इमाम हसन (अ.स.) के लिए इमाम अली (अ.स.) की वसीयत में यह कहा गया है कि ख़ुदा ने अपने और तुम्हारे बीच कोई दूरी और कोई पर्दा नहीं रखा है। जब भी तुम उससे बात करना शुरु करते हो, जैसे ही तुम अपनी ज़रूरतें उसके सामने बयान करना शुरु करते हो वैसे ही ख़ुदा तुम्हारी आवाज़ सुनने लगता है। अल्लाह से कभी भी बात की जा सकती है।