उन्होंने कहा कि दुश्मनों ने क़रीब एक साल तक अपने प्रोपैगंडों के ज़रिए कोशिश की कि अवाम को चुनावों में भाग न लेने के लिए उकसाएं और इलेक्शन की रौनक़ ख़त्म कर दें लेकिन अवाम 1 मार्च को अपने अज़ीम क़दम से दुश्मन के मुक़ाबले पर आ गए, इसलिए यह काम जेहाद था। उन्होंने चुनाव का आयोजन कराने वालों, चुनाव की कंपेनिंग करने वालों और चुनावों के दौरान अम्न व सुरक्षा बनाए रखने वालों का भी शुक्रिया अदा किया और उनकी क़द्रदानी की।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इसी तरह सीस्तान व बलोचिस्तान प्रांत के कुछ इलाक़ों में आने वाली बाढ़ और लोगों को पहुंचने वाले नुक़सान की ओर भी इशारा किया और बल दिया कि सरकारी और ग़ैर सरकारी विभागों की ओर से मदद का जो काम हो रहा है, उसे जरी रहना चाहिए और जो लोग मदद पहुंचाने के काम में शिरकत कर सकते हैं, उन्हें ये काम ज़रूर करना चाहिए।

उन्होंने वृक्षारोपण दिवस की ओर इशारा करते हुए, पेड़ लगाने को एक कम ख़र्च और ज़्यादा फ़ायदा देने वाला पूंजि निवेश बताया और कहा कि पेड़ में हवा में ऑक्सीजन बढ़ाने और प्रदूषण पैदा करने वाले तत्वों से मुक़ाबले जैसी ख़ूबियों के मद्देनज़र ये एक फ़ायदेमंद पूंजिनिवेश है, ख़ास तौर पर आजकी ज़िंदगी के हालात में कि जब अफ़सोस कि प्रदूषण पैदा करने वाले तत्वों की तादाद बढ़ गयी है।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने प्रकृति के साथ इंसान के संबंध और इसी तरह प्रकृति की देखभाल पर इस्लाम की ताकीद का ज़िक्र करते हुए, वृक्षारोपण की ज़्यादा अहमियत को दर्शाने के लिए ज़ैतून के एक पौधे सहित 3 पौधे लगाए जाने की ओर इशारा किया और कहा कि फ़िलिस्तीन के मज़लूम और साथ ही ताक़तवर अवाम से एकता व समरस्ता दर्शाने के लिए आज जो पौधे लगाए गए उनमें से एक ज़ैतून का था और यह सांकेतिक क़दम अस्ल में उनसे लगाव का इज़हार था और हम ये कहना चाहते हैं कि हम हमेशा उन्हें याद रखते हैं यहाँ तक कि पौधा लगाते वक़्त भी फ़िलिस्तीन के लोग हमें याद रहते हैं।