पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी के एलान की ईद, ईदे बेसत के मौक़े पर मंगलवार 28 जनवरी 2025 की सुबह मुल्क की कार्यपालिका, विधिपालिका और न्यायपालिका के अध्यक्षों, मुल्क के आला अधिकारियों, तेहरान में नियुक्त इस्लामी मुल्कों के राजदूतों और समाज के मुख़्तलिफ़ वर्ग के लोगों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
इस मौक़े पर अपने ख़ेताब में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने ईरानी क़ौम, इस्लामी जगत और दुनिया भर में आज़ादी के समर्थकों को ईदे बेसत की मुबारकबाद पेश करते हुए, बेसत से प्रेरणा लेने वाले इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी के महीने ‘बहमन’ में इस ईद के आगमन की ओर इशारा करते हुए कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम की बेसत, मानव इतिहास के सबसे बड़े और सबसे श्रेष्ठ वाक़यों में से एक है क्योंकि इसने विचार और सोच की दुनिया में बड़ा बदलाव लाते हुए उस दौर के और उसके बाद के दौर के लोगों में एक बड़ी बेमिसाल तबदीली पैदा की।
उन्होंने मौजूदा ज़माने में रेज़िस्टेंस मोर्चे को पैग़म्बरे इस्लाम की बेसत की ही एक किरण बताया जो ईरान के इस्लामी इंक़ेलाब से शुरू हुयी है। उन्होंने ग़ज़्ज़ा की हैरतअंगेज़ फ़तह की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस छोटे और सीमित इलाक़े ने सिर से पैर तक हथियारों से लैस और अमरीका द्वारा समर्थित ज़ायोनी सरकार को धूल चटाने में कामयाबी हासिल की और यह फ़तह अक़्ल, ईमान, अल्लाह से उम्मीद रखने और अल्लाह की ताक़त पर भरोसे से हासिल हुयी है।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने शहीद हसन नसरुल्लाह को खोने जैसे नुक़सान के बावजूद विजयी हिज़्बुल्लाह की दृढ़ता को मौजूदा दौर में रेज़िस्टेंस के शानदार कारनामों की एक और मिसाल बताया और कहा कि दुनिया में हसन नसरुल्लाह जैसे क़ीमती और महान इंसान कितने हैं? ऐसी हस्ती को खोने और दोस्त तथा दुश्मन के यह सोचने के बावजूद कि हिज़्बुल्लाह का काम तमाम हो गया, हिज़्बुल्लाह ने दिखा दिया कि न सिर्फ़ यह कि वह ख़त्म नहीं हुआ है बल्कि कुछ मौक़ों पर उसने ज़्यादा मज़बूत जज़्बे के साथ ज़ायोनी सरकार मुक़ाबला किया। उन्होंने सभी ख़ास तौर पर मुल्क के अधिकारियों के लिए दुनिया के आज के वाक़यों पर गहरी नज़र रखने को ज़रूरी बताया और इंसानी समाज को लूटने के लिए साम्राज्यवाद के रवैये की व्याख्या करते हुए कहा कि साम्राज्यवाद का इतिहास तीन चरण दिखाता है, क़ौमों के प्राकृतिक संसाधन की लूट, सांस्कृतिक लूट और मूल संस्कृतियों की तबाही और क़ौमी व दीनी पहचान की लूट, और इस वक़्त दुनिया की ताक़तवर और शैतानी मिशनरियां, क़ौमों पर साम्राज्यवाद के यह तीनों चरण थोप रही हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अमरीकी सरकार को साम्राज्यवादी ताक़तों का सरग़ना और वित्तीय लेहाज़ से दुनिया के ताक़तवर लोगों का पिट्ठू बताया और कहा कि बड़े बड़े वित्तीय कार्टेल्ज़ हर दिन एक नए तरीक़े से क़ौमों की पहचान और हितों को बदलने और अपने साम्राज्यवादी प्रभाव को बढ़ाने के लिए साज़िशें तैयार करते रहते हैं और क़ुरआन मजीद के बक़ौल तुम जितना ज़्यादा मुश्किल में रहो, उतना उन्हें पसंद है।
उन्होंने क़ुरआन मजीद की कुछ आयतों की ओर इशारा करते हुए जिनमें इस्लाम के दुश्मन के द्वेष को, उसकी ज़बान और अमल से पता चलने वाले द्वेष से ज़्यादा गहरा बताया गया है, कहा कि यह जो अमरीकी कांग्रेस के सदस्य हज़ारों बच्चों को टुकड़े टुकड़े करने वाले क़ातिल और क़त्ल का हुक्म देने वाले के लिए तालियां बजाते हैं या ईरान के यात्री विमान को 300 मुसाफ़िरों के साथ मार गिराने वाले अमरीकी बेड़े के कप्तान को मेडल देते हैं, उससे उनके घिनौने अंतर्मन, दुश्मनी और द्वेष का पता चलता है जो उनकी कूटनयिक मुस्कुराहटों के पीछे छिपा हुआ है।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अंतर्राष्ट्रीय मामलों में होशियारी बरतने पर बल देते हुए कहा कि हमें यह मालूम होना चाहिए कि कूटनयिक मुस्कुराहट के पीछे दुश्मनी और घटियापन छिपा है। हमें अपनी आँखें खुली रखनी चाहिएं और हमें याद रखना चाहिए कि हम किससे डील कर रहे हैं और किससे बात कर रहे हैं। उन्होंने अपने ख़ेताब के आख़िरी हिस्से में कहा कि सभी मुसलमान सरकारों और क़ौमों के लिए बेसत का एक अहम पैग़ाम, इस सच्चाई पर ईमान रखना है कि इज़्ज़त, अल्लाह के हाथ में है। अगर हमें अल्लाह की ओर से इज़्ज़त हासिल हो तो फिर कोई भी दुश्मन और अजनबी एजेंट हमारी रूह और हमारे जिस्म पर किसी भी तरह का नकारात्मक असर नहीं डाल सकेगा।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि मानव समाज में बदलाव के लिए पैग़म्बरों का ज़रिया, अक़्ल और ईमान जैसे दो तत्व रहे हैं। उन्होंने कहा कि पैग़म्बर, इंसानों के अंदर मौजूद अक़्ल और ईमान को जगा के, इंसान को प्रगति की राह और सीधे रास्ते तक पहुंचने में मदद करते हैं और क़ुरआन मजीद में विचार करने और सूझबूझ से काम लेने पर जो बारबार ताकीद की गयी है, उसकी वजह यही है।