हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन रफ़ीई ने मजलिस पढ़ी जिसके बाद मीसम मुतीई ने शबे आशूर के मसाएब बयान करते हुए नौहा और मर्सिया पढ़ा।

तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मजलिस का ये सिलसिला 12 मोहर्रम तक जारी रहेगा।