बुधवार को तेहारन के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में ग्यारहवीं मोहर्रम की मजलिस हुयी। यह मजलिस इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम की शबे शहादत में हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई और हुसैनी अज़ादारों ने शिरकत की।
बुधवार को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम की शबे शहादत की मजलिस हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की। यह मजलिसे अज़ा के सिलसिले की आख़िरी मजलिस थी।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में शबे आशूर को मजलिस हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के कारनामे का मक़सद यह था कि वह हक़ बात और हक़ की राह को लागू करें और उन सभी ताक़तों के मुक़ाबले में डट जाएं, जो इस राह के ख़िलाफ़ आपस में मिल गयी थीं।
24/09/1985
शहीद मुतह्हरी इंक़ेलाब से बर्सों पहले चीख़ चीख़ के कहते थेः “आज के दौर का शिम्र –उस वक़्त के इस्राईली प्रधानमंत्री का नाम लेते थे- फ़ुलां है।” हक़ीक़त भी यही है। हम शिम्र पर लानत भेजते हें ताकि शिम्र बनने और शिम्र जैसा अमल करने की जड़ इस दुनिया में काट दी जाए।
09/01/2008
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मंगलवार 10 मुहर्रम की रात को शामे ग़रीबां की मजलिस का आयोजन हुआ जिसमें रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में रविवार 8 मोहर्रम की रात को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की अज़ादारी के सिलसिले की तीसरी मजलिस का आयोजन हुआ, जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में रविवार 8 मुहर्रम की रात को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की मजलिस का आयोजन हुआ जिसमें रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की।
हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा की नज़रों में ये सारी मुसीबतें ख़ूबसूरत हैं क्योंकि ये अल्लाह की तरफ़ से हैं, क्योंकि उसके लिए और उसकी राह में हैं।
08/02/2010
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में शनिवार 7 मुहर्रम की रात को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की दूसरी मजलिस का आयोजन हुआ जिसमें रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई और अज़ादारों ने शिरकत की।
जो क़ौम कमज़ोरी और अपमान को क़ुबूल कर ले और पाक मक़सद की राह में अपने किसी शख़्स की उंगली कटाने के लिए भी तैयार न हो, उसका पतन निश्चित है और अपमान उसका मुक़द्दर है।
30/03/1985
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में शुक्रवार 6 मोहर्रम की रात को शहीदों के सरदार इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की पहली मजलिस का आयोजन हुआ, जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शिरकत की।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में जुमा 6 मुहर्रम की रात से इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की मजलिसों और अज़ादारी का सिलसिला शुरू हो गया जिसमें रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई भी शरीक हुए।
शहीद मुतह्हरी इंक़ेलाब से बर्सों पहले चीख़ चीख़ के कहते थेः “आज के दौर का शिम्र –उस वक़्त के इस्राईली प्रधानमंत्री का नाम लेते थे- फ़ुलां है।” हक़ीक़त भी यही है। हम शिम्र पर लानत भेजते हें ताकि शिम्र बनने और शिम्र जैसा अमल करने की जड़ इस दुनिया में काट दी जाए।
9 जनवरी 2008
शहीद मुतह्हरी इंक़ेलाब से बर्सों पहले चीख़ चीख़ के कहते थेः “आज के दौर का शिम्र –उस वक़्त के इस्राईली प्रधानमंत्री का नाम लेते थे- फ़ुलां है।” हक़ीक़त भी यही है। हम शिम्र पर लानत भेजते हें ताकि शिम्र बनने और शिम्र जैसा अमल करने की जड़ इस दुनिया में काट दी जाए।
9 जनवरी 2008
इमाम हुसैन का अभियान, सम्मान का अभियान था, यानी हक़ का सम्मान, धर्म का सम्मान, इमामत का सम्मान और उस राह का सम्मान जिसे पैग़म्बरों ने दिखाया था।
29/03/2002
इस्लाम का बाक़ी रहना, अल्लाह के रास्ते का बाक़ी रहना, अल्लाह के बंदों की ओर से इस राह पर चलते रहने पर निर्भर है, इस राह ने इमाम हुसैन बिन अली अलैहिस्सलाम और हज़रत ज़ैनब के कारनामे से मदद और ऊर्जा हासिल की है।
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम (उन पर हमारी जानें क़ुर्बान) की नज़रे करम की बरकत से इस साल का मोहर्रम अक़ीदत के जोश से भरा रहा। वह काम जो अल्लाह के लिए किया जाता है, जिसका मक़सद पाक होता है, अल्लाह उसमें मदद करता है।
फ़्लोटीला 86 के स्टाफ़ के हर सदस्य का दिल की गहराई से शुक्रिया अदा करता हूं जिसने बड़ा मिशन पूरा किया और धरती का चक्कर लगाया। इसी तरह आपके परिवारों का भी शुक्रगुज़ार हूं। जो काम आपने किया वो बड़ा गौरव है। यह कारनामा मुल्क की नौसेना के इतिहास में पहले कभी नहीं अंजाम पाया।
इमाम ख़ामेनेई
6 अगस्त 2023
मातमी अंजुमनें, मोहब्बते अहलेबैत के मरकज़ कि इर्द-गिर्द जमा हो जाने वाली इकाई का नाम है। अंजुमनों की बुनियाद हमारे इमामों के ज़माने में रखी गई।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई की रहनुमा रिसर्च
इमाम हुसैन (अ) के दुश्मनों का लक्ष्य यह था कि इस्लाम और पैग़म्बरे इस्लाम की यादगारों को ज़मीन से मिटा दें। उन्हें हार हुयी क्योंकि ऐसा नहीं हो सका। इमाम हुसैन (अ) का मक़सद यह था कि इस्लाम के दुश्मनों की इस साज़िश को, जिन्होंने हर जगह को अपने रंग में रंग लिया था या रंगना चाहते थे, नाकाम बना दिया जाए।
बड़ी हस्तियों के सही रास्ते से हटने की शुरुआत
हक़ के समर्थक ख़वास की लड़खड़ाहट का दौर पैग़म्बर के इंतेक़ाल के लगभग सात आठ साल बाद शुरू होता है। वही महान सहाबी जिनके नाम मशहूर हैं, तल्हा, ज़ुबैर, साद इब्ने अबी वक़्क़ास वग़ैरा, इस्लामी दुनिया के सबसे बड़े पूंजीपति बन गए। उनमें से एक की मौत के बाद उसके छोड़े हुए सोने को उसके वारिसों में बांटने के लिए पहले उसे एक बड़ी सोने की ईंट में बदला गया और फिर कुल्हाड़ी से तोड़ कर टुकड़ों में बांटा गया।
दुश्मन, हुसैन इबने अली के जिस्म को घेरे हुए हैं और उनमें से हर कोई वार कर रहा है। जब हज़रत ज़ैनब क़त्लगाह पहुंचीं और उस पाक जिस्म को करबला की ज़मीन पर गिरा हुआ पाया तो अपने हाथों को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के जिस्म के नीचे रखा और उनकी आवाज़ बुलंद हुयी ऐ अल्लाह! पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की इस क़ुरबानी को क़ुबूल कर।
एक ग्यारह साल का बच्चा था, यह बच्चा जब समझ गया कि उसका चचा जंग के मैदान में ज़मीन पर गिरा हुआ है वह बड़ी तेज़ी से इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के क़रीब पहुंचा। इब्ने ज़्याद के एक वहशी व बेरहम सिपाही ने तलवार खींच रखी थी कि वह इमाम हुसैन के घायल जिस्म पर वार करे, उसने अपने छोटे छोटे हाथों को बेअख़्तियार तलवार के सामने कर दिया लेकिन उस दरिंदे ने इसके बावजूद अपनी तलवार नहीं रोकी और वार कर दिया, बच्चे के हाथ कट गए।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मंगलवार को सातवीं मोहर्रम की रात में मजलिस आयोजित हुयी। मजलिसों का यह सिलसिला सोमवार की रात को शुरू हुआ और आज दूसरी मजलिस आयोजित हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई शरीक हुए।