फ़िलिस्तीन पर अवैध क़ब्ज़े के पूरे 70 साल के समय में ज़ायोनियों ने एक इंच ज़मीन भी बात-चीत के नतीजे में नहीं छोड़ी है। वार्ता की हैसियत क्या है? ज़ायोनी सिर्फ़ प्रतिरोध के नतीजे में पीछे हटे। पहली घटना, दक्षिणी लेबनान से पीछे हटने और फ़रार की थी। फ़िलिस्तीनियों को याद रखना चाहिए, फ़िलिस्तीनी जेहाद में शामिल संगठन याद रखें! कभी इस झांसे में न आएं कि ग़ज़्ज़ा की आज़ादी, बात-चीत के नतीजे में हुई है। बिल्कुल नहीं! वार्ता से ग़ज़्ज़ा को आज़ादी नहीं मिली। बात-चीत से कोई भी इलाक़ा आज़ाद नहीं हुआ और कभी भी इससे कोई इलाक़ा आज़ाद होने वाला नहीं है। ग़ज़्ज़ा को जिस चीज़ ने आज़ादी दिलाई, वह फ़िलिस्तीनी राष्ट्र का प्रतिरोध था। ज़ायोनी पीछे हटने पर मजबूर हो गए।
इमाम ख़ामेनेई
19 अगस्त 2006
हमारे और आपके कुछ पड़ोसी देशों के नेताओं का ज़ायोनी शासन के अधिकारियों के साथ उठना-बैठना है और वे साथ में बैठ कर कॉफ़ी पीते हैं। लेकिन इन्हीं मुल्कों के अवाम क़ुद्स दिवस पर सड़कों को अपनी भारी तादाद और ज़ायोनी विरोधी नारों से भर देते हैं। यही आज इलाक़े की सच्चाई है।
सीरिया के राष्ट्रपति से मुलाक़ात में इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर इमाम ख़ामेनेई
08/05/2022
ज़ायोनी सरकार की सांसें उखड़ रही हैं लेकिन इसके बावजूद उसके अपराधों का सिलसिला जारी है और अपने हथियारों से मज़लूमों पर हमले कर रही है। औरतों, बच्चों, बूढ़ों और जवानों सब को क़त्ल कर रही है।
इमाम ख़ामेनेई
29 अप्रैल 2022
मज़दूर के सिलसिले में पूंजीवादी व्यवस्था की नज़र शोषण पर आधारित है। उनके नज़दीक मज़दूर दौलत कमाने का औज़ार है। पूंजीवादी व्यवस्था की यह सोच है और वे अपनी इस सोच को छिपाते भी नहीं। आर्थिक विषयों की उनकी किताबें आप देखिए तो इसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे।
इमाम ख़ामेनेई
8 मई 2022
अंतर्राष्ट्रीय जंग में सीरिया को फ़तह दिलाने में कई कारण प्रभावी रहे। एक अहम वजह ख़ुद आप (जनाब बश्शार असद) का बुलंद हौसला था। इंशाअल्लाह आप इसी जज़्बे के साथ, जंग की तबाही के बाद पुनरनिर्माण का काम पूरा कीजिए क्योंकि अभी आपको बहुत बड़े काम अंजाम देने हैं।
इमाम ख़ामेनेई
8 मई 2022
हम चाहते हैं कि अपने अज़ीज़ श्रमिकों का शुक्रिया अदा करें और पैग़म्बरे इस्लाम का अनुसरण करते हुए आप के हाथ चूमें और हमारी इच्छा है कि समाज में काम और मेहनत की अहमियत ज़ाहिर हो।
इमाम ख़ामेनेई
8 मई 2022
ख़ानदान और परिवार की बहस में बार बार महिला की भूमिका का ज़िक्र आता है। इसकी वजह भी ज़ाहिर है। घर के अंदर औरत की पोज़ीशन केन्द्रीय हैसियत रखती है। समाज को उसकी अहमियत का एहसास होना चाहिए। घरेलू महिलाओं के कामों की अहमियत का जायज़ा लिया जाना चाहिए। कुछ महिलाएं हैं जो बाहर जाकर नौकरी वग़ैरा कर सकती थीं। कुछ उच्च शिक्षा के लिए जा सकती थीं। कुछ के पास तो उच्च शिक्षा भी थी लेकिन उन्होंने कहा कि हमें बच्चों की परवरिश करनी है, तरबियत करनी है इसलिए हम काम के लिए नहीं निकले। इस तरह की महिलाओं की क़द्र की जानी चाहिए। यहां सज्जनों ने यह भी कहा कि इन महिलाओं का बीमा होना चाहिए। बेशक होना चाहिए। उनकी माली ज़रूरतें पूरी की जानी चाहिए, उनका बीमा और दूसरी ज़रूरतें पूरी होनी चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
4 जनवरी 2012
रमज़ान के महीने को इबादतों, रोज़ेदारी, दुआ, मुनाजात, इलतेजा और विनती की हालत में गुज़ारना और फिर ईदुल फ़ित्र के वातावरण में क़दम रखना एक मोमिन इंसान के लिए वास्तविक ईद है। यह ईद दुनिया के भौतिक उत्सवों जैसी नहीं है। यह अल्लाह की रहमत व बख़शिश की ईद है।
इमाम ख़ामेनेई
4 नवम्बर 2022
आज ईदे फ़ित्र है। अल्लाह से ईदी लेने का दिन है। वह दिन है कि जब ईदे फ़ित्र की नमाज़ के क़ुनूत में दसियों लाख भावुक दिलों ने अल्लाह से दुआ की है कि वही नेकियां जो उसने अपने सबसे महान बंदों को प्रदान की हैं, उन्हें भी प्रदान करे और जिन बुराइयों से उसने तारीख़ के सबसे श्रेष्ठ इंसानों को दूर रखा है, उनसे उन्हें भी दूर रखे।
इमाम ख़ामेनेई
26 नवम्बर 2003
हमारे नौजवानों ने इस महीने में जो नूर हासिल किया है इन्शाअल्लाह, वह उसकी हिफ़ाज़त करें। इस ख़ज़ाने को पूरी ज़िदंगी या कम से कम एक साल तक अगली ईद तक और अगले रमज़ान तक संभाल कर रखें। क़ुरआने मजीद से लगाव, अल्लाह की याद , उसके ज़िक्र को, अल्लाह की पसंद के मैदानों में काम इन सब को हमें संभाल कर रखना चाहिए।
रमज़ान के महीने में दिल नर्म हो जाता है, रूह पर चमक आ जाती है और जब यह मुबारक महीना ख़त्म हो जाता है तो नए साल की शुरुआत का दिन ईदे फ़ित्र का दिन आता है। यानी वह दिन जब इंसान रमज़ान के महीने की बरकतों की मदद से सत्य के रास्ते पर सफ़र करे और ग़लत रास्तों से बचे।
इमाम ख़ामेनेई
2 मार्च 1995
ज़ायोनी हुकूमत सियासी और फ़ौजी मैदानों में एक दूसरे से जुड़ी मुश्किलों के जाल में फंसी हाथ पैर मार रही है। हुकूमत चलाने वाला पिछला जल्लाद, सैफ़ुलक़ुद्स आप्रेशन के बाद कूड़ेदान में गया, उसकी जगह लेने वाले ओहदेदार भी हर वक़्त किसी नए आप्रेशन के डर में जी रहे हैं।
इमाम ख़ामेनेई
29 अप्रैल 2022
रोज़ेदार मोमिन इंसान शबे क़द्र से नए साल का आग़ाज़ करता है। शबे क़द्र में अल्लाह के फ़रिश्तों की तरफ़ से एक साल के लिए उसकी तक़दीर लिखी जाती है। इंसान एक नए साल में, नए चरण में और दर हक़ीक़त एक नई ज़िंदगी में और नए जन्म में प्रवेश करता है। ईदे फ़ित्र की नमाज़ एक तरह से रमज़ान के महीने में प्राप्त होने वाली अल्लाह की नेमतों का शुक्रिया है।
इमाम ख़ामेनेई
20 सितम्बर 2009
रमज़ान की अलविदाई दुआ में इमाम ज़ैनुलआबेदीन अलैहिस्सलाम कहते हैं कि तूने शुक्र करने की बात शुक्र करने वालों के दिलों में डाली है। तूने अपनी हम्द करने वालों को इनाम दिया जबकि हम्द की बात भी तूने ही उन के दिल में डाली।
ज़ायोनी शासन के विपरीत इस्लामिक रेज़िस्टेंस फ़्रंट की ताक़त में लगातार इज़ाफ़ा रौशन मुस्तक़बिल की ख़ुशख़बरी दे रहा है। सामरिक और रक्षा ताक़त में इज़ाफ़ा, उपयोगी हथियार बनाने में आत्मनिर्भरता, मुजाहिदीन में आत्म विश्वास, नौजवानों में दिन ब दिन बढ़ती जागरूकता, पूरे फिलिस्तीन और उस से बाहर प्रतिरोध का फैलता दायरा, मस्जिदुल अक़्सा की रक्षा में मुसलमानों का हालिया आंदोलन, अटल सच्चाई है।
इमाम ख़ामेनेई
7 मई सन 2021
रमज़ान की अलविदाई दुआ में इमाम ज़ैनुलआबेदीन (अ.स.) कहते हैं कि तूने इस दरवाज़े को खोला है हमारे लिए ताकि हम उससे गुज़र कर तेरी रहमत की तरफ़ बढ़ें और तेरी रहमतों और बख़्शिश से फ़ायदा उठाएं। यह दरवाज़ा तौबा का दरवाज़ा है। ख़ुदा की मग़फेरत की तरफ़ एक खिड़की है। अगर ख़ुदा अपने बंदों के लिए तौबा का दरवाज़ा नहीं खोलता तो हम गुनहगारों की हालत बहुत ख़राब होती।
पूरी दुनिया के मुस्लिम भाईयों और बहनों को सलाम! इस्लामी दुनिया के सभी नौजवानों को सलाम! सलाम हो, फ़िलिस्तीन के बहादुर और ग़ैरतमंद नौजवानों पर! सलाम हो #फ़िलिस्तीन के अवाम पर!
इमाम ख़ामेनेई
7 मई सन 2021
ज़ायोनी दुश्मन हर साल पिछले साल की तुलना में ज़्यादा कमज़ोर हुआ है। उसकी फ़ौज जो ख़ुद को नाक़ाबिले शिकस्त बताती थी, आज लेबनान में 33 दिन और ग़ज़्ज़ा में 22 दिन और 8 दिन की जंगों में शिकस्त खाकर एक ऐसी फ़ौज बन कर रह गई है जो कभी कामयाबी का मुंह नहीं देख सकती।
इमाम ख़ामेनेई
7 मई सन 2021
परवरदिगार! रमज़ान की रातें गुज़र गयीं, रमज़ान के दिन बीत गये और हमें यह भी नहीं मालूम कि इन गुज़र जाने वाली रातों और बीत जाने वाले दिनों में हम अपने वजूद को तेरी रहमतों से सजा पाए या नहीं। "अगर अब तक तक हम तुझे खुश करने में कामयाब नहीं हुए तो हमारी गुज़ारिश है कि अब हम से राज़ी हो जा।"
फ़िलिस्तीनी चाहे ग़ज़्ज़ा में हों, क़ुद्स में हों, वेस्ट बैंक के इलाक़े में हों, चाहे 1948 में ग़ैर क़ानूनी क़ब्ज़े में लिए गए इलाक़ों में हों, चाहे कैम्पों में हों, सब एक सामाजिक इकाई हैं। उन्हें एक दूसरे से जुड़े रहने की स्ट्रैटेजी अपनानी चाहिए। हर इलाक़े को दूसरे इलाक़े की हिफ़ाज़त करनी चाहिए और उन पर दबाव की हालत में उन सभी संसाधनों को इस्तेमाल करना चाहिए जो उनके पास हैं।
दुआ, ख़ुदा के सामने बंदगी की निशानी है और इसका मक़सद, इन्सान में इबादत के जज़्बे को मज़बूत करना है। ख़ुदा के सामने उसका बंदा होने का एहसास और उसकी इबादत का जज़्बा, वही चीज़ है जिसके लिए तमाम नबियों ने कोशिश की है। उनकी कोशिश रही है कि इन्सानों के अंदर इस जज़्बे को ज़िन्दा किया जाए, इन्सान की सभी ख़ूबियों और उसके सभी अच्छे कामों की जड़, अल्लाह के सामने बंदगी का एहसास है।
क़ुद्स शरीफ़ के मुद्दे पर मुसलमानों में सहयोग और समन्वय से ज़ायोनी दुश्मन और उसके समर्थक अमरीका और यूरोप घबराए हुए हैं। सेंचुरी डील की नाकामी और उसके बाद क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार के साथ कुछ कमज़ोर अरब सरकारों के रिश्ते, इस दहशत से फ़रार की नाकाम कोशिश है।
इमाम ख़ामेनेई
7 मई सन 2021
दुनिया नए वर्ल्ड आर्डर की दहलीज़ पर खड़ी है। दो ध्रुवीय और एक ध्रुवीय व्यवस्था के मुक़ाबले में नया वर्ल्ड आर्डर। #यूक्रेन की जंग का गहराई से जायज़ा लेना चाहिए। यह जंग केवल एक देश पर हमला नहीं, इस कार्यवाही की जड़ें गहरी हैं और पेचीदा और कठिन भविष्य का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
26 अप्रैल 2022
नए संभावित वर्ल्ड आर्डर के वक़्त इस्लामी मुल्क ईरान और सभी देशों को चाहिए कि इस नए वर्ल्ड आर्डर में इस अंदाज़ से अपना वैचारिक और व्यवहारिक रोल अदा करें कि अपने राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा की हिफ़ाज़त कर सकें। इस सिलसिले में सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदारी छात्रों की है।
इमाम ख़ामेनेई
26 अप्रैल 2022
इस साल #क़ुद्स_दिवस पिछले बर्सों से अलग है। पिछले रमज़ान और इस साल रमज़ान के महीने में फ़िलिस्तीनियों ने बड़ी क़ुरबानियां दीं और दे रहे हैं। ज़ायोनी हुकूमत भी जुर्म की हदें पार कर रही है और अमरीका व यूरोप उसकी मदद कर रहे हैं।
इमाम ख़ामेनेई
26 अप्रैल 2022
इस्लामी जुम्हूरिया ईरान में हमारे लिए फ़िलिस्तीन का मामला, एक स्ट्रैटजिक मामला नहीं बल्कि यह हमारे ईमान, दिल और अक़ीदे का मामला है। क़ुद्स डे पर और हर साल रमज़ान के आख़िरी जुमे को जिसे इमाम ख़ुमैनी ने क़ुद्स दिवस कहा है, मुल्क के सभी शहरों में लोग सड़कों पर उतरते हैं। गर्मी हो, सर्दी हो कोई फ़र्क़ नहीं, लोग सड़कों पर आकर अपना लगाव ज़ाहिर करते हैं।
दिल सिर्फ़ नमाज़, दुआओं और अल्लाह की याद से पाक होता है। अगर कोई यह समझता है कि इन चीज़ों के बिना ही वह अपने दिल को पाकीज़ा बना सकता है तो वह बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी में है। आधी रातों को रोने से, ग़ौर के साथ क़ुरआन पढ़ने से , सहीफ़ए सज्जादिया की दुआएं पढ़ने से इन्सान का दिल पाकीज़ा बनता है। यह नहीं होता कि हम कहें कि जनाब जाइए अपना दिल साफ़ करके आइए फिर जो जी में आए कीजिए।
किसी मुस्लिम देश के लिए यह गर्व की बात नहीं है कि अमरीकी राष्ट्रपति खुलेआम कहे: ”हम उसे दूध देने वाली गाय समझते हैं!”अमरीका के राष्ट्रपति ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि हम सऊदी अरब को दूध देने वाली गाय समझते हैं। किसी हुकूमत और किसी भी राष्ट्र का इससे ज़्यादा क्या अपमान होगा?! उसका पैसा भी ले लें और फिर उसे दूध देने वाली गाय कहें और उसका अपमान करें!
इमाम ख़ामेनेई
14 अप्रैल 2018
दरअस्ल शबे क़द्र से, रोज़ेदार मोमिन अपने नये साल की शुरुआत करता है। शबे क़द्र में एक साल के लिए उसकी क़िस्मत, अल्लाह की तरफ से फ़रिश्ते लिखते हैं। इन्सान एक नये साल, नये मरहले और दरअस्ल नयी ज़िंदगी और नये जन्म का एहसास करता है। एक नये रास्ते पर चलता है और तक़वे से इस राह पर चलने में मदद लेता है।
ख़ुदा से दुआ करें कि इबादतों में आप का दिल लगे, अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगें, ख़ुदा से दुआ करें कि आप के दिल नर्म हों, आप को तौबा की तौफ़ीक़ मिले। आज की रात की क़द्र करें। बहुत अहम रात है। बहुत बड़ी रात है। इमामे ज़माना को याद करें। अल्लाह के घर के दरवाज़े पर, मस्जिदों में जाएं और इमामे ज़माना की बरकत से ख़ुदा से अपनी मुरादें पाएं। मेरे लिए भी दुआ करें।
इमाम ख़ामेनेई
21-10-2005
शबे क़द्र दरअस्ल दुआ, अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाने और उसे याद करने का वक़्त है। इसके साथ ही यह रात इस बात का मौक़ा भी है कि हम हज़रत अली (अ.स.) के अज़ीम मक़ाम के बारे में कुछ जान लें और सबक़ सीखें। रमज़ान के महीने की जो भी फ़ज़ीलत बयान की जाए और इस महीने में अल्लाह के बन्दों के जो भी फ़रीज़े बताए जाएं, उन सब के लिए सब से अच्छे आइडियल, हज़रत अली (अ.स.) हैं।
शबे क़द्र वह रात है जिसे अल्लाह ने “सलाम” कहा है। सलाम का मतलब ख़ुदा की तरफ़ से इन्सानों को सलाम भी है और इसका एक मतलब, सलामती, सुल्ह, सुकून, लोगों में भाईचारा, दिलों और लोगों के बीच दोस्ती भी है। रूहानी लिहाज़ से, यह ऐसी रात है। शबे क़द्र की क़द्र करें और मुल्क की, अपनी, मुसलमानों और इस्लामी मुल्कों की परेशानियां दूर होने के लिए दुआ करें।
इन रातों में जैसा कि कल की रात थी, या आने वाले कल और 23 तारीख़ की रात होगी इन सब रातों में इस्लामी दुनिया के हर कोने में, जहां भी दीन पर अक़ीद है, लोगों के गिड़गिड़ाने की आवाज़ें सुनायी दे रही हैं, रोने की आवाज़ें, मदद मांगने की आवाज़ें सुनाई दे रही हैं लोग अपने लिए, दूसरों के लिए दुआएं कर रहे हैं। आप लोग यह दुआ भी करें कि या अल्लाह! उन सभी मोमिनों की दुआएं क़ुबूल कर जो इन रातों में दुआएं कर रहे हैं। यह भी एक दुआ होना चाहिए।
शबे क़द्र में सब से अच्छा अमल, दुआ है। रातों को जागने का मक़सद भी दुआ और अल्लाह को याद करना है। दुआ, यानी अल्लाह से बात करना, अल्लाह को ख़ुद से क़रीब समझना और दिल की बातें उससे करना। दुआ या कोई मांग होती है, या अल्लाह की हम्द व प्रशंसा होती है या फिर अल्लाह से लगाव का इज़हार। यही दुआ है।
ख़ुदा से क़रीब होने के लिए अस्ली काम, गुनाहों से दूर होना है। मुस्तहेब नमाज़ें और दुआएं वग़ैरा तो दूसरे नंबर पर हैं। अस्ली चीज़ यह है कि इन्सान ख़ुद को गुनाहों और ग़लत कामों से रोक ले। इसके लिए तक़वे की ज़रूरत होती है। गुनाह की वजह से हमारा दिल, दुआ और अल्लाह की तरफ़ ध्यान नहीं दे पाता। गुनाह हमें, ख़ुद को सुधारने और संवारने नहीं देता। इसलिए हमें गुनाहों से दूर रहने की कोशिश करना चाहिए।
आज 1948 में अवैध क़ब्ज़े में लिए गए इलाक़ों, उसी अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के केन्द्र में फ़िलिस्तीनी नौजवान जाग चुके हैं और संघर्ष कर रहे हैं। यक़ीनन यह संघर्ष जारी रहेगा और अल्लाह के वादे के मुताबिक़ फ़तह फ़िलिस्तीनी क़ौम का मुक़द्दर बनेगी।
इमाम ख़ामेनेई
12 अप्रैल 2022
रमज़ान के मुबारक महीने में अपने दिलों को जितना हो सके, अल्लाह की याद से, नूरानी कर लें ताकि शबे क़द्र की पाकीज़ा रातों में जाने के लिए तैयार रहें कि जो “एक हज़ार महीनों से बेहतर हैं और जिसमें फ़रिश्ते और रूह नाज़िल होते हैं” यह वह रात है जिस में फ़रिश्ते ज़मीन को आसमान से मिला देते हैं, दिलों पर नूर की बारिश करते हैं और ज़िंदगी में ख़ुदा की रहमत व बरकत की रौशनी बिखेर देते हैं।
इमाम हसन (अ.स.) की विलादत का दिन है। पैग़म्बरे इस्लाम ने इमाम हसन का नाम रखा और यह बहुत बड़ी बात है कि ख़ुद पैग़म्बरे इस्लाम उन का नाम और इस मुबारक बच्चे का नाम ' हसन' रखते हैं। यह दिन आप सब को मुबारक हो।
अमरीका और उसके घटकों की नीतियों और इच्छा के विपरीत जिनकी कोशिश थी कि फ़िलिस्तीन भुला दिया जाए और दुनिया के अवाम भूल ही जाएं कि फ़िलिस्तीन नाम का कोई इलाक़ा और फ़िलिस्तीनी मिल्लत नाम की कोई क़ौम थी, फ़िलिस्तीन का मुद्दा दिन बदिन ज़्यादा उभरता जा रहा है।
इमाम ख़ामेनेई
12 अप्रैल 2022
ईद के दिन इमाम हसन (अ.स.) एक जगह से गुज़र रहे थे। आप ने देखा कि कुछ लोग, इस दिन की अहमियत से बेख़बर खड़े होकर खेल तमाशा कर रहे हैं और हंस रहे हैं। इमाम हसन (अ.स.) ने उन लोगों के पास खड़े होकर कहाः ख़ुदा ने रमज़ान को अपने बंदों के बीच मुक़ाबले का मैदान बनाया है। आज के दिन उन लोगों को इनाम मिलेगा जो रमज़ान के दौरान, ख़ुदा को ख़ुश करने में कामयाब रहे हैं ।