ईरानी अवाम का अल्लाहो अकबर का नारा अपना ख़ास अंदाज़ रखता है क्योंकि यह पैग़म्बर का नारा है, यह बुतों को तोड़ देने वाला अल्लाहो अकबर का नारा है, यह ताक़त व दौलत के बुतों को नाचीज़ साबित कर देने वाला नारा है, यह विश्व साम्राज्यवाद के मुक़ाबले में एक राष्ट्र की शुजाअत और बहादुरी का नारा है।
इमाम ख़ामेनेई
28 अगस्त 1985
इमाम ख़ुमैनी वाक़ई बड़े फ़ौलादी इरादे वाले इंसान थे। वह इंसान थे जिसे अपनी राह की सच्चाई पर सौ प्रतिशत यक़ीन हो। जैसा कि क़ुरआन में पैग़म्बर के बारे में आया है कि रसूल उस चीज़ पर पूरा अक़ीदा व ईमान रखते हैं जो उनके परवरदिगार की तरफ़ से उन पर नाज़िल की गई है (बक़रा 285)। सच्चे और साफ़गो इंसान थे। सियासत बाज़ी से दूर थे। बड़े ज़ेहीन और दूरदर्शी इंसान थे।
इमाम ख़ुमैनी एक अवामी शख़्सियत थे और अवाम पर उन्हें बड़ा भरोसा था। 1962 की बात है जब इमाम ख़ुमैनी इस क़द्र मशहूर नहीं थे, उन्होंने क़ुम में अपनी एक तक़रीर में तत्कालीन सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर तुमने अपना रवैया न बदला तो क़ुम के मरुस्थल को अवाम से भर दूंगा। कुछ ही महीने गुज़रे थे कि इमाम ख़ुमैनी ने फ़ैज़िया मदरसे में निर्णायक भाषण दिया। जनता बंदूक़ों और टैंकों के मुक़ाबले में डट गई।
इमाम ख़ुमैनी ने इस्लामी शिक्षाओं को बयान किया। हुकूमत का अर्थ बयान किया। इंसान का अर्थ समझाया और अवाम को यह बताया कि उनके साथ क्या हो रहा है और क्या होना चाहिए। जिन तथ्यों को ज़बान पर लाने की लोग हिम्मत नहीं करते थे, इमाम ख़ुमैनी ने उन तथ्यों को दबे लफ़्ज़ों में नहीं खुले आम बयान किया।
हमारा इंक़ेलाब उस सरकार के ख़िलाफ़ महान अवामी इंक़ेलाब था जो एक निंदनीय सरकार की सारी बुराइयों में लिप्त थी। भ्रष्टाचारी थी, बाहरी ताक़तों की पिट्ठू थी, बग़ावत के ज़रिए थोपी गई थी और नाकारा भी थी।
“हल अता” सूरे में अल्लाह, हज़रत फ़ातेमा ज़हरा और उनके परिवार के बारे में तफ़सील से बात करता है, यह बहुत अहम बात है। वाक़ई यह एक परचम है जिसे क़ुरआने मजीद, हज़रत फ़ातेमा ज़हरा के घर पर लहराता है।
इमाम ख़ामेनेई
23 जनवरी 2022
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेईः “किसी ने कहा था कि ‘शहीद सुलैमानी’ दुश्मनों के लिए ‘जनरल सुलैमानी’ से ज़्यादा ख़तरनाक हैं। उसने बिल्कुल सही समझा। अमरीका की हालत आप देखिए! अफ़ग़ानिस्तान से फ़रार होता है, इराक़ से बाहर निकलने का दिखावा करने पर मजबूर है। यमन और लेबनान को देखिए। शाम में भी धराशायी हो चुका है।”
1 जनवरी 2022
इस ईद और जन्म दिन की मुबारकबाद पेश करता हूं।
यह भी इस्लाम का एक करिश्मा है कि हज़रत ज़हरा (स.अ.) इस छोटी सी ज़िंदगी में कायनात की औरतों की सरदार बन गईं। यह कैसी शक्ति और कैसी अंदरूनी ताक़त है जो इंसान को छोटी सी मुद्दत में ज्ञान, बंदगी, पाकीज़गी और आध्यात्मिक बुलंदी के महासागर में तब्दील कर देती है। यह भी इस्लाम का करिश्मा है।
इमाम ख़ामेनेई
5 जूलाई 2007
हमें यह बात हमेंशा मद्देनज़र रखनी चाहिए कि दुनिया में हमारी दुश्मनी के मोर्चे में वे दुश्मन भी हैं जो मतभेद की आग भड़काने में ख़ास महारत रखते हैं। वे “फूट डालो राज करो” के उस्ताद हैं।
इमाम ख़ामेनेई
9 जनवरी 2022
जितना मुमकिन हो हमें आपसी फूट की वजहों को कम करना चाहिए। अलबत्ता सोच, तौर तरीक़े, शैली और आदतों में फ़र्क़ पाया जाता है। मगर इन सब को एक दूसरे के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल लेने की वजह नहीं बनने देना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
9 जनवरी 2022
दीनी ग़ैरत और स्वाभिमान का स्रोत बुनियादी तौर पर बसीरत है और बसीरत, अक़्ल और गहरी समझदारी का एक पहलू है जो दीनदारी की गहराई का पता देती है। अकसर मामलों में आप दीनी ग़ैरत को अक़्ल और समझदारी के साथ पाएंगे।
इमाम ख़ामेनेई
9 जनवरी 2022
हमारे मुल्क में पिछले डेढ़ सौ साल के दौरान जो अहम तारीख़ी और समाजी घटनाएं हुईं और जिनमें अवाम मैदान में उतर पड़े, उनमें अकसर घटनाएं वो हैं जिनमें कोई धर्मगुरु, कोई साहसी, मुजाहिद और राजनीति की सूझबूझ रखने वाला आलिम नज़र आता है।
इमाम ख़ामेनेई
9 जनवरी 2022
जिन लोगों ने सुलैमानी को शहीद किया, ट्रम्प और उनके जैसे लोग, वह इतिहास में दफ़्न हो जाएंगे, लेकिन सुलैमानी अमर हैं। उनके दुश्मन विलुप्त हो जाएंगे, अलबत्ता इंशाअल्लाह दुनिया में ख़मियाज़ा भुगतने के बाद।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 2022
ईरान की पासदाराने इंक़ेलाब फ़ोर्स ने फ़िलहाल एक जवाबी वार किया और अमरीकी छावनी को अपने मिसाइलों से तबाह कर दिया, ज़ालिम और अहंकारी हुकूमत की अकड़ और इज़्ज़त मिट्टी में मिला दी जबकि उसको दी जाने वाली असली सज़ा इलाक़े से उसकी बेदख़ली है।
इमाम ख़ामेनेई
17 जनवरी 2020
ईरान वासियों को गर्व करना चाहिए कि उनके बीच एक इंसान एक दूरदराज़ के गांव से उठता है, संघर्ष करता है आत्म निर्माण करता है और पूरे इस्लामी जगत का चैंपियन और जगमगाता चेहरा बन जाता है।
इमाम ख़ामेनेई
16 दिसम्बर 2020
इस्लामी दुनिया में उनके नाम और ज़िक्र का बढ़ता असर साबित करता है कि प्रिय सुलैमानी हक़ीक़त में इस्लामी दुनिया की सतह की हस्ती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 2022
मैं हमेशा दिल से और ज़बान से उनकी तारीफ़ करता था लेकिन उन्होंने जो हालात पैदा कर दिए और मुल्क बल्कि पूरे इलाक़े के लिए जिस तरह की स्थिति उत्पन्न की उसे देखकर अब मैं उनको नमन करता हूं।
इमाम ख़ामेनेई
8 जनवरी 2020
सरदार क़ासिम सुलैमानी, इस अज़ीज़ के ख़ून की बरकत से प्रतिरोधक मोर्चा दो साल पहले की तुलना में आज ज़्यादा सक्रिय और ज़्यादा आशावर्धक हो चुका है।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 2022
सरदार सुलैमानी के जुलूस-ए-जनाज़ा में करोड़ों ईरानी आवाम की शिरकत से साबित हुआ कि शहीद सुलैमानी वास्तविक राष्ट्रीय शख़्सियत थे और हैं।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 2022
शहीद सुलैमानी डिफ़ेन्स के मैदान को गहराई से समझने वाले जांबाज़ कमांडर थे लेकिन इसके साथ ही धार्मिक नियमों के पूरी तरह पाबंद थे।
इमाम ख़ामेनेई
8 जनवरी 2020
अल्लाह के महान पैग़म्बर हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम के जन्म दिवस पर मैं दुनिया के सभी मोमिनों, सभी ईसाइयों व मुसलमानों को मुबारकबाद पेश करता हूं। निश्चित रूप से मुसलमानों की नज़र में हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम की जो क़द्र व क़ीमत है, वह ईसाइयों की नज़र में उनकी क़द्र व क़ीमत से कम नहीं है। इस महान पैग़म्बर ने लोगों के बीच अपनी मौजूदगी का पूरा समय, संघर्ष के साथ गुज़ारा ताकि ज़ुल्म, सितम और भ्रष्टाचार और उन लोगों के मुक़ाबले में खड़े हो जाएं जिन्होंने धन और ताक़त के बल पर राष्ट्रों को ज़ंजीर में जकड़ रखा था और उन्हें घसीट कर लोक-परलोक के नरक में ले जा रहे थे। इस महान पैग़म्बर ने अपने बचपन से ही - अल्लाह ने उन्हें बचपन में ही नबी बना दिया था - जो तकलीफ़ें सहीं, वे सब इसी राह में थे। उम्मीद है कि हज़रत ईसा मसीह के मानने वाले और वे सारे लोग जो इस महान हस्ती को, उनकी शख़्सियत के अनुरूप महानता, रूहानियत व उच्च दर्जे के लायक़ समझते हैं, इस राह में उनका अनुसरण करेंगे।
इमाम ख़ामेनेई
27 दिसम्बर 2000
हज़रत ज़ैनब के कारनामे की तुलना इतिहास की अन्य बड़ी घटनाओं से नहीं हो सकती। उसकी तुलना ख़ुदा आशूर की घटना से करना चाहिए। वाक़ई यह दोनों एक दूसरे के बराबर हैं।
इमाम ख़ामेनेई
20 नवम्बर 2013
संघर्ष और बड़े समाजी फ़ैसलों के मैदान में मौजूद रहने के पहलू से फ़ातेमा ज़हरा, सबसे ऊंचे स्थान पर हैं। यानी पैग़म्बर की वफ़ात के बाद, ख़िलाफ़त के मामले में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा अपने पूरे वुजूद के साथ, अपने बयान के साथ, अपने ज्ञान के साथ, अपनी कोशिशों के साथ, अपने पूरे अस्तित्व के साथ मैदान में आ गईं।
इमाम ख़ामेनेई
8 दिसम्बर 1993
फ़ातेमा ज़हरा जन्नत की औरतों की सरदार हैं। बहादुरी का सबक़, त्याग का पाठ, दुनिया से दिल न लगाने का पाठ, अल्लाह की पहचान की शिक्षा, दूसरों के मन में अल्लाह की पहचान को उतर देने का पाठ, इंसान को मुफ़क्किर बना देने का पाठ, ये सब हज़रत फ़ातेमा ज़हरा के सिखाए हुए पाठ हैं।
इमाम ख़ामेनेई
18 फ़रवरी 2018
हक़ीक़त में फ़ातेमा ज़हरा नूर की सुबह हैं जिनके नूरानी हलक़े से इमामत व विलायत और नुबूव्वत का सूरज जगमगाता है। वे एक ऊंचा आसमान हैं जिसकी गोद में विलायत के दमकते हुए सितारे पलते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
22 अक्तूबर 1997
रूहानी और इलाही दर्जों तक पहुंचने में औरत और मर्द में कोई फ़र्क़ नहीं है। अल्लाह, इतिहास में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा जैसी महिला की रचना करता है जो इस हदीस के मुताबिक़ कि “हम अल्लाह की रचनाओं पर उसकी हुज्जत हैं और फ़ातेमा हम पर अल्लाह की हुज्जत हैं” अल्लाह की हुज्जत हैं, वे अल्लाह की हुज्जत की भी हुज्जत हैं, इमामों की माँ हैं, क्या इससे बढ़ कर भी कोई शख़्सियत हो सकती है?
इमाम ख़ामेनेई
1 मई 2013
हज़रत ज़ैनब इस्लामी इतिहास नहीं बल्कि पूरी इंसानियत के इतिहास की अज़ीम हस्ती हैं। जिस अंदाज़ से आपने अमल किया पुरुषों और महिलाओं में शायद ही कोई होगा जो इस मज़बूती से कठिन मैदान में क़दम रखे।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 2020
हज़रत ज़ैनब की महानता का राज़ क्या है? यह नहीं कह सकते कि आप हज़रत अली की बेटी या इमाम हुसैन की बहन हैं इसलिए आपकी यह महानता है। सारे इमामों की बेटियां, माएं और बहनें थीं लेकिन हज़रत ज़ैनब जैसा कौन है? हज़रत ज़ैनब की महानता उनके फ़ैसले और महान इस्लामी व इंसानी अमल की वजह से है जिसे धार्मिक फ़र्ज़ के आधार पर आपने अपनाया।
इमाम ख़ामेनेई
13 नवम्बर 1991
आशूरा के मैदान में घटने वाली सैन्य घटना ज़ाहिरी तौर पर हक़ के सिपाहियों की हार पर ख़त्म हुई लेकिन जो चीज़ इस बात का कारण बनी कि यह ज़ाहिरी सैन्य पराजय, एक निश्चित व अमर विजय में बदल जाए वह हज़रत ज़ैनब का तरीक़ा था, हज़रत ज़ैनब ने दिखा दिया कि ज़नाना पाकीज़गी व हया को मुजाहेदाना इज़्ज़त और एक बड़े जेहाद में बदला जा सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
21 अप्रैल 2010
अगर औरत का आइडियल हज़रत ज़ैनब और हज़रत फ़ातेमा सलामुल्लाह अलैहा हों, तो उसका काम है सही समझ, परिस्थितियों को समझने में होशियारी और बेहतरीन कामों का चयन, चाहे उसके लिए क़ुर्बानी देनी हो और हर चीज़ बलिदान करना पड़े।
इमाम ख़ामेनेई
13 नवम्बर 1991
अगर हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा न होतीं तो कर्बला भी न होती। अगर हज़रत ज़ैनब की बहादुरी न होती तो कर्बला की घटना इस तरह फैल नहीं सकती थी और इस तरह तारीख़ में अमर न हो पाती।
इमाम ख़ामेनेई
16 फ़रवरी 2011
फ़िलिस्तीन तो यक़ीनन आज़ाद होगा और फ़िलिस्तीनियों को वापस मिलेगा। वहां फ़िलिस्तीनी हुकूमत बनेगी। इसमें कोई शक नहीं। लेकिन अमरीका और पश्चिम की बदनामी का दाग़ मिटने वाला नहीं है।
इमाम ख़ामेनेई
27 फ़रवरी 2010
प्यारे नौजवानो! ग़ैर मामूली दिमाग़ अल्लाह की नेमत है। अल्लाह की नेमत का शुक्र अदा करना चाहिए। सूरए नह्ल में है कि अल्लाह की नेमत का शुक्र अदा करो अगर तुम उसी की इबादत करते हो।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई 17 नवम्बर 2021