27/04/2022
नए संभावित वर्ल्ड आर्डर के वक़्त इस्लामी मुल्क ईरान और सभी देशों को ‎चाहिए कि इस नए वर्ल्ड आर्डर में इस अंदाज़ से अपना वैचारिक और व्यवहारिक ‎रोल अदा करें कि अपने राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा की हिफ़ाज़त कर सकें। इस ‎सिलसिले में सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदारी छात्रों की है। इमाम ख़ामेनेई 26 अप्रैल 2022
27/04/2022
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने बल देकर कहा कि इस्लामी क्रांति ने यूनिवर्सिटी के लिए जो बड़ा काम किया वह यह था कि उसने ईरानी क़ौम को पहचान देकर यूनिवर्सिटी को उसकी पहचान दी। क्रांति से क़ौम को पहचान, आदर्श होने और स्वावलंबन का ज़ज़्बा दिया और उसके सामने क्षितिज को स्पष्ट किया।
27/04/2022
इस साल #क़ुद्स_दिवस पिछले बर्सों से अलग है। पिछले ‎रमज़ान और इस साल रमज़ान के महीने में फ़िलिस्तीनियों ने ‎बड़ी क़ुरबानियां दीं और दे रहे हैं। ज़ायोनी हुकूमत भी जुर्म की ‎हदें पार कर रही है और अमरीका व यूरोप उसकी मदद कर रहे ‎हैं। ‎इमाम ख़ामेनेई 26 अप्रैल 2022
27/04/2022
इस्लामी जुम्हूरिया ईरान में हमारे लिए फ़िलिस्तीन का मामला, एक स्ट्रैटजिक मामला नहीं बल्कि यह हमारे ईमान, दिल और अक़ीदे का मामला है। क़ुद्स डे पर और हर साल रमज़ान के आख़िरी जुमे को जिसे इमाम ख़ुमैनी ने क़ुद्स दिवस कहा है, मुल्क के सभी शहरों में लोग सड़कों पर उतरते हैं। गर्मी हो, सर्दी हो कोई फ़र्क़ नहीं, लोग सड़कों पर आकर अपना लगाव ज़ाहिर करते हैं।
27/04/2022
अल्लाह की तरफ़ से जो हमारा इम्तेहान लिया जाता है, वह मक़सद की ओर एक क़दम है। 
26/04/2022
दिल सिर्फ़ नमाज़, दुआओं और अल्लाह की याद से पाक होता है। अगर कोई यह समझता है कि इन चीज़ों के बिना ही वह अपने दिल को पाकीज़ा बना सकता है तो वह बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी में है। आधी रातों को रोने से, ग़ौर के साथ क़ुरआन पढ़ने से , सहीफ़ए सज्जादिया की दुआएं पढ़ने से इन्सान का दिल पाकीज़ा बनता है। यह नहीं होता कि हम कहें कि जनाब जाइए अपना दिल साफ़ करके आइए फिर जो जी में आए कीजिए।
26/04/2022
इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से युनिवर्सिटियों के छात्रों और छात्र युनियनों के प्रतिनिधियों ने इमाम ख़ुमेनी इमाम बारगाह में तफ़सीली मुलाक़ात और अलग अलग विषयों पर खुलकर अपनी राय रखी। 26 अप्रैल 2022 की इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने छात्रों के सवालों के जवाब दिए, कुछ सिफ़ारिशें कीं और प्रमुख राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी नीतिगत बात पेश की। सुप्रीम लीडर की स्पीचः
25/04/2022
दरअस्ल शबे क़द्र से, रोज़ेदार मोमिन अपने नये साल की शुरुआत करता है। शबे क़द्र में एक साल के लिए उसकी क़िस्मत, अल्लाह की तरफ से फ़रिश्ते लिखते हैं। इन्सान एक नये साल, नये मरहले और दरअस्ल नयी ज़िंदगी और नये जन्म का एहसास करता है। एक नये रास्ते पर चलता है और तक़वे से इस राह पर चलने में मदद लेता है।
25/04/2022
हर दुआ को क़ुबूल किया जाता है। दुआ के क़ुबूल होने का मतलब, अल्लाह की तरफ़ से हम पर नज़र और हम पर उसका ध्यान दिया जाना है। 
23/04/2022
शबे क़द्र दरअस्ल दुआ, अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाने और उसे याद करने का वक़्त है। इसके साथ ही यह रात इस बात का मौक़ा भी है कि हम हज़रत अली (अ.स.) के अज़ीम मक़ाम के बारे में कुछ जान लें और सबक़ सीखें। रमज़ान के महीने की जो भी फ़ज़ीलत बयान की जाए और इस महीने में अल्लाह के बन्दों के जो भी फ़रीज़े बताए जाएं, उन सब के लिए सब से अच्छे आइडियल, हज़रत अली (अ.स.) हैं।
23/04/2022
अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम की नज़र में शहादत, ख़ुशख़बरी और शुक्र का मक़ाम है। 
23/04/2022
शबे क़द्र में इमाम ज़माना से मदद
22/04/2022
शबे क़द्र वह रात है जिसे अल्लाह ने “सलाम” कहा  है। सलाम का मतलब ख़ुदा की तरफ़ से इन्सानों को सलाम भी है और इसका एक मतलब, सलामती, सुल्ह, सुकून, लोगों में भाईचारा, दिलों और लोगों के बीच दोस्ती भी है। रूहानी लिहाज़ से, यह ऐसी रात है। शबे क़द्र की क़द्र करें और मुल्क की, अपनी, मुसलमानों और इस्लामी मुल्कों की परेशानियां दूर होने के लिए दुआ करें।
22/04/2022
इमाम ख़ामेनेईः नहजुल बलाग़ा आकर्षण की इंतेहा है। अलफ़ाज़ की ख़ूबसूरती और अर्थों का हुस्न है। इंसान दंग रह जाता है। 31 दिसम्बर 1999
21/04/2022
इन रातों में जैसा कि कल की रात थी, या आने वाले कल और 23 तारीख़ की रात होगी इन सब रातों में इस्लामी दुनिया के हर कोने में, जहां भी दीन पर अक़ीद है, लोगों के गिड़गिड़ाने की आवाज़ें सुनायी दे रही हैं, रोने की आवाज़ें, मदद मांगने की आवाज़ें सुनाई दे रही हैं लोग अपने लिए, दूसरों के लिए दुआएं कर रहे हैं। आप लोग यह दुआ भी करें कि या अल्लाह! उन सभी मोमिनों की दुआएं क़ुबूल कर जो इन रातों में दुआएं कर रहे हैं। यह भी एक दुआ होना चाहिए।
21/04/2022
शबे क़द्र में, अपने मुल्क, इस्लामी दुनिया और ज़मीन पर जो लोग हैं, उन सबकी ज़रूरतों पर ध्यान दें। उन सबके लिए शबे क़द्र में एक एक के लिए दुआ करें।
20/04/2022
शबे क़द्र में सब से अच्छा अमल, दुआ है। रातों को जागने का मक़सद भी दुआ और अल्लाह को याद करना है। दुआ, यानी अल्लाह से बात करना, अल्लाह को ख़ुद से क़रीब समझना और दिल की बातें उससे करना। दुआ या कोई मांग होती है, या अल्लाह की हम्द व प्रशंसा होती है या फिर अल्लाह से लगाव का इज़हार। यही दुआ है।
19/04/2022
ख़ुदा से क़रीब होने के लिए अस्ली काम, गुनाहों से दूर होना है। मुस्तहेब नमाज़ें और दुआएं वग़ैरा तो दूसरे नंबर पर हैं। अस्ली चीज़ यह है कि इन्सान ख़ुद को गुनाहों और ग़लत कामों से रोक ले। इसके लिए तक़वे की ज़रूरत होती है। गुनाह की वजह से हमारा दिल, दुआ और अल्लाह की तरफ़ ध्यान नहीं दे पाता। गुनाह हमें, ख़ुद को सुधारने और संवारने नहीं देता। इसलिए हमें गुनाहों से दूर रहने की कोशिश करना चाहिए।
19/04/2022
इस्तेग़फ़ार के बारे में हमारी सोच सिर्फ़ यह न हो कि यह केवल व्यक्तिगत गुनाहों की माफ़ी और हमारे दिलों की पाकीज़गी के लिए है। इस्तेग़फ़ार का राष्ट्रीय स्तर के मैदानों में, सामाजिक मैदानों में गहरा असर है और यह हमें बड़ी बड़ी कामयाबियां दिलाता है।
18/04/2022
आज 1948 में अवैध क़ब्ज़े में लिए गए इलाक़ों, उसी अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के केन्द्र में फ़िलिस्तीनी नौजवान जाग चुके हैं और संघर्ष कर रहे हैं। यक़ीनन यह संघर्ष जारी रहेगा और अल्लाह के वादे के मुताबिक़ फ़तह फ़िलिस्तीनी क़ौम का मुक़द्दर बनेगी। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
18/04/2022
रमज़ान के मुबारक महीने में अपने दिलों को जितना हो सके, अल्लाह की याद से, नूरानी कर लें ताकि शबे क़द्र की पाकीज़ा रातों में जाने के लिए तैयार रहें कि जो “एक हज़ार महीनों से बेहतर हैं और जिसमें फ़रिश्ते और रूह नाज़िल होते हैं” यह वह रात है जिस में फ़रिश्ते ज़मीन को आसमान से मिला देते हैं, दिलों पर नूर की बारिश करते हैं और ज़िंदगी में ख़ुदा की रहमत व बरकत की रौशनी बिखेर देते हैं।
17/04/2022
इमाम हसन (अ.स.) की विलादत का दिन है। पैग़म्बरे इस्लाम ने इमाम हसन का नाम रखा और यह बहुत बड़ी बात है कि ख़ुद पैग़म्बरे इस्लाम उन का नाम और इस मुबारक बच्चे का नाम ' हसन' रखते हैं।  यह दिन आप सब को मुबारक हो।
17/04/2022
अमरीका और उसके घटकों की नीतियों और इच्छा के विपरीत जिनकी कोशिश थी कि फ़िलिस्तीन भुला दिया जाए और दुनिया के अवाम भूल ही जाएं कि फ़िलिस्तीन नाम का कोई इलाक़ा और फ़िलिस्तीनी मिल्लत नाम की कोई क़ौम थी, फ़िलिस्तीन का मुद्दा दिन बदिन ज़्यादा उभरता जा रहा है। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
16/04/2022
ईद के दिन इमाम हसन (अ.स.) एक जगह से गुज़र रहे थे। आप ने देखा कि कुछ लोग, इस दिन की अहमियत से बेख़बर खड़े होकर खेल तमाशा कर रहे हैं और हंस रहे हैं। इमाम हसन (अ.स.) ने उन लोगों के पास खड़े होकर कहाः ख़ुदा ने रमज़ान को अपने बंदों के बीच मुक़ाबले का मैदान बनाया है। आज के दिन उन लोगों को इनाम मिलेगा जो रमज़ान के दौरान, ख़ुदा को ख़ुश करने में कामयाब रहे हैं ।
16/04/2022
#सऊदी साहेबान से एक बात वाक़ई नसीहत के तौर पर कहना है। जिस जंग के बारे में आपको यक़ीन है कि इस में फ़तह नहीं मिलने वाली उसे जारी रखने की क्या वजह है? कोई रास्ता तलाश कीजिए और इस जंग से ख़ुद को निजात दिलाइए। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022