29/02/2024
ग़ज़ा में जातीय सफ़ाए के बारे में अमरीका की ग़ैर इंसानी पालीसियां इतनी रुसवा हो चुकी हैं कि अमरीकी फ़ौजी अफ़सर आत्मदाह कर लेता है। इमाम ख़ामेनेई  28 फ़रवरी 2024
26/02/2024
क़ुरआन कहता है किः “वो काफ़िरों पर कठोर और आपस में मेहरबान हैं।” क्या अमल में यह कठोरता दुष्ट ज़ायोनी सरकार के ख़िलाफ़ दिखाई जाती है? आज इस्लामी दुनिया के बड़े दर्द यह हैं। इमाम ख़ामेनेई 22 फ़रवरी 2024
25/02/2024
क्या हम देख रहे हैं कि इस्लामी देशों के शासक और इस्लामी देशों के नेता ग़ज़ा के बारे में क़ुरआन की शिक्षाओं और क़ुरआनी मारेफ़त के मुताबिक़ अमल कर रहे हैं? इमाम ख़ामेनेई  22 फ़रवरी 2024
25/02/2024
जिस रेज़िस्टेंस के सबब #ग़ज़ा में दुश्मन रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ का ख़ात्मा करने की ओर से मायूस हो गया, उसका स्रोत इस्लाम की ताक़त थी। यह हालत है कि अमरीकी व युरोपीय युवा #क़ुरआन पढ़ रहे हैं कि देखें कि क़ुरआन में क्या है कि इस पर अक़ीदा रखने वाले ऐसा #रेज़िस्टेंस करते हैं। इमाम ख़ामेनेई  24 फ़रवरी 2024
24/02/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शनिवार की सुबह ख़ूज़िस्तान प्रांत के 24000 शहीदों पर कॉन्फ़्रेंस आयोजित करने वाली कमेटी से मुलाक़ात की।
24/02/2024
यह तय है कि इस्लामी दुनिया और आज़ाद सोच रखने वाले ग़ैर मुस्लिम ग़ज़ा के लिए सोगवार हैं। ग़ज़ा के अवाम उन लोगों के अत्याचार का निशाना बने है जिन्हें इंसानियत छूकर भी नहीं गुज़री है। इमाम ख़ामेनेई  22 फ़रवरी 2024
23/02/2024
इस्लामी दुनिया में बहुतों को क़ुरआन से लगाव नहीं है। एक कड़वी सच्चाई है। क्या इस्लामी देशों के नेता ग़ज़ा के बारे में क़ुरआनी हिदायत पर अमल कर रहे हैं? क़ुरआन हमसे कहता है किः "मोमेनीन मोमिनों को छोड़ कर काफ़िरों को दोस्त न बनाएं।" क्या इस आयत पर अमल हो रहा है?   इमाम ख़ामेनेई  22 फ़रवरी 2024
23/02/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 22 फ़रवरी 2024 को ईरान में चालीसवें अंतर्राष्ट्रीय क़ुरआन मुक़ाबले के प्रतिभागियों से ख़ेताब में क़ुरआन को मार्गदर्शन और चेतावनी देने वाली किताब क़रार दिया। आपने क़ुरआनी शिक्षाओं के विषय पर बात करते हुए ग़ज़ा और फ़िलिस्तीन के सिलसिले में इन शिक्षाओं पर अमल की मौजूदा स्थिति के बारे में कुछ अहम सवाल किए। (1)
22/02/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने ग़ज़ा को इस्लामी जगत का सबसे बड़ा मसला बताते हुए कहा कि इस्लामी जगत, ज़ायोनी नासूर को निश्चित तौर पर ख़त्म होता हुआ देखेगा।
16/02/2024
पैग़म्बरे इस्लाम की ‘बेसत’ (पैग़म्बरी के एलान) की सालगिरह के मौक़े पर मुल्क के ओहदेदारों, इस्लामी देशों के राजदूतों, प्रतिनिधियों और समाज के अलग अलग वर्गों के लोगों ने इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से 8 फ़रवरी 2024 को इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुलाक़ात की। इस मौक़े पर अपने ख़ेताब में आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ‘बेसत’ के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु बयान किए। उन्होंने फ़िलिस्तीन और ग़ज़ा की जंग के बारे में बात की। (1)
15/02/2024
7 अक्तूबर 2023 को अलअक़्सा फ़्लड ऑप्रेशन शुरू होते ही यमन के लोगों ने मुख़्तलिफ़ तरह से फ़िलिस्तीनी अवाम का समर्थन और इस्राईल विरोधी प्रतिरोध का सपोर्ट करने का एलान किया और ज़ायोनियों के हाथों ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनियों के क़त्ले आम के बाद वो सीधे तौर पर ज़ायोनियों के ख़िलाफ़ जंग के मैदान में उतर गए। उन्होंने मक़बूज़ा फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में ज़ायोनी ठिकानों पर हमला करके और इसी तरह ज़ायोनी शासन की आर्थिक नसों को काट कर, इस क़ाबिज़ शासन और उसके समर्थकों पर ज़बर्दस्त दबाव डाला।  
15/02/2024
इंशाअल्लाह दिन ब दिन ग़ज़ा के अवाम की फ़तह की निशानियां ज़्यादा उजागर होती जाएंगी। इमाम ख़ामेनेई 8 फ़रवरी 2024
14/02/2024
ग़ज़ा के मसले में सरकारों का दायित्व है कि ज़ायोनी सरकार की राजनैतिक, प्रचारिक, सामरिक मदद और प्रयोग की वस्तुओं की सप्लाई बंद करें। यह सरकारों की ज़िम्मेदारी है। अवाम की ज़िम्मेदारी है कि सरकारों पर दबाव डालें कि वे अपने फ़र्ज़ पर अमल करें। इमाम ख़ामेनेई 8 फ़रवरी 2024
13/02/2024
ग़ज़ा के वाक़ए ने पश्चिमी सभ्यता को बेनक़ाब कर दिया। पश्चिमी सभ्यता में इतनी बेरहमी है कि अस्पतालों पर हमले करते हैं, एक रात के अंदर सैकड़ों इंसानों को क़त्ल कर डालते हैं, चार महीने की मुद्दत में लगभग 30 हज़ार लोगों को मौत के घाट उतार देते हैं। इमाम ख़ामेनेई 8 फ़रवरी 2024
13/02/2024
सन 2023 ऐसी स्थिति में ख़त्म हुआ कि क़ाबिज़ ज़ायोनियों के ज़ुल्म व अपराध के सामने फ़िलिस्तीनी मुजाहिदों की बहादुरी और ग़ज़ा की औरतों और बच्चों की दृढ़ता दिन प्रतिदिन बढ़ती रही और नए साल में भी जारी है। इस दौरान ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ एक नया मोर्चा खुल गया है जिससे न सिर्फ़ यह कि इस शासन की विश्व स्तर पर साख पहले से ज़्यादा कलंकित हुयी बल्कि उस पर भारी आर्थिक बोझ भी पड़ा है।
09/02/2024
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि पूरे इतिहास में इंसानियत के लिए दुनिया में होने वाला सबसे मुबारक और सबसे अज़ीम वाक़या नबी-ए-अकरम की बेसत है। उन्होंने कहा कि ग़ज़ा के मसले में सरकारों की ज़िम्मेदारी है कि ज़ायोनी शासन को राजनैतिक, प्रचारिक, हथियारों और इस्तेमाल की चीज़ों की मदद रोक दें। क़ौमों की ज़िम्मेदारी इस बड़ी ज़िम्मेदारी को अंजाम देने के लिए सरकारों पर दबाव डालना है।
08/02/2024
इस्लामी इन्क़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने ईदे बेसत (पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी के एलान) के मुबारक मौक़े पर मुल्क के बड़े अधिकारियों, इस्लामी मुल्कों के राजदूतों और प्रतिनिधियों और अवाम के मुख़्तलिफ़ तबक़ों से गुरूवार 8 फ़रवरी की सुबह मुलाक़ात की।
09/02/2024
यह मुसीबत इस्लामी जगत की मुसीबत है बल्कि इससे भी बड़ी यह इन्सानियत की मुसीबत है। यह इस बात की ओर इशारा करती है कि मौजूदा वर्ल्ड ऑर्डर, कितना नाकारा सिस्टम है।
06/02/2024
मैंने सुना कि कुछ इस्लामी देश ज़ायोनी सरकार को हथियार दे रहे हैं, कुछ हैं जो अलग अलग रूप में आर्थिक मदद कर रहे हैं। यह अवाम का काम है कि इसे रुकवाएं। अवाम दबाव डाल सकते हैं। इमाम ख़ामेनेई 5 फ़रवरी 2024
06/02/2024
अहम हस्तियों, ओलमा, बुद्धिजीवियों, नेताओं और पत्रकारों की ज़िम्मेदारी है कि अवामी सतह पर मुतालबा पैदा करें कि सरकारें ज़ालिम ज़ायोनी सरकार पर ज़ोरदार वार करें। इमाम ख़ामेनेई 5 फ़रवरी 2024
05/02/2024
पिछले कुछ दशकों के दौरान अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और क़ानून की जानकार सोसायटी के सामने जो एक बड़ी चुनौती रही है वो शांति और जंग के मुख़्तलिफ़ हालात में मीडिया कर्मियों की सुरक्षा की है। अगरचे बीसवीं सदी के आरंभिक बरसों में जंग के हालात में क़ैदी रिपोर्टरों के सपोर्ट में हेग के सन 1907 के कन्वेन्शन जैसे अंतर्राष्ट्रीय क़ानून बनाए गए लेकिन इस सदी के दूसरे भाग में रिपोर्टरों के काम के क़ानूनी पहलू पर ख़ास ध्यान दिया गया। इस सिलसिले में जनेवा के चार पक्षीय 1977 के पहले अडिश्नल प्रोटोकॉल का उल्लेख किया जा सकता है जिसमें रिपोर्टिंग की शब्दावली में, जिसे अडिश्नल प्रोटोकॉल में इस्तेमाल किया गया है, उन सभी लोगों को शामिल किया गया है जो मीडिया से जुड़े हुए हैं कि जिनमें रिपोर्टर, कैमरामेन, वॉइस टेक्निशियन वग़ैरह शामिल हैं। इस प्रोटोकॉल के मुताबिक़, जंग के इलाक़ों में ख़तरनाक पेशावराना काम करने वाले रिपोर्टरों की आम नागरिकों की हैसियत से हिमायत की गयी है और उन्हें वो सारे अधिकार दिए गए हैं जो आम नागरिकों को दिए जाते हैं, अलबत्ता इस शर्त के साथ कि वो कोई ऐसा काम न करें जो आम नागरिक की हैसियत से उनकी पोज़ीशन से टकराता हो। दूसरी ओर यूएनओ की सेक्युरिटी काउंसिल ने सन 2006 के प्रस्ताव नंबर 1674 और सन 2009 के प्रस्ताव नंबर 1894 को मंज़ूरी दी जिनका मक़सद झड़पों में आम नागरिकों की हिमायत है और इसी तरह उसने रिपोर्टरों और मीडिया कर्मियों की हिमायत में सन 2006 में प्रस्ताव नंबर 1738 को पास किया। सन 2015 में मंज़ूर होने वाला प्रस्ताव नंबर 2222 भी झड़प और जंग के हालात में रिपोर्टरों सहित मीडिया कर्मियों की रक्षा पर बल देता है और रिपोर्टरों के काम को जातीय सफ़ाए के बारे में सचेत करने वाला एक मेकनिज़्म बताता है। इसके बावजूद, लड़ने वाले पक्षों द्वारा रिपोर्टरों की जान की रक्षा किए जाने पर अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और क़ानूनी संगठनों द्वारा बल दिए जाने के बरख़िलाफ़, सन 2002 से लेकर सन 2003 तक रिपोर्टरों के ख़िलाफ़ हिंसक व्यवहार अपनाया गया। इस बीच सन 2023 के आंकड़ों पर दो पहलुओं से ध्यान दिए जाने की ज़रूरत हैः पहला पहलु पिछले बरसों की तुलना में हिंसा के आंकड़े इज़ाफ़ा दिखाते हैं, जैसा कि ग़ज़ा जंग में कुछ महीनों में मारे जाने वाले मीडिया कर्मियों की तादाद सन 2002 और सन 2003 में मारे जाने वाले रिपोर्टरों से भी ज़्यादा है। दूसरा पहलू, आंकड़े के मुताबिक़ मारे गए सभी रिपोर्टर जंग के एक ही पक्ष के हाथों ही मारे गए हैं।
05/02/2024
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने सोमवार 5 फ़रवरी की सुबह एयर फ़ोर्स और फ़ौज के एयर डिफ़ेन्स विभाग के कुछ कमांडरों से मुलाक़ात में अमरीका की ओर से ज़ायोनी शासन के सपोर्ट से ग़ज़ा में मानवता को शर्मसार करने वाले ज़ुल्मों की ओर इशारा करते हुए, ज़ायोनी शासन पर निर्णायक वार किए जाने पर ताकीद की।
05/02/2024
एयरफ़ोर्स के कर्मचारियों की ओर से 8 फ़रवरी 1979 को इमाम ख़ुमैनी की ऐतिहासिक बैअत (आज्ञापलन के वचन) की सालगिरह के मौक़े पर मुल्क की एयरफ़ोर्स और फ़ौज के एयर डिफ़ेन्स विभाग के कुछ कमांडरों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से 5 फ़रवरी 2024 को इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस ऐतिहासिक वाक़ये की अहमियत और इस्लामी समाज के ख़वास और विशिष्ट लोगों के वर्ग की मुख्य हैसियत और ज़िम्मेदारियों पर रौशनी डाली।(1)
31/01/2024
“ग़ज़ा के संबंध में भविष्यवाणियां पूरी तरह सही साबित हो रही हैं। शुरू से ही हालात पर नज़र रखने वालों ने यहां भी और दूसरी जगहों पर भी यह भविष्यवाणी की थी कि इस मसले में फ़िलिस्तीन का रेज़िस्टेंस फ़्रंट फ़ातेह होगा। इस जंग में हार, दुष्ट व मनहूस ज़ायोनी फ़ौज की होगी। ज़ायोनी फ़ौज क़रीब 100 दिन से जारी अपराध के बाद भी अपना कोई भी लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी है। उसने कहा कि हमास को ख़त्म कर देंगे, न कर सकी। उसने कहा कि ग़ज़ा के लोगों का कहीं और पलायन करा देंगे, वो न कर सकी। उसने कहा कि रेज़िस्टेंस फ़्रंट के हमले रुकवा देंगे, वो यह भी न कर सकी।” यह 9 जनवरी को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की स्पीच का एक हिस्सा है जिसमें उन्होंने ग़जा पट्टी में अपने लक्ष्य को हासिल करने में ज़ायोनी फ़ौज की नाकामी की ओर इशारा किया। अब जबकि ग़ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी फ़ौज के हमले को 100 दिन से ज़्यादा हो गए हैं, अपने इन लक्ष्यों को हासिल करने में तेल अबीब की नाकामी पहले से कहीं ज़्यादा उजागर हो गयी है, जिन्हें हासिल करने का उसने प्रण किया था।
29/01/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 17 जनवरी 2024 को मुल्क के नमाज़े जुमा के इमामों से मुलाक़ात में नमाज़े जुमा के महत्व और नमाज़े जुमा के इमामों की ज़िम्मेदारियों पर बात की। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ग़ज़ा जंग और यमन की ओर से फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में उठाए गए महत्वपूर्ण क़दमों का भी ज़िक्र किया।
25/01/2024
इस्लामी मुल्कों के अधिकारियों की ख़राब गतिविधियों और सारी सख़्तियों के बावजूद, जैसा कि क़ुरआन में भी आया है अल्लाह मोमिन अवाम के साथ है और जहां ख़ुदा हो वहीं फ़तह होगी। इमाम ख़ामेनेई 23 जनवरी 2024
24/01/2024
#ग़ज़ा के अवाम की फ़तह यक़ीनी है। इमाम ख़ामेनेई 23 जनवरी 2024
24/01/2024
अल्लाह ग़ज़ा के अवाम की फ़तह का नज़ारा भविष्य में जो ज़्यादा दूर नहीं है, दिखाएगा और मुसलमानों और उनमें सबसे ऊपर फ़िलिस्तीन और ग़ज़ा के अवाम के दिलों को ख़ुश कर देगा। इमाम ख़ामेनेई 23 जनवरी 2024
25/01/2024
9 जनवरी को फ़क़ीह, क़ुरआन के व्याख्याकार और आत्मज्ञानी हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन शैख़ मोहसिन अली नजफ़ी, पाकिस्तान में इस्लामी शिक्षाओं के प्रचार और अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम के इल्म के प्रसार की राह में एक लंबी उम्र तक संघर्ष के बाद परलोक को सिधार गए। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने एक संदेश जारी करके इस महान धर्मगुरू के निधन पर पाकिस्तान के अवाम, ओलमा और मदरसों को सांत्वना पेश की।
23/01/2024
तेहरान प्रांत के 24000 शहीदों पर राष्ट्रीय सेमिनार के प्रबंधकों से मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ग़ज़ा के अहम विषय पर इस्लामी मुल्कों के अधिकारियों के क्रियाकलापों पर टिप्पणी की। 
24/01/2024
इस्लामी मुल्कों के अधिकारियों के कुछ स्टैंड ग़लत हैं। क्योंकि वो ग़ज़ा में फ़ायरबंदी जैसे विषय पर बात करते हैं जो उनके अख़्तियार से बाहर है और ज़ायोनी हुकूमत के हाथ में है। वो ज़ायोनी सरकार की ज़िंदगी की नसें काट देने जैसे मुद्दों के सिलसिले में कार्रवाई करें। इमाम ख़ामेनेई  23 जनवरी 2024
20/01/2024
ग़ज़ा के अवाम की मदद के लिए यमन के अवाम और अंसारुल्लाह की सरकार ने जो कारनामा अंजाम दिया वह बहुत अज़ीम है। यमनियों ने ज़ायोनी सरकार की जीवन की नसों पर वार किया है। अमरीका ने धमकी दी तो उसे ध्यान के लायक़ नहीं समझा। इंसान को अगर अल्लाह का डर हो तो किसी और का डर नहीं रह जाता। इमाम ख़ामेनेई 16 जनवरी 2024
17/01/2024
दुनिया भर के लोग #ग़ज़ा और #फ़िलिस्तीन के अवाम के सिलसिले में दो चीज़ें मानते हैं। एक यह कि वो मज़लूम हैं और दूसरे यह कि वो विजेता हैं। आज दुनिया में कोई भी यह नहीं सोचता कि ग़ज़ा की जंग में ज़ायोनी सरकार को फ़तह मिली, सब कहते हैं कि उसे शिकस्त हुई। सबकी नज़र में क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन ख़ूंख़ार और बेरहम भेड़िया, परास्त, मायूस और टूट फूट का शिकार है। इमाम ख़ामेनेई 16 जनवरी 2024
17/01/2024
यमनी क़ौम और अंसारुल्लाह की सरकार ने ग़ज़ा के अवाम के सपोर्ट में जो काम किया वो सचमुच क़ाबिले तारीफ़ है। उन्होंने ज़ायोनी सरकार की जीवन की नसों पर वार किया, अमरीका ने धमकी दी और वो अमरीका से नहीं डरे।
आयतुल्लाह ख़ामेनेईः फ़िलिस्तीनी क़ौम के सपोर्ट में ज़ायोनी शासन की असली नसों पर यमन का वार क़ाबिले तारीफ़ है

दुनिया समझ गयी कि ग़ज़ा के अवाम मज़लूम और फ़ातेह हैं

16/01/2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने मंगलवार की सुबह पूरे मुल्क के नमाज़े जुमा के इमामों से मुलाक़ात की।
16/01/2024
ग़ज़ा और फ़िलिस्तीन के लोगों के बारे में दुनिया के लोग दो बातों को मानते हैं। एक ये कि ये मज़लूम हैं, दूसरे ये कि ये फ़ातेह हैं। इसे पूरी दुनिया मानती है।
16/01/2024
ग़ज़ा के अवाम की मदद के लिए #यमन के अवाम और #अंसारुल्लाह की सरकार ने जो कारनामा अंजाम दिया वह बहुत अज़ीम है। यमनियों ने ज़ायोनी सरकार की जीवन की नसों पर वार किया है। अमरीका ने धमकी दी तो उसे ध्यान के लायक़ नहीं समझा। इंसान को अगर अल्लाह का डर हो तो किसी और का डर नहीं रह जाता। इमाम ख़ामेनेई 16 जनवरी 2024
15/01/2024
डॉक्टर मसऊद असदुल्लाही का इंटरव्यू स्ट्रैटिजिक मामलों के माहिर डॉक्टर मसऊद असदुल्लाही ने Khamenei.ir बात करते हुए बताया कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध के मुजाहिदों का ईमान का जज़्बा और ज़ायोनी फ़ौज की ज़मीनी मोर्चे पर उतरने की स्ट्रैटिजिक लेहाज़ से ग़लती, ज़ायोनी फ़ौज की हार के सबसे अहम कारण हैं। उनके इंटरव्यू के कुछ अहम बिन्दु पेश हैं।
15/01/2024
इस इन्फ़ोग्राफ़ में ग़ज़ा जंग के 100 दिनों में ज़ायोनी सरकार के कुछ अपराधों पर भरोसेमंद स्रोतों के हवाले से एक नज़र डाली जा रही है।