अपने गुनाहों की माफ़ी अगर सही तरीक़े से मांगी जाए तो इस से इन्सान के लिए ख़ुदा की बरकतों के दरवाज़े खुल जाते हैं। इन्सानी समाज और ख़ुद इन्सान को ख़ुदा की जिन नेमतों और बरकतों की ज़रूरत होती है उन सब का रास्ता, गुनाहों की वजह से बंद हो जाता है। गुनाह हमारे और खुदा की रहमतों व बरकतों के बीच दीवार की तरह है। तौबा, इस दीवार को गिरा देती है और ख़ुदा की रहमत व बरकत का रास्ता हमारे लिए खुल जाता है। सैयद अली ख़ामेनेई 1997-01-17