हम सब चौकन्ना रहें कि इस्लामी जुमहूरी सिस्टम -जो इस्लामी सिस्टम है, दीनी सिस्टम है, इस बात पर फ़ख़्र है कि वो दीनी, इस्लामी और क़ुरआनी आदेशों की छाया में आगे बढ़ना चाहता है- भी ऐसे सिस्टम में न बदल जाए जिसका दीन पर कोई अक़ीदा नही, कुछ लोगों के शब्दों में सेक्युलर (धर्म विरोधी) व्यवस्था और ऐसी व्यवस्था न बन जाए जो अंदर से दीन की मुख़ालिफ़ और ज़ाहिरी तौर पर दीनी हो, जो अंदर से पश्चिमी कल्चर और उस कल्चर को बढ़ावा देने वाली ताक़तों पर मोहित है और ज़ाहिरी तौर पर आम से दीनी नारों और आदेशों पर आधारित है। ऐसा न होने पाए। इस्लामी सिस्टम सही अर्थ में इस्लामी होना चाहिए और उसे दिन-प्रतिदिन इस्लामी उसूलों से अधिक क़रीब और समन्वित होना चाहिए। यही चीज़ रास्ता खोलने वाली है, यही चीज़ मुश्किलों को दूर करने वाली है, यही चीज़ समाज को इज़्ज़त व प्रतिष्ठा अता करती है, यही चीज़ पूरी दुनिया में इस्लामी जुमहूरी सिस्टम के तरफ़दारों की तादाद बढ़ाएगी।

इमाम ख़ामेनेई

11/9/2009