1445 हिजरी क़मरी के हज के लिए रहबरे इंक़ेलाब के पैग़ाम के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस तरह हैं:

हज के बारे में क़ुरआन की आयतों पर ग़ौर व फ़िक्र और इस बेनज़ीर फ़रीज़े की क्रियाओं पर चिंतन, इन चीज़ों और हज की जटिल क्रियाओं के इन्हीं जैसे रहस्यों को हम पर ज़ाहिर कर देता है।

 

हज अदा करने वाले आप भाई और बहन इस वक़्त इन रौशन हक़ीक़तों और शिक्षाओं के अभ्यास के मैदान में हैं। अपनी सोच और अपने अमल को इसके क़रीब से क़रीबतर कीजिए और इन उच्च अर्थों से मिश्रित और नए सिरे से हासिल हुयी पहचान के साथ घर आइये। यह आपके हज के सफ़र की हक़ीक़ी व मूल्यवान सौग़ात है।

इस साल ‘बराअत’ हज के मौसम और हज की ‘मीक़ात’ से आगे बढ़कर पूरी दुनिया के सभी मुसलमान मुल्कों और शहरों में जारी रहनी चाहिए। यह सिर्फ़ हाजियों तक सीमित न रहे बल्कि हर शख़्स इसे अंजाम दे।