अहले बैत की छत्रछाया में पलने वाली हस्ती के क़दम जब क़ुम में पड़े तो यह शहर इल्म का अमर स्रोत बन गया।
इमाम ख़ामेनेई, 12-06-2021
हज़रत फ़ातेमा मासूमा सलामुल्लाह अलैहा जब इस इलाक़े में पहुंचीं तो आपने क़ुम आने की इच्छा जतायी। लोग गए, उनका स्वागत किया, हज़रत मासूमा को इस शहर में ले आए और यह प्रकाशमयी जगह उस दिन इस महान हस्ती के स्वर्गवास के बाद से ही इस शहर में अपनी बर्कत बिखेर रही है। क़ुम के लोगों ने उसी दिन से इस शहर में अहले बैत अलैहेमुस्सलाम की शिक्षाओं का केन्द्र क़ायम किया। क़ुरआन के व्याख्याकर और इस्लामी व क़ुरआनी आदेश के प्रचारक पूरब से पश्चिम तक पूरे इस्लामी जगत में भेजे। क़ुम से ही ख़ुरासान, इराक़ और शाम्मात अर्थात सीरिया, लेबनान, जॉर्डन, फ़िलिस्तीन और तुर्की के विभिन्न क्षेत्रों में इल्म फैला।
इमाम ख़ामेनेई
19 अक्तूबर 2010
हज़रत फ़ातेमा मासूमा सलामुल्लाह अलैहा का क़ुम में जो किरदार रहा है और जिस तरह इस ऐतिहासिक व धार्मिक शहर को महानता मिली है, इससे कोई इंकार नहीं कर सकता। इस महान हस्ती ने, अहले बैत की छत्रछाया में पालन पोषण पाने वाली इस युवा महिला ने अहलेबैत के चाहने वालों के बीच अपनी कोशिशों से अहलेबैत अलैहेमुस सलाम की पहचान का जो चमन लगाया, उसके नतीजे में यह शहर अत्याचारी शासकों के शासन काल के उस अंधकारमय दौर में भी अहलेबैत की शिक्षाओं का केन्द्र बन गया और अहलेबैत की शिक्षा व ज्ञान की बर्कत से पूरब और पश्चिम में पूरे इस्लामी जगत में प्रकाश फैलने लगा। आज भी इस्लामी जगत में इल्म व अंतरज्ञान का केन्द्र क़ुम शहर है।
इमाम ख़ामेनेई
21 अक्तूबर 2010