इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने 9 जनवरी 2024 को कहाः "ज़ायोनी सरकार क़रीब 100 दिनों बाद, जबसे वो जुर्म कर रही है, अपने किसी भी लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकी है। फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध ज़िन्दा, ताज़ा दम और मुस्तैद है और वो सरकार थकी हुयी, लज्जित, पशेमान है और उसके माथे पर मुजरिम का ठप्पा लगा हुआ है।"
तीन महीने से ज़ायोनी सरकार जुर्म कर रही है। इतिहास इन अपराधों को भूलेगा नहीं, अल्लाह की मदद से ज़ायोनी सरकार के अंत, उसके विनाश और ज़मीन से उसका वजूद मिट जाने के बाद भी ये जुर्म भुलाए नहीं जाएंगे।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने क़ुम के अवाम के 9 जनवरी सन 1978 के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह पर इस शहर से आए हज़ारों लोगों से मुलाक़ात की।
1973 की जंग में रिचर्ड निक्सन की ओर से इस्राईल को दी गयी मदद, बाइडन की ओर से इस्राईल की दो जाने वाली मदद की तुलना में कुछ नहीं है। अमरीकी राष्ट्रपति ईसाई धर्म और कैथोलिक मत को मानने का सिर्फ़ दिखावा कर रहे हैं, ज़ायोनीवाद उनका असली मत है।
ग़ज़ा के वाक़ए में अमरीका रुसवा हो गया, पश्चिमी सभ्यता का असली चेहरा सामने आ गया। फ़िलिस्तीनी क़ौम ने पश्चिम को, अमरीका को, मानवाधिकार के झूठे दावों को रुसवा कर दिया। वाइट हाउस की असलियत सामने आ गई, अमरीका और ब्रिटेन की सरकार का असली चेहरा सामने आ गया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने बुधवार 3 जनवरी 2024 को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में हज़ारों ज़ाकिरों, ख़तीबों, मद्दाहों और शायरों से मुलाक़ात की।
सॉफ़्ट पावर यानी कोई ग्रुप जो तादाद में कम हो लेकिन फ़िक्री और नैतिक असर से सारी दुनिया का ध्यान आकर्षित कर ले। फ़िलिस्तीनी जिनके पास अपनी रक्षा का हथियार नहीं अपने सब्र व दृढ़ता से सारी दुनिया का ध्यान आकृष्ट करने में सफल हुए। सॉफ़्ट पावर और हार्ड पावर का फ़र्क़ इतना ज़्यादा है।
इमाम ख़ामेनेई
3 जनवरी 2024
इस्लामी जगत की सरहद आज ग़ज़ा में है। आज इस्लामी जगत की नब्ज़ ग़ज़ा में धड़क रही है। ग़ज़ा के लोग कुफ़्र की दुनिया, सरकशी की दुनिया, साम्राज्यवाद की दुनिया और अमरीका के मुक़ाबले में खड़े हुए हैं।
इस बात में बिलकुल भी शक न कीजिए कि एक दिन क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार जड़ से ख़त्म हो जाएगी। अल्लाह की मदद, ताक़त और इजाज़त से यह काम होकर रहेगा। आप नौजवान इंशाअल्लाह, उस दिन को अपनी आँखों से देखेंगे।
अगर अमरीका की तरफ़ से सामरिक मदद और समर्थन न होता तो भ्रष्ट, जाली और झूठी ज़ायोनी सरकार (7 अक्तूबर के बाद) पहले ही हफ़्ते में ख़त्म हो जाती, गिर जाती। अगर अमरीका की मदद न हो तो तय है कि ज़ायोनी सरकार कुछ ही दिनों में पैरालाइज़्ड हो जाएगी।
इमाम ख़ामेनेई
1नवम्बर 2023
अमरीका बमबारी रोकने और युद्ध विराम से संबंधित सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को बड़ी बेशर्मी से वीटो कर देता है। यानी दरअस्ल बच्चों, औरतों, बीमारों, बूढ़ों और निहत्थे अवाम पर बमबारी में हाथ बटा रहा है।
इमाम ख़ामेनेई
23 दिसम्बर 2023
अमरीका, युद्ध विराम के प्रस्ताव को यूएन सेक्युरिटी काउंसिल में बड़ी बेशर्मी से वीटो कर देता है। वीटो करने का मतलब क्या है? मतलब यह है कि वो बच्चों, औरतों, मरीज़ों, बूढ़ों और निहत्थे लोगों पर बम गिराने में ज़ायोनी सरकार का साथ देता है।
इमाम ख़ामेनेई
23/12/2023
ग़ज़ा के अवाम और ग़ज़ा के मुजाहेदीन पहाड़ की तरह डटे हुए हैं। खाने पीने की चीज़ें, दवाएं और ईंधन नहीं पहुंच रहा है लेकिन मज़बूती से खड़े हैं, हार मानने के लिए तैयार नहीं हैं। यही हार न मानने का जज़्बा उन्हें विजय दिलाएगा।
इमाम ख़ामेनेई
23 दिसम्बर 2023
अमरीका के हाथ ग़ज़ा में क़ाबिज़ ज़ायोनी हुकूमत के अपराधों और ग़ज़ा के मज़लूमों, बच्चों, बीमारों और औरतों के ख़ून में कोहनियों तक डूबे हुए हैं। अमरीका ही इसे मैनेज कर रहा है।
इमाम ख़ामेनेई
25 अक्तूबर 2023
तूफ़ान अलअक़सा ऑप्रेशन के बाद के मामले में अमरीका मुजरिमों के अपराध में पूरी तरह शामिल है। इन अपराधों में अमरीका के हाथ कोहनियों तक मज़लूमों, बच्चों, औरतों, बीमारों के ख़ून में डूबे हुए हैं। अमरीका ही है जो एक अलग अंदाज़ से इसे निर्देशित कर रहा है। ... अगर अमरीका का समर्थन और उसकी हथियारों की मदद न होती, तो भ्रष्ट, जाली व झूठा ज़ायोनी शासन, पहले हफ़्ते में ही ख़त्म हो गया होता, गिर गया होता ।
25/10/2023 और 1/11/2023
अपने ऑप्रेश्नल और टैक्टिकल गोल में से किसी एक को भी हासिल न कर पाने की वजह से हताश, ज़ायोनी शासन एक बार फिर फ़िलिस्तीनी नागरिकों पर अपनी खीझ निकाल रहा है, सौरभ कुमार शाही के क़लम से।
आज से कुछ महीने पहले शायद ही कोई यह सोच सकता था कि अमरीकी सरकार की एक सबसे बड़ी चिंता व मुश्किल विदेश नीति का विषय होगा। क्योंकि कभी भी संयुक्त राज्य अमरीका में चुनाव पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों का बहुत ज़्यादा असर नहीं होता और वो इस मुल्क के राष्ट्रपति की लोकप्रियता को प्रभावित करने की बहुत ज़्यादा क्षमता नहीं रखते।
आर्थिक सहयोग को केन्द्र में रखकर अमरीका विरोधी देशों का एलायंस अहम अंतर्राष्ट्रीय मसलों जैसे फ़िलिस्तीन के विषय में समान और असरदार स्टैंड ले सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
4 दिसम्बर 2023
क्यूबा के राष्ट्रपति से मुलाक़ात में आयतुल्लाह ख़ामेनेईः
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने सोमवार को क्यूबा के राष्ट्रपति मिगेल डियाज़ कैनल और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात की। इस मौक़े पर उन्होंने दोनों मुल्कों के बीच राजनैतिक व आर्थिक मैदान में मौजूद अपार क्षमताओं व संभावनाओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि इन सलाहियतों और संभावनाओं को अमरीका और पश्चिम की मुंहज़ोरी से निपटने के लिए समान स्टैंड रखने वाले मुल्कों का एक अलायंस बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
कहते हैं कि “स्पोर्ट्स सियासी चीज़ नहीं है! ” लेकिन जब उन्हें स्पोर्ट्स में सियासत करने की ज़रूरत महसूस होती है तो स्पोर्ट्स में बदतरीन अंदाज़ से सियासत करते हैं। जंग के बहाने एक मुल्क को खेल के सारे अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों से महरूम कर देते हैं, लेकिन यही लोग ग़ज़ा में 5000 शहीद बच्चों को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
22 नवम्बर 2023
मैं शुक्रिया अदा करता हूं उन सभी खिलाड़ियों का जिन्होंने किसी न किसी तरह, फ़िलिस्तीन का समर्थन किया और इस समर्थन का पूरी दुनिया के सामने, छुप कर नहीं, खुल कर एलान किया, अपने मेडल ग़ज़्ज़ा के बच्चों को दिये।
ग़ज़ा के अवाम ने अपने सब्र से, अपने रेज़िस्टेंस से, पीछे हटने से अपने इंकार के ज़रिए अमरीका, फ़्रांस और ब्रिटेन वग़ैरा के चेहरों से मुनाफ़ेक़त का पर्दा हटा दिया, उन्हें बेनक़ाब कर दिया।
इमाम ख़ामेनेई
1 नवम्बर 2023
यह त्रासदी जो क़रीब 50 दिन में घटी, उन अपराधों का निचोड़ है जो ज़ायोनी सरकार पिछले 75 साल से फ़िलिस्तीन में अंजाम दे रही है। क़त्ले आम करती है, अवाम को बेघर करती है, उनके घरों को ढा देती है।
इमाम ख़ामेनेई
1/11/2023
ईरानी आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने रविवार 19 नवंबर 2023 की सुबह सिपाहे पासदाराने इंक़ेलाब की ‘आशूरा एरोस्पेस साइंसेज़ यूनिवर्सिटी’ पहुंच कर डेढ़ घंटे तक आईआरजीसी की एरोस्पेस फ़ोर्स की उपलब्धियों की प्रदर्शनी का मुआइना किया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने एरोस्पेस साइंस एंड टेक्नालोजी युनिवर्सिटी 'आशूरा' का दौरा किया और सिपाहे पासदाराने इंक़ेलाब की एरोस्पेस फ़ोर्स की नई उपलब्धियों का मुआइना किया।
19 नवम्बर 2023
अमरीका के राष्ट्रपति, जर्मनी के चांसलर, फ़्रांस के राष्ट्रपति और ब्रिटेन के प्रधान मंत्री, ये सबके सब नस्लपरस्ती को मानते हैं और नस्लपरस्ती का किसी भी तरह विरोध नहीं करते हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 19 नवम्बर 2023 को सिपाहे पासदाराने इंक़ेलाब की एरोस्पेस फ़ोर्स की उपलब्धियों और आविष्कारों की प्रदर्शनी का मुआइना करने के बाद स्पीच दी। उन्होंने रिसर्च के बारे में कुछ निर्देश दिए और साथ ही ग़ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी शासन के हमलों के बारे में भी बात की।
यह जंग ग़ज़ा और इस्राईल की जंग नहीं सत्य और असत्य की जंग है, साम्राज्यवाद और ईमान की जंग है। इम्पेरियलिस्ट ताक़तें बमों, सैनिक दबाव, त्रास्दियों और अपराधों के साथ आगे आती हैं और ईमान की ताक़त अल्लाह की मदद से इन सब पर विजय हासिल करेगी।
इमाम ख़ामेनेई
1 नवम्बर 2023
ग़ज़ा के अवाम ने अपने सब्र से पूरी इंसानियत के ज़मीर को झिंझोड़ दिया। यहां तक कि ब्रिटेन, फ़्रांस और अमरीका में जनसैलाब निकलता है और इस्राईल के ख़िलाफ़ और अमरीकी सरकार के ख़िलाफ़ नारे लगाता है।
इमाम ख़ामेनेई
ग़ज़ा के अवाम ने अपने सब्र से पूरी इंसानियत के ज़मीर को झिंझोड़ दिया। यहां तक कि ख़ुद पश्चिमी देशों में, ब्रिटेन, फ़्रांस और संयुक्त राज्य अमरीका में जनसैलाब निकलता है और इस्राईल के ख़िलाफ़ और अमरीकी सरकार के ख़िलाफ़ नारे लगाता है। दुनिया में यह लोग बेइज़्ज़त हो गए।
इमाम ख़ामेनेई
1 नवम्बर 2023
अमरीकी ग़ज़ा में जारी ज़ायोनियों के अपराधों में शरीक हैं। अगर उनकी सामरिक व राजनैतिक मदद न हो तो ज़ायोनी सरकार अपनी कार्यवाहियां जारी रख पाने के क़ाबिल नहीं रहेगी।
इमाम ख़ामेनेई
6 नवम्बर 2023
ग़ज़ा में इस बड़े पैमाने पर क़त्ले आम के बाद भी अब तक इस लड़ाई में हारा हुआ पक्ष ज़ायोनी शासन ही है क्योंकि वो मिट्टी में मिल चुकी इज़्ज़त दोबारा हासिल नहीं कर सका और आइंदा भी यह काम नहीं कर पाएगा।
इमाम ख़ामेनेई
6 नवम्बर 2023
इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने आज सुबह इराक़ के प्रधानमंत्री मुहम्मद शेया अलसूदानी से मुलाक़ात में ग़ज़ा की पीड़ित जनता के समर्थन में इराक़ की सरकार और जनता के अच्छे और ठोस स्टैंड की प्रशंसा की। उन्होंने ग़ज़ा में क़त्ले आम रुकवाने के लिए इस्लामी दुनिया की तरफ़ से अमरीका और ज़ायोनी सरकार पर सियासी दबाव बढ़ाए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।