आयतुल्लाह ख़ामेनेईः “हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम उसी सामर्रा शहर में जो दरअस्ल एक छावनी के ‎समान था, अपने व्यापक प्रचारिक व ज्ञान संबंधी नेटवर्क के ज़रिए पूरी इस्लामी दुनिया से संपर्क स्थापित करने में ‎कामयाब हुए। सिर्फ़ यह नहीं था कि आप नमाज़, रोज़ा या तहारत और नजासत के मसलों का जवाब देते थे। वह ‎एक इमाम की हैसियत से उस अंदाज़ में जो इस्लाम के मद्देनज़र है अपना पक्ष रखते थे और आम जन से ‎मुख़ातिब होते थे।”‎  इमाम ख़ामेनेई 10 मई 2003‎