हिज़्बुल्लाह और शहीद सैयद ने ग़ज़ा की रक्षा और मस्जिदुल अक़्सा के लिए जेहाद और क़ाबिज़ व ज़ालिम शासन पर वार करके पूरे क्षेत्र की निर्णायक सेवा में क़दम बढ़ाया। अल्लाह का सलाम हो शहीद रहनुमा नसरुल्लाह पर।
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास की नेतृत्व परिषद के प्रमुख मोहम्मद इस्माईल दरवीश ने शनिवार 8 फ़रवरी 2025 को एक प्रतिनिधिमंडल के साथ इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की, जिसमें फ़िलिस्तीन के मौजूदा हालात और क्षेत्र के मुद्दों पर अहम बातचीत हुयी। इस मुलाक़ात के बाद, हमास की नेतृत्व परिषद के प्रमुख ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की वेबसाइट Khamenei.ir को एक्सक्लुसिव इंटरव्यू दिया, जिसके मुख्य अंश यहां पेश किए जा रहे हैं।
फ़िलिस्तीन के इस्लामी जेहाद संगठन के महासचिव ज़्याद अन्नख़ाला और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार 18 फ़रवरी 2025 की शाम को तेहरान में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से भेंटवार्ता की।
औरतों और बच्चों को क़त्ल करना फ़तह नहीं है
ग़ज़ा जंग से अगरचे इस इलाक़े के लोगों को बहुत ज़्यादा तबाही और नुक़सान का सामना हुआ लेकिन इसका नतीजा ज़ायोनी शासन की कल्पना के बिल्कुल ख़िलाफ़ रेज़िस्टेंस के हित में आया। जंग में कामयाबी सिर्फ़ मरने वालों की तादाद या तबाही के स्तर से आंकी नहीं जाती, बल्कि हर जंग का अंतिम लक्ष्य स्ट्रैटेजिक उपलब्धियों तक पहुंच होता है। ज़ायोनी शासन इस जंग में अपने घोषित लक्ष्य को न सिर्फ़ यह कि हासिल नहीं कर पाया, बल्कि बहुत से मैदानों में उसे ऐसी हार हुयी है जिसकी भरपाई मुमकिन नहीं है।
औरतों और बच्चों को क़त्ल करना फ़तह नहीं है
ग़ज़ा जंग से अगरचे इस इलाक़े के लोगों को बहुत ज़्यादा तबाही और नुक़सान का सामना हुआ लेकिन इसका नतीजा ज़ायोनी शासन की कल्पना के बिल्कुल ख़िलाफ़ रेज़िस्टेंस के हित में आया। जंग में कामयाबी सिर्फ़ मरने वालों की तादाद या तबाही के स्तर से आंकी नहीं जाती, बल्कि हर जंग का अंतिम लक्ष्य स्ट्रैटेजिक उपलब्धियों तक पहुंच होता है। ज़ायोनी शासन इस जंग में अपने घोषित लक्ष्य को न सिर्फ़ यह कि हासिल नहीं कर पाया, बल्कि बहुत से मैदानों में उसे ऐसी हार हुयी है जिसकी भरपाई मुमकिन नहीं है।
अगर आपसे कहा जाता कि एक बालिश्त ज़मीन वाला ग़ज़ा अमरीका की सैन्य ताक़त जैसी एक बड़ी ताक़त से टकराने वाला है और उस पर हावी हो जाएगा तो क्या आपको यक़ीन आता?! आपको यक़ीन नहीं आता, यह नामुमकिन चीज़ों में से है। लेकिन अल्लाह के हुक्म से यह काम मुमकिन है।
क़ुरआन प्रतियोगिता में भाग लेने वालों से मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेताः
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने रविवार की सुबह इक्तालीसवीं अंतर्राष्ट्रीय क़ुरआन प्रतियोगिता में भाग लेने वाले उस्तादों, क़ारियों और हाफ़िज़ों से मुलाक़ात में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के जन्म दिवस की मुबारकबाद दी और क़ुरआन के शब्द, क्रम, अर्थ, अल्लाह की परंपराओं के बयान सहित सभी चीज़ों को चमत्कार बताया।
बरसों से पश्चिमी जगत ने मुसलमान औरतों की ऐसी छवि पेश की है जो पश्चिमी सरकारों के वैचारिक और भूराजनैतिक लक्ष्यों से प्रभावित रही है। इस छवि के तहत मुसलमान औरतों को एक असहाय, मज़लूम और बिना पहचान वाली औरत के तौर पर पेश किया जाता है जो मर्दों के प्रभुत्व वाले सिस्टम की जेल में और धार्मिक आस्था की बेड़ियों में क़ैद है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने बुधवार को सुबह मुल्क के उद्योगपतियों और आर्थिक क्षेत्र में सक्रिय लोगों से मुलाक़ात की। उन्होंने इस मुलाक़ात में ग़ज़ा में संघर्ष विराम और कामयाबी को रेज़िस्टेंस के ज़िंदा होने और ज़िंदा बाक़ी रहने की भविष्यवाणी के व्यवहारिक होने की खुली निशानी बताया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से क़ुम के अवाम की मुलाक़ात जो बुधवार 8 जनवरी 2025 को हुयी, क़ुम के लोगों के निर्णायक आंदोलन की बरसी के उपलक्ष्य में थी। इस मौक़े पर आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस आंदोलन की क़द्रदानी करने के साथ ही, नीतियों और समीक्षा का एक ख़ाका पेश किया जो रोडमैप के समान था और वाक़यात की गहरी समीक्षा का तरीक़ा बताने वाला था।
सीला फ़सीह, ग़ज़ा में हाल में ठंड से शहीद होने वाली नवजात शिशु है। ग़ज़ा में सिर छिपाने की जगह न होने और ईंधन की कमी की वजह से बेघर होने वालों के पास ठंडक और गर्मी से बचाव का कोई साधन नहीं है।
ग़ज़ा और लेबनान में प्रतिरोध जारी रहने का ज़िक्र करते हुए इस्लामी क्रांति के नेता:
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने देश के विभिन्न वर्गों की हज़ारों महिलाओं से मंगलवार 17 दिसम्बर 2024 को मुलाक़ात के अवसर पर हज़रत फ़ातेमा ज़हरा के शुभ जन्म दिवस की बधाई पेश करते हुए उनकी सीरत के विभिन्न पहलुओं पर रौशनी डाली।
यह संघर्ष जो बेहम्दिल्लाह आज पूरी ताक़त से जारी है लेबनान में भी, ग़ज़ा में और फ़िलिस्तीन में भी, इस संघर्ष के नतीजे में निश्चित तौर पर सत्य को कामयाबी, सत्य के मोर्चे को कामयाबी, रेज़िस्टेंस मोर्चे को कामयाबी मिलेगी।
मनहूस और दुष्ट ज़ायोनी सरकार के सिलसिले में दुनिया में एक बड़ी कोताही हो रही है। सरकारें, क़ौमें ख़ास तौर पर सरकारें, यूएन वग़ैरह जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन हक़ीक़त में ज़ायोनी शासन से मुक़ाबला करने के सिलसिले में कोताही कर रहे हैं। यह कृत्य जो ज़ायोनी शासन ने ग़ज़ा में किया और कर रहा है, जो कुछ उसने लेबनान में किया और कर रहा है, सबसे बर्बर युद्ध अपराध हैं।
इस लेख में फ़िलिस्तीनी मामलों के रिसर्च स्कालर और लेखक अली रज़ा सुलतान शाही ने इतिहास के बैकग्राउंड में क्षेत्र में ज़ायोनी सरकार को मान्यता दिलाने और उसके वजूद को मज़बूत करने की पश्चिम की कोशिशों और उसकी साज़िश की इस्लामी इंक़ेलाब के हाथों नाकामी और उसके क्षेत्र में फैलते असर का कि जिसका चरम अलअक़्सा फ़्लड आप्रेशन के रूप में सामने आया, जायज़ा लिया है।
ईरानी क़ौम का जो दुश्मन है वही फ़िलिस्तीनी क़ौम का भी दुश्मन है, वही लेबनानी क़ौम, इराक़ी क़ौम, मिस्री क़ौम, सीरियाई क़ौम और यमनी क़ौम का भी दुश्मन है। दुश्मन एक ही है। बस अलग अलग मुल्कों में दुश्मन की शैलियां अलग हैं।
जो क़ौम भी चाहती है कि दुश्मन की बेबस कर देने वाली नाकाबंदी का शिकार न हो, उसे चाहिए कि पहले ही अपनी आँखें खुली रखे, जैसे ही देखे कि दुश्मन किसी दूसरी क़ौम की ओर बढ़ रहा है, ख़ुद को मज़लूम व पीड़ित क़ौम के दुख दर्द में शरीक जाने, उसकी मदद करे, उससे सहयोग करे ताकि दुश्मन वहाँ कामयाब न हो सके।
अक्तूबर 2023 से ज़ायोनी सरकार ने ग़ज़ा में जातीय सफ़ाए की जंग में 16800 से ज़्यादा बच्चों को क़त्ल किया है।
कल्पना से परे यह जुर्म, भेड़िया समान, बच्चों की हत्यारी ज़ायोनी सरकार की अस्लियत है कि जिसका हल उसका विनाश और अंत है।
इमाम ख़ामेनेई
23 जुलाई 2014
इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 25 सितम्बर 2024 की सुबह पवित्र डिफ़ेंस और रेज़िस्टेंस के मैदान में सक्रिय हज़ारों लोगों और सीनियर सैनिकों से मुलाक़ात में थोपी गई जंग की शुरुआत के कारणों पर रौशनी डालते हुए नई बात और कशिश को दुनिया पर शासन करने वाली भ्रष्ट व्यवस्था के मुक़ाबले में इस्लामी गणतंत्र के दो अहम तत्व क़रार दिया।
फ़िलिस्तीन के स्कूल और कालेज के स्टूडेंट्स, टीचरों, स्कूल स्टाफ़ और यूनिवर्सिटी के शिक्षकों पर ज़ायोनी शासन के हमलों के बारे में फ़िलिस्तीन के शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्टः
फ़िलिस्तीन के स्कूल और कालेज के स्टूडेंट्स, टीचरों, स्कूल स्टाफ़ और यूनिवर्सिटी के शिक्षकों पर ज़ायोनी शासन के हमलों के बारे में फ़िलिस्तीन के शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्टः
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने सोमवार 16 सितम्बर को एकता हफ़्ते के आग़ाज़ और ईदे मीलादुन्नबी के मौक़े पर, सुन्नी धर्मगुरुओं, सुन्नी मदरसों के प्रिंसपलों और जुमे के इमामों से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में उन्होंने इस्लामी उम्मत जैसी क़ीमती पहचान की रक्षा को ज़रूरी बताया और इस्लामी एकता की अहमियत पर ताकीद की और इसे नुक़सान पहुंचाने की दुश्मनों की कोशिशों की ओर इशारा करते हुए कहाः "इस्लामी उम्मत" का विषय किसी भी स्थिति में भुलाया न जाए।
फ़िलिस्तीन के स्कूल और कालेज के स्टूडेंट्स, टीचरों, स्कूल स्टाफ़ और यूनिवर्सिटी के शिक्षकों पर ज़ायोनी शासन के हमलों के बारे में फ़िलिस्तीन के शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्टः
इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अपने एक संदेश में अरबईने हुसैनी के दिनों में मेज़बानी के लिए इराक़ी मौकिबदारों और महान इराक़ी राष्ट्र का शुक्रिया अदा किया।
बुधवार 11 सितम्बर 2024 को अपनी इराक़ यात्रा के दौरान राष्ट्रपति श्री डॉक्टर मस्ऊद पेज़िश्कियान ने इराक़ के प्रधान मंत्री श्री शिया अल सूदानी को इस संदेश के अरबी अनुवाद की शील्ड प्रस्तुत की।
रहबरे इंक़ेलाब के इस संदेश का अनुवाद इस प्रकार है:
अल्लाह की लानत हो क़ाबिज़ ज़ायोनियों पर, माँ की गोद में बच्चे को क़त्ल कर रहे हैं। कहाँ हैं मानवाधिकार के बारे में अपनी कर्कश आवाज़ से दुनिया को बहरा कर देने वाले?
अगर अमरीका की मदद न होती तो क्या ज़ायोनी सरकार में इतनी ताक़त व हिम्मत थी कि ग़ज़ा के छोटे से इलाक़े में मुसलमान अवाम, औरतों, मर्दों और बच्चों के साथ इस तरह का निर्दयी व्यवहार करती?
इमाम ख़ामेनेई
6 मई 2024
झूले में मौजूद बच्चे, पांच साल, छह साल के बच्चों पर, महिलाओं पर, अस्पतालों में भरती बीमारों पर, इन लोगों ने तो एक गोली भी नहीं चलायी होती है, लेकिन इन पर बम गिराए जा रहे हैं।
आज झूले में मौजूद बच्चे, पांच साल, छह साल के बच्चों पर, महिलाओं पर, अस्पतालों में भरती बीमारों पर, इन लोगों ने तो एक गोली भी नहीं चलायी होती है, लेकिन इन पर बम गिराए जा रहे हैं, क्यों?
अमरीकी, कुछ बातें अमेरिकन वैल्यूज़ के तौर पर पेश करते हैं...ये वैल्यूज़ मानवीय सम्मान, मानवाधिकार और इस जैसी चीज़ें हैं। ये अमरीकी वैल्यूज़ हैं?!... क्या यह वही सरकार नहीं है जिसने अमरीकी सरज़मीन के मूल निवासियों का क़त्ले आम किया?...आज कल हर दिन फ़िलिस्तीनी अवाम का उनके घरों में, क़ाबिज़ों के हाथों खुले आम क़त्ल हो रहा है।
इमाम ख़ामेनेई
18 मार्च 2002
अमरीका का इतना छोटा सा इतिहास, इंसानों के ख़िलाफ़ ज़ुल्म और अपराधों से भरा हुआ है। इस सरज़मीन के अस्ली मालिकों व मूल निवासियों के नरसंहार से लेकर इस्राईल के सरकारी आतंकवाद के ज़रिए ज़मीनों को हड़पने और फ़िलिस्तीन की जनता के क़त्लेआम को सपोर्ट करने तक और एक जुमले में हिरोशिमा से ग़ज़ा तक, इन सबका सुलह, मानवता, मानवाधिकार, लोकतंत्र जैसे सुंदर लफ़्ज़ों की आड़ में, साम्राज्य के पिट्ठू प्रचारिक तंत्रों के ज़रिए बहुत ही घिनौनी शक्ल में जस्टिफ़िकेशन पेश किया जाता है। इस बारे में लेख पेश है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने मंगलवार 30 जुलाई 2024 को हमास के पोलित ब्यूरो प्रमुख जनाब इस्माईल हनीया और जेहादे इस्लामी आंदोलन के सेक्रेटरी जनरल जनाब ज़्याद अन्नख़ाला से मुलाक़ात में ग़ज़ा के मज़लूम अवाम की बेमिसाल दृढ़ता व प्रतिरोध की सराहना करते हुए कहा कि आज इस्लाम का सबसे ऊंचा परचम फ़िलिस्तीनी क़ौम और ग़ज़ा के लोगों के हाथ में हैं और इस प्रतिरोध की बरकत से इस्लाम के पहले से ज़्यादा प्रसार की राह समतल हो गयी है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने मंगलवार 30 जुलाई 2024 की शाम को इराक़ी प्रधान मंत्री जनाब मोहम्मद अलशिया अस्सूदानी और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में करोड़ों लोगों की शिरकत से अर्बईन मार्च के पसंदीदा व शानदार आयोजन की राह समतल करने के लिए इराक़ी अवाम और सरकार की ओर से की जाने वाली कोशिशों और उठाई जाने वाली ज़हमतों की सराहना की।
दुनिया, ग़ज़ा के मसले में ज़्यादा गंभीर क़दम उठाए। सरकारों, राष्ट्रों, मुख़्तलिफ़ क्षेत्रों की वैचारिक और राजनैतिक हस्तियों को गंभीर क़दम उठाना चाहिए। तब इस निगाह से समझ में आएगा कि परसों अमरीकी कांग्रेस ने इस अपराधी का भाषण सुनकर कितना ज़्यादा ख़ुद को कलंकित किया है। यह बहुत बड़ा कलंक है।
इमाम ख़ामेनेई
28 जुलाई 2024