इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम और दूसरे इमामों, सभी ने इस रास्ते की ओर क़दम बढ़ाया कि अल्लाह का हुक्म, अल्लाह का क़ानून समाजों में लागू हो। कोशिशें हुई हैं, जिद्दोजेहद हुयी है, तकलीफ़ें उठायी गयी हैं। इस राह में जेल व जिलावतनी बर्दाश्त की गयी और नतीजाख़ेज़ शहादतें दी गई हैं।ʺ
इमाम ख़ामेनेई 8 मई 1981