इस बार मानवाधिकार के विश्व घोषणापत्र का इम्तेहान है। इस घोषणापत्र की, जिसे पश्चिमी विचारकों के हाथों और दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया पर उनके वर्चस्व के मज़बूत होने के बाद लिखा गया, आज ग़ज़ा में हर दिन ज़ायोनियों के हाथों धज्जियां उड़ रही हैं और "विश्व समुदाय" अपने हाथों से लिखे गए क़ानून के उल्लंघन पर ख़ामोश ही नहीं बल्कि वित्तीय और हथियारों से मदद कर रहा है।
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