18/04/2022
आज 1948 में अवैध क़ब्ज़े में लिए गए इलाक़ों, उसी अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के केन्द्र में फ़िलिस्तीनी नौजवान जाग चुके हैं और संघर्ष कर रहे हैं। यक़ीनन यह संघर्ष जारी रहेगा और अल्लाह के वादे के मुताबिक़ फ़तह फ़िलिस्तीनी क़ौम का मुक़द्दर बनेगी। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
18/04/2022
रमज़ान के मुबारक महीने में अपने दिलों को जितना हो सके, अल्लाह की याद से, नूरानी कर लें ताकि शबे क़द्र की पाकीज़ा रातों में जाने के लिए तैयार रहें कि जो “एक हज़ार महीनों से बेहतर हैं और जिसमें फ़रिश्ते और रूह नाज़िल होते हैं” यह वह रात है जिस में फ़रिश्ते ज़मीन को आसमान से मिला देते हैं, दिलों पर नूर की बारिश करते हैं और ज़िंदगी में ख़ुदा की रहमत व बरकत की रौशनी बिखेर देते हैं।
17/04/2022
इमाम हसन (अ.स.) की विलादत का दिन है। पैग़म्बरे इस्लाम ने इमाम हसन का नाम रखा और यह बहुत बड़ी बात है कि ख़ुद पैग़म्बरे इस्लाम उन का नाम और इस मुबारक बच्चे का नाम ' हसन' रखते हैं।  यह दिन आप सब को मुबारक हो।
17/04/2022
अमरीका और उसके घटकों की नीतियों और इच्छा के विपरीत जिनकी कोशिश थी कि फ़िलिस्तीन भुला दिया जाए और दुनिया के अवाम भूल ही जाएं कि फ़िलिस्तीन नाम का कोई इलाक़ा और फ़िलिस्तीनी मिल्लत नाम की कोई क़ौम थी, फ़िलिस्तीन का मुद्दा दिन बदिन ज़्यादा उभरता जा रहा है। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
16/04/2022
ईद के दिन इमाम हसन (अ.स.) एक जगह से गुज़र रहे थे। आप ने देखा कि कुछ लोग, इस दिन की अहमियत से बेख़बर खड़े होकर खेल तमाशा कर रहे हैं और हंस रहे हैं। इमाम हसन (अ.स.) ने उन लोगों के पास खड़े होकर कहाः ख़ुदा ने रमज़ान को अपने बंदों के बीच मुक़ाबले का मैदान बनाया है। आज के दिन उन लोगों को इनाम मिलेगा जो रमज़ान के दौरान, ख़ुदा को ख़ुश करने में कामयाब रहे हैं ।
16/04/2022
#सऊदी साहेबान से एक बात वाक़ई नसीहत के तौर पर कहना है। जिस जंग के बारे में आपको यक़ीन है कि इस में फ़तह नहीं मिलने वाली उसे जारी रखने की क्या वजह है? कोई रास्ता तलाश कीजिए और इस जंग से ख़ुद को निजात दिलाइए। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
15/04/2022
इमाम हसन (अ.स.) के लिए इमाम अली (अ.स.) की वसीयत में यह कहा गया है कि ख़ुदा  ने अपने और तुम्हारे बीच कोई दूरी और कोई पर्दा नहीं रखा है। जब भी तुम उससे बात करना शुरु करते हो, जैसे ही तुम अपनी ज़रूरतें उसके सामने बयान करना शुरु करते हो वैसे ही ख़ुदा तुम्हारी आवाज़ सुनने लगता है। अल्लाह से कभी भी बात की जा सकती है।
15/04/2022
हुकूमत के ओहदेदार अपने प्रोग्रामों के सिलसिले में एटमी वार्ता के नतीजे का इंतेज़ार न करें, अपना काम जारी रखें। यह न हो कि वार्ता का नतीजा सार्थक, पचास प्रतिशत सार्थक या नकारात्मक रहे तो आपके प्रोग्रामों में रुकावट पैदा हो जाए। आप अपना काम करते रहिए। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
14/04/2022
इन रातों में सहर में, रातों में जो दुआएं हैं, शबे क़द्र की जो दुआएं हैं या फिर शबे क़द्र की ही नहीं बल्कि हर रात के लिए जो दुआएं हैं, वह बहुत अहम हैं, दुआओं में जो अहम बातें हैं वह तो अपनी जगह, लेकिन दुआ पढ़ते वक़्त इन्सान जिस तरह से गिड़गिड़ाता और अल्लाह के सामने रोता है वह खुद काफ़ी अहम चीज़ है।
14/04/2022
रोज़े की हालत में या फिर रोज़े की वजह से पैदा होने वाली नूरानियत की हालत में, रमज़ान की रातों में क़ुरआने मजीद की तिलावत, क़ुरआने मजीद से लगाव, ख़ुदा की बातें सुनने का अलग ही मज़ा है। इन हालात में तिलावत से इन्सान जो कुछ सीखता है वह आम हालात में उसके लिए मुमकिन नहीं है। इमाम ख़ामेनेई 14/09/2007
14/04/2022
कूटनीति में परमाणु मुद्दे पर तवज्जो है। वार्ताकार टीम राष्ट्रपति और सुप्रीम नेश्नल सेक्युरिटी काउंसिल को ब्योरा देती है, फ़ैसला होता और अमल किया जाता है। टीम ने अब तक दूसरे पक्ष की ग़लत मांगों का मुक़ाबला किया है और यह सिलसिला जारी रहेगा। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
13/04/2022
#एटमी_डील के विषय में अमरीकियों ने वादा ख़िलाफ़ी की और अब इसी वादा ख़िलाफ़ी में उलझ कर रह गए हैं। इत्तेफ़ाक़ से वह बंद गली में पहुंच गए हैं। जबकि इस्लामी गणराज्य इस तरह की स्थिति में नहीं उलझा। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
12/04/2022
मेरे दोस्तो! क़ुरआन से ज़्यादा क़रीब हो जाइए। अल्लाह की याद और तक़वा तक अगर हम पहुंच जाएं तो फिर क़ुरआन की हिदायत भी हमारे लिए आसान हो जाएगी। क्योंकि क़ुरआन तक़वा वाले लोगों के लिए हिदायत है, अगर तक़वा होगा तो हिदायत यक़ीनी है। हिदायत, तक़वा रखने वालों के लिए है। जितना तक़वा ज़्यादा होगा हिदायत, ज़्यादा साफ़ और अच्छी होगी। हमें इस पर ध्यान से काम करना चाहिए।
12/04/2022
हज़रत ख़दीजा दर हक़ीक़त बारह इमामों की मां हैं। आप अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम की भी मां हैं। आपने कई साल अपनी गोद में अमीरुल मोमेनीन को पाला। इमाम ख़ामेनेई 9 मई 2016
11/04/2022
अबू हम्ज़ा सिमाली दुआ में इमाम ज़ैनुलआबेदीन (अ.स.) कहते हैं “ मेरे और मेरे उन गुनाहों के बीच दूरी पैदा कर दे जो तेरी इताअत की राह में रुकावट हैं।“ इससे यह पता चलता है कि इन्सान जो गुनाह करता है वह इन्सानों को परवाज़ से और ऊपर उठने से रोकते हैं।
10/04/2022
ख़ुद अपना हिसाब करना बहुत अच्छा काम है। इन्सान को अपना हिसाब लेना चाहिए, यानि एक एक करके अपने गुनाहों की तादाद कम करना चाहिए। हमें कुछ गुनाहों की आदत पड़ जाती है। किसी किसी को तो पांच-छे-दस गुनाहों की आदत पड़ जाती है, पक्का इरादा करें और इन गुनाहों को एक एक करके छोड़ दें।
09/04/2022
मकारिमे अख़लाक़ की उस दुआ को जो सहीफ़ए सज्जादिया की बीसवीं दुआ है, बहुत ज़्यादा पढ़ें ताकि आप यह देख सकें कि इस दुआ में इमाम ज़ैनुलआबेदीन (अ.स.) ने ख़ुदा से जो चीज़ें मांगी हैं वह क्या हैं? इमामों के बयानों से, सहीफ़ए सज्जादिया की दुआओं से यानि हमारी अख़लाक़ी बीमारियों को ठीक करने वाली इन दवाओं की जो हमारे वजूद के ज़ख्मों को भर सकती हैं, हमें मालूमात हासिल करना चाहिए।
08/04/2022
इसका रास्ता यह है कि हमारे बच्चे क़ुरआन के मैदान में उतरें। बच्चे मैदान में उतर पड़े तो यह मिशन मुमकिन हो जाएगा। इसका तरीक़ा यह है कि यह काम मस्जिदों में अंजाम पाए। हर मस्जिद क़ुरआनी मरकज़ बन जाए। इमाम ख़ामेनेई 3 अप्रैल 2022
08/04/2022
रमज़ान के महीने का सब से अहम फल, तक़वा है। “वह हाथ जो अपनी लगाम थामे रहे” यह है तक़वा का मतलब। हम दूसरों की लगाम तो बहुत अच्छे से पकड़ लेते हैं लेकिन अगर हम अपनी लगाम भी पकड़ सकें, ख़ुद को बिगड़ने, वहशीपन और ख़ुदा की रेड लाइनों को पार करने से रोक सकें तो यह बहुत बड़ा कमाल है। तक़वा का मतलब है अल्लाह के सीधे रास्ते पर चलने के दौरान अपने ऊपर नज़र रखना।
07/04/2022
अपने गुनाहों की माफ़ी अगर सही तरीक़े से मांगी जाए तो इस से इन्सान के लिए ख़ुदा की बरकतों के दरवाज़े खुल जाते हैं। इन्सानी समाज और ख़ुद इन्सान को ख़ुदा की जिन नेमतों और बरकतों की ज़रूरत होती है उन सब का रास्ता, गुनाहों की वजह से बंद हो जाता है। गुनाह हमारे और खुदा की रहमतों व बरकतों के बीच दीवार की तरह है। तौबा, इस दीवार को गिरा देती है और ख़ुदा की रहमत व बरकत का रास्ता हमारे लिए खुल जाता है। सैयद अली ख़ामेनेई 1997-01-17
07/04/2022
शुरु से आख़िर तक। मुसलसल और लगातार। क़ुरआन पैग़म्बर का चमत्कार है। पैग़म्बर का दीन अमर है तो उनका चमत्कार भी अमर होना चाहिए। यानी इतिहास के हर दौर में इंसान ज़िंदगी के लिए ज़रूरी शिक्षाएं क़ुरआन से हासिल कर सकता है।
06/04/2022
रमज़ान, तौबा और “इनाबा”  का महीना है,  माफी मांगने और अपने गुनाहों को बख़्शवाने का महीना है। तौबा का मतलब, उस राह से वापसी है जिस पर हम अपनी ग़लतियों और अपने गुनाहों की वजह से चलने लगे थे। इनाबा का मतलब, हमारा दिल खुदा की तरफ़ मुड़ जाए  और हम दिन रात ख़ुदा से उम्मीद लगाएं। कहते हैं कि तौबा और इनाबा में यह फर्क़ है कि तौबा, बीते हुए कल के लिए होता है जबकि इनाबा, आज और आने वाले कल के लिए होता है।
06/04/2022
#क़ुरआन की गहराइयों और पोशीदा तथ्यों तक पहुंचने का रास्ता है चिंतन, अध्ययन और ध्यान। अलबत्ता इसकी एक शर्त भी है दिल की पाकीज़गी और यह आप नौजवानों के लिए इस नाचीज़ जैसे लोगों की तुलना में आसान है।
05/04/2022
रमज़ान का माहौल, ख़ुलूस, रूहानीयत  और सच्चाई का माहौल है। हमें कोशिश करना चाहिए कि हम इस माहौल से  ज़्यादा से ज़्यादा फायदा उठाएं। हमारे दिल और ख़ुदा के बीच जो ताल्लुक़ है, इस रूहानी ताल्लुक़ को, खुदा से इस ज़ाती ताल्लुक़ को मज़बूत करना चाहिए क्योंकि किसी भी इन्सान के लिए सब से ज़्यादा बड़े फ़ायदे की बात यही होती है कि उसका ख़ुदा के साथ ताल्लुक़ मज़बूत हो जाए।
05/04/2022
यह गुफ़तुगू केवल अतीत और क़ुरआनी क़िस्सों के बारे में नहीं बल्कि हमारे मौजूदा हालात से संबंधित है जो इस ख़ास ज़बान में अंजाम पाती है। इसका मक़सद यह है कि हमें अपना रास्ता मिल जाए।
04/04/2022
रमज़ान के महीने को “ मुबारक” कहा गया है, इसके मुबारक होने की वजह यह है कि यह महीना, जहन्नम की आग से  ख़ुद को बचाने और इनाम में जन्नत पाने का महीना है जैसा कि हम, रमज़ान महीने की दुआ में पढ़ते हैं  “और यह महीना जहन्नम से छुटकारे और जन्नत पाने का महीना है”  अल्लाह की जहन्नम और इसी तरह उसकी जन्नत सब इसी दुनिया में है। आख़ेरत में जो कुछ होगा वह दर अस्ल इस दुनिया में मौजूद चीजों की वह अस्ली  शक्ल होगी जो फ़िलहाल छुपी हुई है।
04/04/2022
अगर आप सब बेहतरीन अंदाज़ में इस मेहमानी में शरीक हुए तो अल्लाह आपको क्या देगा? अल्लाह की मेहमान नवाज़ी यह है कि वह अपने क़रीब होने का मौक़ा देता है और इससे बड़ी कोई चीज़ नहीं।
03/04/2022
रसूले ख़ुदा ने कहा है कि “यह वह महीना है जिसमें तुम सब को अल्लाह ने दावत दी है।”  ख़ुद यही बात ग़ौर के लायक़ है, अल्लाह की तरफ़ से दावत। ज़बरदस्ती नहीं की गयी है कि सारे लोगों को इस दावत में जाना ही है। नहीं!  ज़िम्मेदारी डाली गयी है लेकिन इस दावत से फ़ायदा उठाना या न उठाना ख़ुद हमारे अपने हाथ में रखा गया है। सैयद अली ख़ामेनेई 2007-09-14
02/04/2022
इस्लामी गणराज्य की स्वाधीनता और प्रतिष्ठा की गूंज सारी दुनिया पर छा गई। इमाम ख़ामेनेई 1 मार्च 2022
24/03/2022
दुनिया के हालात को देखिए तो साम्राज्यवाद के सिलसिले में ईरानी क़ौम का सही स्टैंड और भी स्पष्ट हो जाता है। हमारी क़ौम ने साम्राज्यवाद के सामने समर्पण नहीं चुना, प्रतिरोध और स्वाधीनता की हिफ़ाज़त का रास्ता चुना, आंतरिक सशक्तीकरण का रास्ता चुना। यह राष्ट्रीय फ़ैसला था। इमाम ख़ामेनेई 21 मार्च 2022
23/03/2022
#यूक्रेन के मसले में पश्चिमी सरकारों की नस्ल परस्ती सब ने देखी। ट्रेन रोकते हैं कि जंग के संकट से जान बचाकर भागने वाले शरणार्थियों में से कालों को गोरों से अलग करें और ट्रेन से उतार दें। इमाम ख़ामेनेई 21 मार्च 2022
23/03/2022
पश्चिमी मीडिया में खुले आम अफ़सोस ज़ाहिर करते हैं कि इस बार जंग मध्यपूर्व में नहीं यूरोप में है। यानी अगर जंग, रक्तपात और भाई-भाई की लड़ाई मध्यपूर्व में हो तो कोई हरज नहीं, यूरोप में हो तो बहुत बुरी है। इतनी खुली और स्पष्ट नस्ल परस्ती! #यूक्रेन ... इमाम ख़ामेनेई 21 मार्च 2022
22/03/2022
इंतेज़ार के लिए ज़रूरी है कि अमल किया जाए, सुधार किया जाए। हमें अपना सुधार करना चाहिए। हमें उन चीज़ों ‎पर अमल करना चाहिए जो इमाम को ख़ुश करें। जब हम इस अंदाज़ से अमल करेंगे और अपने अंदर सुधार लाएंगे ‎तो यक़ीनन व्यक्तिगत कामों तक सीमित नहीं रहेंगे बल्कि समाज के स्तर पर, देश के स्तर पर और विश्व स्तर ‎पर भी हमें कुछ ज़िम्मेदारियां पूरी करनी होंगी। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎10 मई 2017
22/03/2022
आप अफ़ग़ानिस्तान की घटनाओं और अमरीकियों के बाहर निकलने का तरीक़ा देखिए। पहले तो बीस साल तक अफ़ग़ानिस्तान में रहे। इस मज़लूम मुस्लिम मुल्क में क्या कुछ किया?! फिर किस तरह बाहर निकले? अवाम के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं और अब अफ़ग़ान जनता का पास लौटाने पर तैयार नहीं हैं। इमाम ख़ामेनेई 21 मार्च 2022
22/03/2022
इधर #यमन की घटनाएं हैं। यमन के मज़लूम और वाक़ई प्रतिरोधक अवाम पर रोज़ होने वाली बमबारी है। यह #सऊदी_अरब की कारस्तानियां हैं कि एक दिन के अंदर 80 नौजवानों और बच्चों की गरदन काट देता है। इमाम ख़ामेनेई 21 मार्च 2022
21/03/2022
हमें इंतेज़ार का हुक्म दिया गया है। इंतेज़ार का क्या मतलब है? इंतेज़ार का मतलब है चौकन्ना रहना। सामरिक क्षेत्र ‎में एक शब्द बहुत इस्तेमाल होता है, हाई एलर्ट रहना। अगर आपके इमाम जो सारी दुनिया में इंसाफ़ क़ायम करने ‎के लिए तशरीफ़ लाएंगे आज सामने आ जाएं तो हमें और आपको इसके लिए एलर्ट रहना चाहिए। इंतेज़ार का यही ‎मतलब है। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎10 मई 2017
20/03/2022
मौला का नाम और ज़िक्र हमेशा हमें यह याद दिलाता है कि इस अंधेरी रात की समाप्ति पर सत्य का सूरज ज़रूर ‎निकलेगा। बहुत से इंसान कभी कभी तारीकी के घटाटोप बादलों को देखते हैं तो मायूस होने लगते हैं। इमाम महदी ‎अलैहिस्सलाम की याद इस बात की अलामत है कि सूरज ज़रूर निकलेगा और उजाला फैलेगा। इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎10 मई 2017‎
17/03/2022
शाबान महीने की बहुत बड़ी ख़ासियत यह है कि इस महीने में कायनात के मरकज़ हज़रत इमाम महदी ‎अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ। इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎10 मई 2017‎
18/03/2022
इमाम महदी अलैहिस्सलाम पर ध्यान केन्द्रित करना दरअस्ल अल्लाह की बारगाह में बंदगी और अक़ीदत ज़ाहिर करना ‎है। इमाम महदी अलैहिस्सलाम की तरफ़ तवज्जो केन्द्रित करते हैं, उनसे मदद मांगते हैं, उनकी बारगाह में सिर ‎झुकाते हैं तो इसलिए कि हमारी यह अक़ीदत अल्लाह की बारगाह में पहुंचे और हमारा यह अमल अल्लाह की बारगाह ‎में बंदगी समझा जाए। इमाम ख़ामेनेई ‎ 10 मई 2017
16/03/2022
कुछ लोग अपने ग़ैर पुख़्ता और ग़लत प्रस्तावों से देश की #राष्ट्रीय_ताक़त के कुछ बाज़ुओं को काट देना चाहते थे। अगर यह होने दिया जाता तो आज #ईरान को बहुत बड़े ख़तरों का सामना करना पड़ता मगर अल्लाह के इरादे और इनायत से इन प्रस्तावों पर अमल करने की संभावना ही ख़त्म हो गई। इमाम ख़ामेनेई 10 मार्च 2022