16/02/2024
पैग़म्बरे इस्लाम की ‘बेसत’ (पैग़म्बरी के एलान) की सालगिरह के मौक़े पर मुल्क के ओहदेदारों, इस्लामी देशों के राजदूतों, प्रतिनिधियों और समाज के अलग अलग वर्गों के लोगों ने इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से 8 फ़रवरी 2024 को इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुलाक़ात की। इस मौक़े पर अपने ख़ेताब में आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने ‘बेसत’ के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु बयान किए। उन्होंने फ़िलिस्तीन और ग़ज़ा की जंग के बारे में बात की। (1)
08/02/2024
ईदे बेसत (पैग़म्बर की पैग़म्बरी के एलान) के पावन मौक़े पर मुल्क के बड़े अधिकारियों, इस्लामी मुल्कों के राजदूतों और क़ुरआन के अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों में शामिल होने वालों ने 8 फ़रवरी की सुबह आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
05/02/2024
एयरफ़ोर्स के कर्मचारियों की ओर से 8 फ़रवरी 1979 को इमाम ख़ुमैनी की ऐतिहासिक बैअत (आज्ञापलन के वचन) की सालगिरह के मौक़े पर मुल्क की एयरफ़ोर्स और फ़ौज के एयर डिफ़ेन्स विभाग के कुछ कमांडरों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से 5 फ़रवरी 2024 को इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस ऐतिहासिक वाक़ये की अहमियत और इस्लामी समाज के ख़वास और विशिष्ट लोगों के वर्ग की मुख्य हैसियत और ज़िम्मेदारियों पर रौशनी डाली।(1)
26/02/2023
एक और क़ीमती ख़ज़ाना कि अफ़सोस उस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया जाता, बुरा चाहने वालों के मुक़ाबले में सख़्त व सीसा पिलाई हुयी दीवार की तरह अटल होना है। इंसानी समाजों को जो नुक़सान पहुंचते हैं उनमें से एक, उनके दुश्मनों की पैठ से होती है।
21/02/2023
तौहीद वही ख़ज़ाना है जिसकी क़द्र व अहमियत तक कोई भी चीज़ नहीं ‎पहुंचती इसलिए कि अल्लाह की इबादत इंसान को दूसरों की ग़ुलामी और बंदगी से रिहाई दिलाती है।
20/02/2023
समाज के लोगों के बीच मुहब्बत, ख़ुलूस और अपनाइयत भी बेसत के ख़ज़ानों में से एक ख़ज़ाना है। समाज में ज़िंदगी हमदर्दी और मुरव्वत की फ़ज़ा में गुज़रना चाहिए। इमाम ख़ामेनेई 18 फ़रवरी 2023  
18/02/2023
बेसत का दिन और बेसत की रात, ऐसा दिन और रात है जब अल्लाह के सबसे अच्छे बंदे पैग़म्बरे इस्लाम को सृष्टि का सबसे अच्छा तोहफ़ा दिया गया जिसे बेसत की रात की ख़ास दुआ में महान जलवा  कहा गया है।
18/02/2023
पैग़म्बर की बेसत का सबसे पहला मक़सद तौहीद की दावत देना था। तौहीद सिर्फ़ फ़िक्री और फलसफ़ियाना नज़रिया नहीं बल्कि इंसानों के लिए एक जीवनशैली है। अल्लाह को पूरी ज़िंदगी में ग़ालिब रखना और इंसानी ज़िंदगी में दूसरी ताक़तों के हस्तक्षेप का रास्ता रोक देना। इमाम ख़ामेनेई 24 सितम्बर 2003
18/02/2023
अमीरुल मोमेनीन फ़रमाते हैं: “जब पैग़म्बर की बेसत हुई और अल्लाह ने पैग़म्बर को भेजा तो उस वक़्त दुनिया ‎तारीकियों में डूबी हुई थी।‏ ‌‎ उसका फ़रेबी रूप सामने था।” क़ुरआन के मुताबिक़ (बेसत) अल्लाह का पैग़ाम ‌‎‘वहि’ नाज़िल होने का मक़सद हैः “कि तुम्हें अंधेरे से प्रकाश में लाए।”
18/02/2023
पैग़म्बरे इस्लाम की नबूव्वत पर नियुक्ति की मुबारक ईद, ईदे बेसत पर मुल्क के आला अधिकारियों, इस्लामी मुल्कों के राजदूतों और क़ुरआन की अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल लोगों ने शनिवार को तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
18/02/2023
नबी-ए-अकरम की बेसत इंसानियत को अता किया जाने वाला सबसे अज़ीम तोहफ़ा है। वजह यह है कि बेसत में इंसानियत के लिए असीम ख़ज़ाने हैं जो आख़ेरत से पहले तक इंसान की सारी दुनियावी ज़िंदगी की कामयाबी की गैरेंटी बन सकते हैं। इमाम ख़ामेनेई 18 फ़रवरी 2023
18/02/2023
पैग़म्बरे इस्लाम की बेसत के ख़ज़ानों में से एक दृढ़ता है। दृढ़ता मंज़िल तक पहुंचने का राज़ है। आप की दुनियावी या आख़ेरत से मुतल्लिक़ जो भी मंज़िल है दृढ़ता के ज़रिए वहां तक पहुंचना मुमकिन है। इसके बग़ैर मुमकिन नहीं। इमाम ख़ामेनेई 18 फ़रवरी 2023
18/02/2023
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 18 फ़रवरी 2023 को अपनी तक़रीर में पैग़म्बरे इस्लाम की बेसत और पैग़म्बरी के एलान के विषय पर रौशनी डाली। देश के ओहदेदारों और इस्लामी देशों के राजदूतों के बीच तक़रीर करते हुए उन्होंने पैग़म्बरे इस्लाम की बेसत को बेमिसाल ख़ज़ानों का स्रो क़रार दिया। (1)
18/02/2023
बेसत का दिन यक़ीनन तारीख़े इंसानियत का सबसे अज़ीम दिन है। क्योंकि वो हस्ती जिससे अल्लाह ने ख़ेताब फ़रमाया और जिस के कांधों पर अज़ीम ज़िम्मेदारी रखी, तारीख़ की सबसे अज़ीम हस्ती और कायनात की सबसे अज़ीम मख़लूक़ है। इसी तरह वह ज़िम्मेदारी भी जो इस अज़ीम इंसान के कांधे पर रखी गई, यानी इंसानों को नूर की वादी में ले जाने की ज़िम्मेदारी वह भी सबसे अज़ीम ज़िम्मेदारी थी। इमाम ख़ामेनेई 17 नवम्बर 1998
14/02/2023
बेसत में इस बात की क्षमता है कि जिस तरह उस दौर में उसने इंसानों को नेकी, भलाई, ख़ुशक़िस्मती की ओर मोड़ दिया था, उसी तरह आज भी उन्हें बदल दे।