इंसान को अपने घर वालों के साथ ख़ुश मिज़ाज होना चाहिए। एक ऐसी मुसीबत है जिसमें हमारे बहुत से मोमिन और अच्छे लोग भी फंसे हुए हैं, अच्छे लोग हैं लेकिन अपने बाल बच्चों के साथ बड़े चिड़चिड़े, तुनुक मिज़ाज और कठोर हैं कि जो बहुत ही बुरी चीज़ है। अगर आप सोचें और ग़ौर करें तो देखेंगे कि इस एक जुमले के पीछे कि, इंसान को अपने बाल बच्चों के साथ खुश अख़लाक़ होना चाहिए, गहरे राज़ छिपे हुए हैं। अलबत्ता ये चीज़ ज़्यादातर मर्दों में पाई जाती है लेकिन कुछ औरतें भी ऐसी होती हैं मगर ये समस्या ज़्यादातर मर्दों में पाई जाती है जिनका रवैया घर में बाल बच्चों के साथ कभी कभी शिम्र की तरह होता है, किसी और बात पर उनका मूड ख़राब है, किसी ने उनकी बेइज़्ज़ती की है, बुरा-भला कहा है, इसका ग़ुस्सा वो बाल बच्चों पर निकालते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
15 फ़रवरी 2004
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هُوَ الَّذِي أَرْسَلَ رَسُولَهُ بِالْهُدَىٰ وَدِينِ الْحَقِّ لِيُظْهِرَهُ عَلَى الدِّينِ كُلِّهِ وَكَفَىٰ بِاللَّهِ شَهِيدًا (الفتح 29)
वह वही तो है जिसने अपने रसूल को हिदायत और सच्चा दीन देकर भेजा ताकि उसको तमाम दीनों पर ग़ालिब रखे और गवाही के लिए तो बस ख़ुदा ही काफ़ी है। सूरा अलफ़त्ह आयत 29