इमाम ख़ुमैनी का पक्ष यह था कि ख़ुद फ़िलिस्तीनी अवाम अपना हक़ लें और दुनिया की क़ौमें और मुस्लिम क़ौमें उनका समर्थन करें। अगर यह हो गया तो ज़ायोनी हुकूमत पीछे हटने पर मजबूर हो जाएगी।
इमाम ख़ुमैनी का मानना था कि ख़ुद फ़िलिस्तीनी अवाम को दुश्मन यानी ज़ायोनी सरकार को पीछे हटने पर मजबूर कर देना चाहिए, उसे कमज़ोर बना देना चाहिए। आज यह काम हो गया।
इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की 35वीं बरसी के मौक़े पर 3 जून 2024 को तक़रीर करते हुए रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इमाम ख़ुमैनी के दृष्टिकोण और विचारधारा पर प्रकाश डाला।
जो भी ईरान से मुहब्बत करता है, जो भी फ़्यूचर में, न्यू वर्ल्ड ऑर्डर में ईरान की इज़्ज़तदार पोज़ीशन की ख़्वाहिश रखता है, उसे क़ौम में ईमान और उम्मीद को फैलाना चाहिए।
इमाम ख़ुमैनी ने तीन बड़े महान व ऐतिहासिक काम किए...एक मुल्क ईरान की सतह पर कि इस्लामी इंक़ेलाब को वजूद दिया, एक इस्लामी जगत की सतह पर कि इस्लामी जागरुकता का आंदोलन शुरू किया और एक विश्व स्तर पर अध्यात्म के माहौल को दुनिया में ज़िन्दा किया।
इमाम ख़ामेनेई
आज इस्लामी जगत, इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी से पहले के दौर और इमाम ख़ुमैनी के ज़माने से पहले की तुलना में ज़्यादा सरगर्म, ज़्यादा तैयार और ज़्यादा पुरजोश है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने रविवार की सुबह इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की चौंतीसवीं बरसी पर, उनके रौज़े में ईरान के क़द्रदान और वफ़ादार अवाम की शानदार सभा को ख़ेताब करते हुए इमाम ख़ुमैनी को मुल्क के इतिहास की सबसे अज़मी हस्तियों में से एक क़रार दिया।
इमाम ख़ुमैनी तीन सतह पर बदलाव लाए। मुल्क की सतह पर उन्होंने, ग़ैरों की नज़रे करम का इंतेज़ार करने वाली क़ौम को, सब कुछ करने की सलाहियत रखने वाली क़ौम में बदल दिया।
इस्लामी इंक़ेलाब और इस्लामी जम्हूरिया के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी की चौंतीसवीं बरसी अक़ीदत व एहतेराम से मनाई गई। 4 जून 2023 को इस मुनासेबत से आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इमाम ख़ुमैनी के रौज़े में अक़ीदतमंदों, देश के उच्चाधिकारियों और विदेशी मेहमानों की सभा को संबोधित करते हुए इमाम ख़ुमैनी को ईरान की पूरी तारीख़ की सबसे अज़ीम हस्ती क़रार दिया। (1)
कभी यह दुनिया दो बड़ी ताक़तों की मुट्ठी में थी। एक ताक़त अमरीका और दूसरी ताक़त पूर्व सोवियत युनियन। एक मसले पर यह दोनों मुत्तफ़िक़ थे और वह मसला था इस्लामी जुमहूरिया की दुश्मनी। इमाम ख़ुमैनी उनके मुक़ाबले में डट गए। झुकना गवारा न किया। साफ़ कह दियाः "न पूरब न पश्चिम" दुश्मन समझ रहे थे कि यह लक्ष्य पूरा नहीं होगा। सोच रहे थे कि इस पौधे को उखाड़ फेंकेंगे। मगर पौधा आज तनावर दरख़्त बन गया है। इसे उखाड़ फेंकने की बात सोचना उनकी हिमाक़त ही होगी।
इमाम ख़ामेनेई
14 अकतूबर 2022
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने, इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की 33वीं बरसी पर उनके मज़ार पर जनसभा से ख़िताब किया जिसमें आपने इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह को इस्लामी गणराज्य की आत्मा और उनकी शख़्सियत को ग़ैर मामूली क़रार देते हुए उन्हें ईरानी राष्ट्र के कल, आज और आने वाले कल का इमाम कहा। उन्होंने ताकीद की कि मौजूदा होशियार जवान नस्ल को भविष्य में मुल्क को चलाने और राष्ट्र को कारनामों की चोटियों तक पहुंचाने के लिए एक भरोसेमंद, समग्र, गति देने वाले व बदलाव लाने वाले साफ़्टवेयर यानी इमाम ख़ुमैनी की नसीहतों, बातों और शैली की ज़रूरत है।
इस्लामी इंक़ेलाब के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी की 33वीं बरसी पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने श्रद्धालुओं के बहुत बड़े मजमे में तक़रीर की। 4 जून 2022 को अपनी इस तक़रीक में आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इमाम ख़ुमैनी के व्यक्तित्व, उनकी विचारधारा के अनेक पहलुओं और साथ ही दूसरे कई विषयों पर रौशनी डाली।(1)
तक़रीर का अनुवाद पेश हैः
इस्लामी इंक़ेलाब के लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शहीद धर्मगुरुओं को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित होने वाले सेमीनार के आयोजकों से मुलाक़ात में धर्मगुरुओं की शहादत की भावना और इसकी अहमियत पर रौशनी डाली। इस्लामी क्रांति के नेता की यह तक़रीर 13 जनवरी 2020 को हुई। (1)
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने तबरेज़ के अवाम के 29 बहमन 1356 हिजरी शम्सी बराबर 18 फ़रवरी सन 1978 के आंदोलन की सालगिरह के मौक़े पर गुरूवार 17 फ़वरी 2022 की सुबह पूर्वी आज़बाइजान प्रांत के अवाम को वीडियो लिंक के ज़रिए संबोधित किया। उन्होंने तबरेज़ के अवाम के आंदोलन को पूरी ईरानी क़ौम के आंदोलन की अहम कड़ी और इस्लामी क्रांति की कामयाबी का भूमिका क़रार दिया।
स्पीच का हिंदी अनुवाद पेश है,
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने क़ुम वासियों के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह पर क़ुम के अवाम की सभा को विडियो लिंक के ज़रिए संबोधित किया। 19 देय 1356 बराबर 9 जनवरी 1978 क़ुम के अवाम के ऐतिहासिक आंदोलन का दिन है।
सुप्रीम लीडर ने 9 जनवरी 2022 के अपने भाषण में ऐसी ऐतिहासिक घटनाओं की याद को बाक़ी रखना ज़रूरी बताया जिसमें आने वाली नस्लों के लिए गहरे संदेश छिपे हुए हैं। उन्होंने अपने भाषण में बड़े महत्वपूर्ण राष्ट्रीय व क्षेत्रीय मुद्दों पर प्रकाश डाला।