अमरीका कमज़ोर हो चुका है, आर्थिक और वित्तीय लेहाज़ से भी और राजनैतिक मैदान में भी, यह एक सच्चाई  है। फ़िलिस्तीन के मसले में उसको नाकामी हाथ लगी है, इराक़ के मसले में वो नाकाम हो गया, अमरीकी चाहते थे कि इराक़ को ख़ुद चलाएं, इराक़ी क़ौम उठ खड़ी हुयी और इसकी इजाज़त नहीं दी, उन्होंने चाहा कि अपनी मर्ज़ी की कठपुतली सरकार ले आएं, इसमें भी वे नाकाम हो गए, चाहा कि कैपिचुलेशन के ज़रिए इराक़ में जमे रहें, इराक़ी क़ौम और सरकार ने इसकी भी इजाज़त नहीं दी। इसी वजह से अमरीकियो का कोई सपना पूरा नहीं हो सका और उन्हें अपना सा मुंह लिए इराक़ से निकलना पड़ा...आंतरिक मसलों में भी अमरीका कमज़ोर हो चुका है, जिसे अमरीकी छिपाने की कोशिश कर रहे हैं और इसका इक़रार करना नहीं चाहते।

इमाम ख़ामेनेई

03/02/2012