शहीद राज़ीनी और शहीद मुक़ीसा को अल्लाह के दुश्मनों के हाथों, अल्लाह की राह में शहीद होने का बदला मिला। जो लोग दुनिया से शहीद जाते हैं उन्हें हक़ीक़त में अल्लाह के पास से बदला मिलता है।
रहबरे इंक़ेलाबे इस्लामी आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने एक पैग़ाम जारी करके बैरूत के ज़ाहिया इलाक़े पर ख़बीस ज़ायोनी सरकार के हमलों में बहादुर और विद्वान फ़ौजी सरदार जनरल अब्बास नीलफ़ुरूशान रहमतुल्लाह अलैह की शहादत पर ताज़ियत और मुबारकबाद पेश की है।
रहबरे इंक़ेलाब का शोक संदेश इस प्रकार है:
ज़ायोनी हुकूमत के हाथों जनरल ज़ाहेदी की शहादत पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का पैग़ाम
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने आईआरजीसी के सीनियर कमांडर जनरल मोहम्मद रज़ा ज़ाहेदी और उनके कुछ साथी मुजाहिदों की क़ाबिज़ व घृणित ज़ायोनी हुकूमत के हाथों शहादत पर एक पैग़ाम जारी करके कहा है कि हम अल्लाह की मदद से उन्हें इस जुर्म और इसी तरह के दूसरे जुर्मों पर पछताने पर मजबूर कर देंगे।
सलाम और रहमत हो इस वाक़ए के शहीदों पर और लानत व धिक्कार हो ज़ालिम हुकूमत के अधिकारियों पर
इस्लाम के बहादुर व त्यागी कमांडर जनरल मोहम्मद रज़ा ज़ाहेदी अपने साथी मुजाहिद मोहम्मद हादी हाज रहीमी के साथ, क़ाबिज़ व घृणित ज़ायोनी हुकूमत की आपराधिक कार्यवाही का शिकार होकर शहीद हो गए। अल्लाह और उसके औलिया का सलाम और रहमत उन पर हो और इस वाक़ए के दूसरे शहीदों पर हो और ज़ालिम व अतिक्रमणकारी हुकूमत के अधिकारियों पर लानत व धिक्कार हो।
जनरल ज़ाहेदी और उनके साथ अन्य लोगों की शहादत पर रहबरे इंक़ेलाब के पैग़ाम का एक भाग
2 अप्रैल 2024
अचानक हमने देखा कि इमाम हुसैन के ख़ैमों की तरफ़ से एक बच्चा बाहर आया, उसका चेहरा चांद के टुकड़े की तरह दमक रहा था। वह आया और जंग करने लगा। इब्ने फ़ुज़ैल अज़दी ने उसके सिर पर वार किया और उसके दो टुकड़े कर दिए। बच्चा मुंह के बल ज़मीन पर गिर पड़ा। उसकी आवाज़ बुलंद हुयी: ऐ चचा जान!
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने आज मंगलवार की सुबह न्यायपालिका प्रमुख, अधिकारियों और कर्मचारियों के एक समूह से मुलाक़ात में अवाम के लिए क़ानूनी दायरे में आज़ादी को मुहैया करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि संविधान के साफ़ लफ़्ज़ों के मुताबिक़ अवाम को वे सभी आज़ादियां मुहैया कराई जाएं जिनकी शरीअत ने इजाज़त दी है, अलबत्ता सत्ताधारी हल्क़े आम तौर पर इन आज़ादियों में रुकावट डालते हैं, इसलिए न्यायपालिका को इस संबंध में अपनी ज़िम्मेदारियों पर अमल करना चाहिए।
इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम और दूसरे इमामों, सभी ने इस रास्ते की ओर क़दम बढ़ाया कि अल्लाह का हुक्म, अल्लाह का क़ानून समाजों में लागू हो। कोशिशें हुई हैं, जिद्दोजेहद हुयी है, तकलीफ़ें उठायी गयी हैं। इस राह में जेल व जिलावतनी बर्दाश्त की गयी और नतीजाख़ेज़ शहादतें दी गई हैं।ʺ
इमाम ख़ामेनेई 8 मई 1981
आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने जनाब मौलवी अब्दुल वाहिद रीगी के किडनैप और शहादत की घटना पर अपने शोक संदेश में, अधिकारियों से जल्द से जल्द अपराधियों को पकड़ कर सज़ा देने पर ताकीद की।
शहीद और शहादत उन चीज़ों में है जो राष्ट्रीय पहचान को नुमायां मक़ाम पर ले जाती हैं और राष्ट्रीय पहचान को बुलंदी प्रदान करती हैं। अपने जज़्ब़-ए-शहादत की वजह से ईरानी क़ौम दूसरी क़ौमों की निगाहों में ख़ास अज़मत की मालिक बनी।
इमाम ख़ामेनेई
17 नवम्बर 2022
क़ुम में तराना पेश करने वाली टीम के सारे सदस्यों की शहादत आठ वर्षीय जंग का बड़ा अहम वाक़या था। नई उम्र के बच्चे तराना पेश कर रहे थे, (अमरीका समर्थित) सद्दाम हुकूमत के विमान आकर बमबारी कर देते हैं और तक़रीबन सारे लोग शहीद हो जाते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
17 नवम्बर 2022
शहीद के ख़ून को ज़िंदा रखने की मशक़्क़त ख़ुद शहादत पेश करने से कम नहीं है। इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम का 30 तक चलने वाला जेहाद और हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा का कई साल का संघर्ष इसकी मिसाल है। इस ख़ून को ज़िंदा रखने के लिए मशक़्क़तें उठाईं।
इमाम ख़ामेनेई
7 मई 1997
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने क़ुम वासियों के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह पर क़ुम के अवाम की सभा को विडियो लिंक के ज़रिए संबोधित किया। इस मौक़े पर सुप्रीम लीडर की स्पीच टीवी व रेडियो चैनलों से लाइव टेलीकास्ट हुयी।
19 देय 1356 बराबर 9 जनवरी 1978 क़ुम के अवाम के ऐतिहासिक आंदोलन की आज सालगिरह है।