मेरे दोस्तो! क़ुरआन से ज़्यादा क़रीब हो जाइए। अल्लाह की याद और तक़वा तक अगर हम पहुंच जाएं तो फिर क़ुरआन की हिदायत भी हमारे लिए आसान हो जाएगी। क्योंकि क़ुरआन तक़वा वाले लोगों के लिए हिदायत है, अगर तक़वा होगा तो हिदायत यक़ीनी है। हिदायत, तक़वा रखने वालों के लिए है। जितना तक़वा ज़्यादा होगा हिदायत, ज़्यादा साफ़ और अच्छी होगी। हमें इस पर ध्यान से काम करना चाहिए।