27/10/2021
इस्लाम, समावेशी दीन है। इसकी समग्रता का हक़ अदा करना चाहिए। भौतिकवादी राजनैतिक ताक़तों की ज़िद है कि इस्लाम, व्यक्तिगत अमल और दिल की आस्था तक सीमित रहे। क़ुरआन, सैकड़ों आयतों में इसका खंडन करता है। इस्लाम की गतिविधियों का दायरा सामाजिक, राजनैतिक और वैश्विक विषयों तक फैला हुआ है।
इमाम ख़ामेनेई, 24 अक्तूबर 2021