फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद,आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद,आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
फ़िलिस्तीन के मसले को भुला दिए जाने की साम्राज्यावादियों और ज़ायोनी सरकार के समर्थकों की कोशिशों के बावजूद,आज फ़िलिस्तीन का नाम पहले से ज़्यादा उज्जवल है।
सैयद अली ख़ामेनेई
30 मई 2025
कौन कह सकता है कि इस वहशियाना ज़ुल्म और ख़ून-ख़राबे के सिलसिले में इंसान की कोई ज़िम्मेदारी नहीं? कौन यह बात कर सकता है? हम सबकी ज़िम्मेदारी है।
इमाम ख़ामेनेई
12 मई 2025
इस्लामी इंक़लाब के नेता ने दो दिन पहले, सोमवार 12 मई 2025 को शहीद सहायताकर्मियों पर राष्ट्रीय सेमीनार के आयोजकों से मुलाक़ात की थी। इस मौक़े पर उनकी स्पीच आज 14 मई की शाम को सेमीनार में प्रसारित की गई।
आज इस्लामी दुनिया का एक हिस्सा बुरी तरह घायल है; फ़िलिस्तीन घायल है... इस्लामी दुनिया को यह सब देखना चाहिए, समझना चाहिए और फ़िलिस्तीनियों के दुख-दर्द को अपना दुख-दर्द समझना चाहिए और अपनी ज़िम्मेदारी महसूस करना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
31 मार्च 2025
हम जब भी इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की सेवा में पहुंचते और क्षेत्र के हालात के बारे में उनसे बात करते तो वे मुस्कुराते थे और कहते थे कि हमें रेज़िस्टेंस के रास्ते को जारी रखना होगा और इंशाअल्लाह समझौते की साज़िश सफल नहीं होगी।
फ़िलिस्तीन किसका है? क़ाबिज़ कहाँ से आए हैं? कोई भी अंतर्राष्ट्रीय संगठन फ़िलिस्तीनी क़ौम पर एतेराज़ करने का हक़ नहीं रखता कि वह क्यों क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार के ख़िलाफ़ सीना तान कर खड़ी है। किसी को हक़ नहीं है। जो लोग फ़िलिस्तीनी राष्ट्र की मदद कर रहे हैं वे भी अस्ल में अपने फ़रीज़े पर अमल कर रहे हैं।
इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 25 सितम्बर 2024 की सुबह पवित्र डिफ़ेंस और रेज़िस्टेंस के मैदान में सक्रिय हज़ारों लोगों और सीनियर सैनिकों से मुलाक़ात में थोपी गई जंग की शुरुआत के कारणों पर रौशनी डालते हुए नई बात और कशिश को दुनिया पर शासन करने वाली भ्रष्ट व्यवस्था के मुक़ाबले में इस्लामी गणतंत्र के दो अहम तत्व क़रार दिया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने, गुरूवार को सुबह तेहरान यूनिवर्सिटी के परिसर में हमास के पोलित ब्यूरो प्रमुख शहीद इस्माईल हनीया और उनके साथ शहीद हुए शहीद वसीम अबू शाबान की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई।
हम एहतियात और तकल्लुफ़ से काम लें और खुलकर यह बात न कहें या न कह सकें लेकिन दूसरे खुलकर यह बात कह रहे हैं कि ये वाक़ए जो दुनिया में फ़िलिस्तीन के हित में हो रहे हैं, उनमें से ज़्यादातर का स्रोत इस्लामी इंक़ेलाब की आत्मा और इस्लामी गणराज्य की आत्मा है।
जो लोग तुम्हें क़त्ल करते हैं, तुमसे जंग करते हैं, तुम्हें तुम्हारे वतन से भगा देते हैं या उन लोगों की मदद करते हैं जिन्होंने तुम्हें तुम्हारे घरों से निकाल दिया है तो उनसे संपर्क रखने या उन की तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाने का तुम्हें हक़ नहीं है।
दुनिया के बुनियादी विषयों के बारे में इस्लामी जम्हूरिया ईरान का एक स्टैंड है, एक नज़रिया है। फ़िलिस्तीन के मसले में हमारा एक स्टैंड है, अमरीका से जुड़े विषयों के बारे में हमारा एक स्टैंड है, न्यु वर्ल्ड आर्डर के मसले में हमारा एक नज़रिया है, हमारा स्टैंड है और दुनिया इसको मानती है। यही स्वाधीनता है।
"फ़िलिस्तीन" नामक किताब फ़िलिस्तीन के बारे में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के वर्णन और समीक्षा पर आधारित बयानों और उनकी ओर से पेश किए गए हल का संग्रह है। फ़िलिस्तीन के मसले में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के विचारों की अहमियत और निर्णायक हैसियत सहित इस वक़्त के ख़ास हालात के मद्देनज़र इस किताब के अरबी, अंग्रेज़ी, रूसी, तुर्की इस्तांबोली और दूसरी ज़बानों में अनुवाद प्रकाशित हुए हैं।
हमें यक़ीन है कि फ़िलिस्तीन के मुसलमान अवाम की जद्दोजेहद और इस्लामी दुनिया की ओर से उनका सपोर्ट जारी रहने से अल्लाह के करम से फ़िलिस्तीन आज़ाद होगा और बैतुल मुक़द्दस, मस्जिदुल अक़सा और इस सरज़मीन के दूसरे पवित्र स्थल इस्लामी दुनिया की आग़ोश में वापस आ जाएंगे, इंशाअल्लाह। और अल्लाह तो हर काम पर पूर्ण सामर्थ्य रखता है।
इमाम ख़ामेनेई
24 अप्रैल 2001
आज #फिलिस्तीन को समर्थन की ज़रूरत है। इस्लामी जम्हूरिया ईरान इस मसले में इनके-उनके इंतेज़ार में नहीं रहा और न आइंदा रहेगा। लेकिन अगर मुस्लिम क़ौमों और सरकारों के ताक़तवर हाथ सहयोग करते तो प्रभाव बहुत बढ़ जाता। यह फ़र्ज़ है।
अगर बीस साल और तीस साल बाद तक इस हुकूमत को बचाए रखना चाहें, कि जो उनके बस की बात नहीं है, तो भी मुश्किल हल होने वाली नहीं है। मुश्किल तब हल होगी जब फ़िलिस्तीन उसके अस्ली मालिकों को वापस मिल जाए।
यह चीज़ कि #फ़िलिस्तीन का मुद्दा #लंदन में #पैरिस में और #वाशिंग्टन में पहले नंबर का मुद्दा बन जाए मामूली बात नहीं है। इसकी कोई नज़ीर नहीं है। साफ़ ज़ाहिर है कि इस्लामी दुनिया में एक नई तब्दीली आ रही है।
अफ़सोसनाक है कि फ़िलिस्तीन के मसले में इस्लामी हुकूमतें ज़ायोनी सरकार की मदद कर रही हैं। ज़ायोनी जब किसी देश में क़दम रखते हैं तो मच्छर की तरह उस देश का ख़ून चूसते हैं, अपने स्वार्थ के लिए। इमाम ख़ामेनेई 10 अप्रैल 2024
फ़िलिस्तीनियों के लिए ज़ैतून आर्थिक पहलू के साथ ही एक प्रतीक भी है। रेज़िस्टेंस का प्रतीक, संयम का प्रतीक और उस सरज़मीन से जुड़ाव का प्रतीक जिसका नाम फ़िलिस्तीन है।
वृक्षारोपण दिवस पर पौधे लगाने के बाद इस्लामी इंक़ेलाब के नेताः
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने वृक्षारोपण दिवस पर मंगलवार 5 मार्च 2024 को सुबह 3 पौधे लगाने के बाद 1 मार्च के चुनाव में भरपूर भागीदारी पर अवाम का शुक्रिया अदा किया और कहा कि चुनावों में ईरानी क़ौम की शिरकत एक सामाजिक व सांस्कृतिक फ़रीज़े को अदा करना और एक जेहाद था।
सॉफ़्ट पावर यानी कोई ग्रुप जो तादाद में कम हो लेकिन फ़िक्री और नैतिक असर से सारी दुनिया का ध्यान आकर्षित कर ले। फ़िलिस्तीनी जिनके पास अपनी रक्षा का हथियार नहीं अपने सब्र व दृढ़ता से सारी दुनिया का ध्यान आकृष्ट करने में सफल हुए। सॉफ़्ट पावर और हार्ड पावर का फ़र्क़ इतना ज़्यादा है।
इमाम ख़ामेनेई
3 जनवरी 2024
आज से कुछ महीने पहले शायद ही कोई यह सोच सकता था कि अमरीकी सरकार की एक सबसे बड़ी चिंता व मुश्किल विदेश नीति का विषय होगा। क्योंकि कभी भी संयुक्त राज्य अमरीका में चुनाव पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों का बहुत ज़्यादा असर नहीं होता और वो इस मुल्क के राष्ट्रपति की लोकप्रियता को प्रभावित करने की बहुत ज़्यादा क्षमता नहीं रखते।
आर्थिक सहयोग को केन्द्र में रखकर अमरीका विरोधी देशों का एलायंस अहम अंतर्राष्ट्रीय मसलों जैसे फ़िलिस्तीन के विषय में समान और असरदार स्टैंड ले सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
4 दिसम्बर 2023
हमने अपना फ़ारमूला पेश कर दिया है। फ़िलिस्तीन में रेफ़्रेंडम। क़ाबिज़ ज़ायोनियों को इसमें शिरकत का हक़ नहीं है ... अगर यही रेज़िस्टेंस के युनिट्स अपने पुख़्ता इरादे से अपनी मांगें पूरी करने के लिए काम करें तो यह होकर रहेगा। फ़िलिस्तीन के मसले का हल इंशाअल्लाह नया पश्चिमी एशिया देखेगा।
इमाम ख़ामेनेई
29 नवम्बर 2023
आर्थिक सहयोग को केन्द्र में रखकर अमरीका विरोधी देशों का एलायंस अहम अंतर्राष्ट्रीय मसलों जैसे फ़िलिस्तीन के विषय में समान और असरदार स्टैंड ले सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
4 दिसम्बर 2023
कहते हैं कि “स्पोर्ट्स सियासी चीज़ नहीं है! ” लेकिन जब उन्हें स्पोर्ट्स में सियासत करने की ज़रूरत महसूस होती है तो स्पोर्ट्स में बदतरीन अंदाज़ से सियासत करते हैं। जंग के बहाने एक मुल्क को खेल के सारे अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों से महरूम कर देते हैं, लेकिन यही लोग ग़ज़ा में 5000 शहीद बच्चों को बिल्कुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
22 नवम्बर 2023
मैं शुक्रिया अदा करता हूं उन सभी खिलाड़ियों का जिन्होंने किसी न किसी तरह, फ़िलिस्तीन का समर्थन किया और इस समर्थन का पूरी दुनिया के सामने, छुप कर नहीं, खुल कर एलान किया, अपने मेडल ग़ज़्ज़ा के बच्चों को दिये।
यह त्रासदी जो क़रीब 50 दिन में घटी, उन अपराधों का निचोड़ है जो ज़ायोनी सरकार पिछले 75 साल से फ़िलिस्तीन में अंजाम दे रही है। क़त्ले आम करती है, अवाम को बेघर करती है, उनके घरों को ढा देती है।
इमाम ख़ामेनेई
1/11/2023