आज #फिलिस्तीन को समर्थन की ज़रूरत है। इस्लामी जम्हूरिया ईरान इस मसले में इनके-उनके इंतेज़ार में नहीं रहा और न आइंदा रहेगा। लेकिन अगर मुस्लिम क़ौमों और सरकारों के ताक़तवर हाथ सहयोग करते तो प्रभाव बहुत बढ़ जाता। यह फ़र्ज़ है।
अगर बीस साल और तीस साल बाद तक इस हुकूमत को बचाए रखना चाहें, कि जो उनके बस की बात नहीं है, तो भी मुश्किल हल होने वाली नहीं है। मुश्किल तब हल होगी जब फ़िलिस्तीन उसके अस्ली मालिकों को वापस मिल जाए।
यह चीज़ कि #फ़िलिस्तीन का मुद्दा #लंदन में #पैरिस में और #वाशिंग्टन में पहले नंबर का मुद्दा बन जाए मामूली बात नहीं है। इसकी कोई नज़ीर नहीं है। साफ़ ज़ाहिर है कि इस्लामी दुनिया में एक नई तब्दीली आ रही है।
अफ़सोसनाक है कि फ़िलिस्तीन के मसले में इस्लामी हुकूमतें ज़ायोनी सरकार की मदद कर रही हैं। ज़ायोनी जब किसी देश में क़दम रखते हैं तो मच्छर की तरह उस देश का ख़ून चूसते हैं, अपने स्वार्थ के लिए। इमाम ख़ामेनेई 10 अप्रैल 2024
फ़िलिस्तीनियों के लिए ज़ैतून आर्थिक पहलू के साथ ही एक प्रतीक भी है। रेज़िस्टेंस का प्रतीक, संयम का प्रतीक और उस सरज़मीन से जुड़ाव का प्रतीक जिसका नाम फ़िलिस्तीन है।
वृक्षारोपण दिवस पर पौधे लगाने के बाद इस्लामी इंक़ेलाब के नेताः
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने वृक्षारोपण दिवस पर मंगलवार 5 मार्च 2024 को सुबह 3 पौधे लगाने के बाद 1 मार्च के चुनाव में भरपूर भागीदारी पर अवाम का शुक्रिया अदा किया और कहा कि चुनावों में ईरानी क़ौम की शिरकत एक सामाजिक व सांस्कृतिक फ़रीज़े को अदा करना और एक जेहाद था।
सॉफ़्ट पावर यानी कोई ग्रुप जो तादाद में कम हो लेकिन फ़िक्री और नैतिक असर से सारी दुनिया का ध्यान आकर्षित कर ले। फ़िलिस्तीनी जिनके पास अपनी रक्षा का हथियार नहीं अपने सब्र व दृढ़ता से सारी दुनिया का ध्यान आकृष्ट करने में सफल हुए। सॉफ़्ट पावर और हार्ड पावर का फ़र्क़ इतना ज़्यादा है।
इमाम ख़ामेनेई
3 जनवरी 2024
आज से कुछ महीने पहले शायद ही कोई यह सोच सकता था कि अमरीकी सरकार की एक सबसे बड़ी चिंता व मुश्किल विदेश नीति का विषय होगा। क्योंकि कभी भी संयुक्त राज्य अमरीका में चुनाव पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों का बहुत ज़्यादा असर नहीं होता और वो इस मुल्क के राष्ट्रपति की लोकप्रियता को प्रभावित करने की बहुत ज़्यादा क्षमता नहीं रखते।
आर्थिक सहयोग को केन्द्र में रखकर अमरीका विरोधी देशों का एलायंस अहम अंतर्राष्ट्रीय मसलों जैसे फ़िलिस्तीन के विषय में समान और असरदार स्टैंड ले सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
4 दिसम्बर 2023
हमने अपना फ़ारमूला पेश कर दिया है। फ़िलिस्तीन में रेफ़्रेंडम। क़ाबिज़ ज़ायोनियों को इसमें शिरकत का हक़ नहीं है ... अगर यही रेज़िस्टेंस के युनिट्स अपने पुख़्ता इरादे से अपनी मांगें पूरी करने के लिए काम करें तो यह होकर रहेगा। फ़िलिस्तीन के मसले का हल इंशाअल्लाह नया पश्चिमी एशिया देखेगा।
इमाम ख़ामेनेई
29 नवम्बर 2023
आर्थिक सहयोग को केन्द्र में रखकर अमरीका विरोधी देशों का एलायंस अहम अंतर्राष्ट्रीय मसलों जैसे फ़िलिस्तीन के विषय में समान और असरदार स्टैंड ले सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
4 दिसम्बर 2023
कहते हैं कि “स्पोर्ट्स सियासी चीज़ नहीं है! ” लेकिन जब उन्हें स्पोर्ट्स में सियासत करने की ज़रूरत महसूस होती है तो स्पोर्ट्स में बदतरीन अंदाज़ से सियासत करते हैं। जंग के बहाने एक मुल्क को खेल के सारे अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों से महरूम कर देते हैं, लेकिन यही लोग ग़ज़ा में 5000 शहीद बच्चों को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
22 नवम्बर 2023
मैं शुक्रिया अदा करता हूं उन सभी खिलाड़ियों का जिन्होंने किसी न किसी तरह, फ़िलिस्तीन का समर्थन किया और इस समर्थन का पूरी दुनिया के सामने, छुप कर नहीं, खुल कर एलान किया, अपने मेडल ग़ज़्ज़ा के बच्चों को दिये।
यह त्रासदी जो क़रीब 50 दिन में घटी, उन अपराधों का निचोड़ है जो ज़ायोनी सरकार पिछले 75 साल से फ़िलिस्तीन में अंजाम दे रही है। क़त्ले आम करती है, अवाम को बेघर करती है, उनके घरों को ढा देती है।
इमाम ख़ामेनेई
1/11/2023
इस्लामी दुनिया यह न भूले कि इस अहम व निर्णायक मसले में इस्लाम के मुक़ाबले में, मुस्लिम क़ौम के मुक़ाबले में, मज़लूम फ़िलिस्तीन के मुक़ाबले में जो खड़ा है वह अमरीका है, फ़्रांस है, ब्रिटेन है।
यह जो पश्चिम के ज़ालिम और दुष्ट मुल्कों के नेता मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन के बार बार दौरे कर रहे हैं, इसकी वजह यह है कि वो ज़ायोनी शासन को बिखरता हुआ देख रहे हैं। वो ख़ूब समझ रहे हैं। उसे बचाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि जो वार पड़ा है वह बहुत गहरा और निर्णायक वार था।
इमाम ख़ामेनेई
25 अक्तूबर 2023
मुस्लिम सरकारें यह न करें कि अगर अमरीकी और कुछ पश्चिमी देश, अपने घर और वतन की रक्षा करने वालों को आतंकवादी कह रहे हैं तो वे भी यही दोहराना शुरू कर दें! आतंकवादी तो वह जाली सरकार है जिसने फ़िलिस्तीन को हड़प लिया है।
इमाम ख़ामेनेई
25 अक्तूबर 2023
सारी इस्लामी दुनिया का फ़र्ज़ है कि फ़िलिस्तीनियों की हिमायत करे और इंशाअल्लाह करेगी। ज़हीन रणनीतिकारों, बहादुर नौजवानों, सरफ़रोश कार्यकर्ताओं ने यह कारनामा अंजाम दिया। यह साहसिक कारनामा इंशाअल्लाह फ़िलिस्तीन की रिहाई की तरफ़ बड़ा क़दम साबित होगा।
इमाम ख़ामेनेई
10 अक्तूबर 2023
फ़िलिस्तीन के मामले में जो चीज़ पूरी दुनिया की नज़रों के सामने है वह क़ाबिज़ सरकार के हाथों नस्ली सफ़ाए का जुर्म है। यह पूरी दुनिया देख रही है। अब तक ग़ज़्ज़ा के कई हज़ार फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं, इन्हीं कुछ दिनों में। आज की क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार पर निश्चित तौर पर मुक़दमा चलाया जाना चाहिए।
फ़िलिस्तीन के मसले में जो चीज़ सारी दुनिया की निगाहों के सामने है वह क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार के हाथों होने वाला नस्ली सफ़ाया है। यह सारी दुनिया देख रही है।
इमाम ख़ामेनेई
17 अक्तूबर 2023
यह काम, ख़ुद फ़िलिस्तीनियों का है, सूझ बूझ रखने वाले रणनीतिकार, बहादुर नौजवान, जान हथेली पर रख कर घूमने वाले जवानों ने बहादुरी की यह दास्तान लिखी है और इन्शाअल्लाह यह कारनामा, फ़िलिस्तीन को छुटकारा दिलाने की राह में एक बड़ा क़दम होगा।
यह क़ाबिज़ (ज़ायोनी) सरकार कुछ भी हो मज़लूम तो हरगिज़ नहीं है। यह ज़ालिम है, हमलावर है, जाहिल है, उल्टी बातें करने वाली है, यह सब है, मज़लूम नहीं है, ज़ालिम है।
इमाम ख़ामेनेई
3 अक्तूबर 2023
दुश्मन का यह अंदाज़ा भी ग़लत है कि अगर वह विक्टिम कार्ड खेलेगा तो इस तरह वो अपने अपराधिक हमले जारी रख सकेगा। यक़ीनी तौर पर इस्लामी दुनिया को इन अपराधों के सामने चुप नहीं रहना चाहिए, प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए।
इस ज़ालिम हुकुमत ने फ़िलिस्तीनी औरतों, मर्दों, बच्चों, बूढ़ों पर रहम नहीं किया, मस्जिदुल अक़्सा के सम्मान का ख़्याल नहीं रखा, उसने ज़ायोनी कालोनियों में रहने वालों को पागल कुत्तों की तरह फ़िलिस्तीनियों पर छोड़ दिया, नमाज़ियों को पैरों तले रौंदा गया, तो इतने ज़ुल्म और अपराधों के मुक़ाबले में एक क़ौम क्या करे?
यह आफ़त ख़ुद ज़ायोनियों ने अपनी हरकतों से ख़ुद अपने सरों पर नाज़िल की है। जब ज़ुल्म और अपराध हद से गुज़र जाएं, जब दरिंदगी अपनी हद पार कर ले तो फिर तूफ़ान के लिए तैयार रहना चाहिए।
इस्लामी गणराज्य ईरान की इमाम अली अलैहिस्सलाम आर्मी युनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन समारोह को संबोधित करते हुए इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के महत्व को बयान किया। 10 अक्तूबर 2023 को उन्होंने फ़िलिस्तीन के हालात पर बात करते हुए कहा कि ज़ायोनी सरकार को इंटेलीजेंस और सामरिक पहलू से इतना बड़ा नुक़सान पहुंचा है कि जिसकी भरपाई आसान नहीं है। 7 अक्तूबर के बाद का ज़ायोनी शासन इस तारीख़ से पहला वाला ज़ायोनी शासन नहीं रह गया है। (1)
आयतुल्लाह ख़ामेनेई की स्पीच का अनुवाद पेश हैः
ज़ायोनी सरकार मिट जाने वाली है। आज फ़िलिस्तीनी आंदोलन इन 70-80 बरसों में पहले से ज़्यादा अच्छी पोज़ीशन में है। आज फ़िलिस्तीनी नौजवान और फ़िलिस्तीनी आंदोलन नाजायज़ क़ब्ज़े के ख़िलाफ़, ज़ुल्म के ख़िलाफ़ और ज़ायोनीवाद के ख़िलाफ़ पहले से ज़्यादा ताक़तवर, मज़बूत और तैयार है और इंशाअल्लाह यह कैंसर जड़ से ख़त्म हो जाएगा।
इमाम ख़ामेनेई
3/10/2023
जैसा कि इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह ने क़ाबिज़ हुकूमत को कैंसर कहा है, अल्लाह के करम से इंशाअल्लाह निश्चित तौर पर फ़िलिस्तीनी अवाम के हाथों और रेज़िस्टेन्स फ़ोर्सेज़ के हाथों इस कैंसर को जड़ से काट दिया जाएगा।
इमाम ख़ामेनेई
इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह ने इस्लामी तहरीक के आग़ाज़ के वक़्त ही दिल के ईमान और अक़ीदे की बुनियाद पर फ़िलिस्तीन की हिमायत की और इस्लामी जमहूरिया की तरफ़ से भी इस हिमायत की बुनियाद इस्लामी शरीअत और फ़िक़्ह है टैकटिक और डिप्लोमैसी नहीं।
इमाम ख़ामेनेई
21 जून 2023