़ब्रिस्तान) बहिश्ते ज़हरा में इमाम ख़ुमैनी के ख़ेताब को 15 साल की जिलावतनी से वतन वापसी के बाद उनकी पहली स्पीच समझते हैं लेकिन इस्लामी इंक़ेलाब के महान नेता (इमाम ख़ुमैनी) ने पहली स्पीच मेहराबाद एयरपोर्ट पर उन लोगों के बीच दी जो उनका स्वागत करने आए थे। शुरू में एक नौजवान क़ारी ने क़ुरआन मजीद की कुछ आयतों की तिलावत की, फिर एक ग्रुप ने "ख़ुमैनी ऐ इमाम" नामक अमर तराना पढ़ा और उसके बाद इमाम ख़ुमैनी ने संक्षेप में ख़ेताब किया और कहा जा सकता है कि उस संक्षिप्त सी स्पीच का सबसे अहम बिन्दु एकता की अहमियत और फूट डालने वालों की साज़िश की ओर से चेतावनी है। उन्होंने उस स्पीच में दो बार साफ़ लफ़्ज़ों में "वहदते कलमे" या एकता को इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी का सबब बताया और कहा कि हमें क़ौम के सभी तबक़ों का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि यहाँ तक यह कामयाबी एकता के ज़रिये ही रही है। सभी मुसलमानों की एकता, मुसलमानों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के बीच एकता, मदरसों और यूनिवर्सिटियों के बीच एकता, राजनैतिक धड़ों और धर्मगुरुओं के बीच एकता। हम सभी को यह बात समझ जानी चाहिए कि एकता, कामयाबी का राज़ है और हमें कामयाबी के इस राज़ को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए और ख़ुदा न करे शैतान आपके बीच फूट डाल दें। "