rss https://hindi.khamenei.ir/feed/service/all hi प्रॉक्सी फ़ोर्स एक ही है, ज़ायोनी रेजीम https://hindi.khamenei.ir/news/8699 क्षेत्र की बहादुर क़ौम, क्षेत्र के ग़ैरतमंद जवानों पर प्रॉक्सी होने का इल्ज़ाम लगाते हैं। मैं जो बात कहना चाहता हूं यह है कि इस क्षेत्र में सिर्फ़ एक प्रॉक्सी फ़ोर्स है और वह दुष्ट, क़ाबिज़ और भ्रष्ट ज़ायोनी शासन है। Mon, 31 Mar 2025 13:39:00 +0330 .. /news/8699 अगर अमरीका और ज़ायोनिस्ट रेजीम ने कोई दुष्टता की तो निश्चित तौर पर उन्हें मुंहतोड़ जवाब मिलेगा https://hindi.khamenei.ir/news/8698 इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने सोवमार की सुबह तेहरान के इमाम ख़ुमैनी धार्मिक-सांस्कृतिक काम्पलेक्स में इस्लामी ईरान के मोमिन अवाम की भव्य मौजूदगी में ईदुल फ़ित्र की नमाज़ पढ़ाई। Mon, 31 Mar 2025 12:34:00 +0330 .. /news/8698 तेहरान में ईदुल फ़ित्र की नमाज़ इमाम ख़ुमैनी ईदगाह में सोमवार 31 मार्च 2025 को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की इमामत में पढ़ी गयी। https://hindi.khamenei.ir/news/8697 इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई की इमामत में, सोमवार 31 मार्च 2025 की सुबह तेहरान में ईदुल फ़ित्र की नमाज़, इमाम ख़ुमैनी ईदगाह में दसियों लाख लोगों की शिरकत से अदा की गयी। Mon, 31 Mar 2025 09:44:00 +0330 .. /news/8697 इमाम ख़ामेनेई की इमामत में ईदुल फ़ित्र की नमाज़ https://hindi.khamenei.ir/news/8696 ईदुल फ़ित्र की नमाज़, इमाम ख़ामेनेई की इमामत में 31 मार्च 2025 को तेहरान की इमाम ख़ुमैनी ईदगाह में, आयोजित होगी। Sun, 30 Mar 2025 23:46:00 +0330 .. /news/8696 "तुम अल्लाह से मदद तलब करो और सब्र व तहम्मुल से काम लो..." https://hindi.khamenei.ir/news/8695 हज़रत मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि तुम अल्लाह से मदद तलब करो और सब्र व तहम्मुल से काम लो, अल्लाह मसले हल कर देगा और हल हो गए। शक न करें कि इस दृढ़ता का नतीजा दुश्मनों की हार है। दुष्ट और अपराधी ज़ायोनी शासन की हार है। Sun, 30 Mar 2025 21:04:00 +0330 .. /news/8695 ईद का चाँद नज़र आ गया, कल सोमवार को ईदुल फ़ित्र है https://hindi.khamenei.ir/news/8694 इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के दफ़्तर ने एक बयान में एलान किया है कि कल सोमवार 31 मार्च 2025 को ईदुल फ़ित्र है। Sun, 30 Mar 2025 20:24:00 +0330 .. /news/8694 दूसरेः जिन पर तेरा क़हर व ग़ज़ब नाज़िल हुआ https://hindi.khamenei.ir/news/8693 अल्लाह ने पैग़म्बरों और औलिया को भी नेमत अता की है और बनी इस्राईल को भी। "मग़ज़ूबे अलैहिम" यानी जिन पर तेरा ग़ज़ब नाज़िल हुआ और 'ज़ाल्लीन' यानी गुमराह लोग भी उनमें शामिल हैं जिन्हें अल्लाह ने अपनी नेमत अता की है। यह नहीं सोचना चाहिए कि अल्लाह कुछ लोगों को नेमत देता है और कुछ को गुमराह करता है और उन पर ग़ज़ब करता है, ऐसा नहीं है। "अल्मग़ज़ूबे अलैहिम", "अनअम्ता अलैहिम" की सिफ़त है। फिर भी जिन लोगों को अल्लाह ने नेमतें दी हैं, वे दो तरह के हैं: एक वे जिन्होंने अपने कर्म से, अपनी सुस्ती से, अपनी गुमराही से नेमत को बर्बाद कर दिया। दूसरे वे हैं जिन्होंने कोशिश और शुक्र के ज़रिए नेमत को बाक़ी रखा। बनी इस्राईल भी उन लोगों में से थे जिन्हें अल्लाह ने बड़ी नेमत अता की थी और उन्हें दूसरों पर फ़ज़ीलत मिल गयी थी लेकिन वे अल्लाह के ग़ज़ब का निशाना बन गए। हमारी कसौटी और हमारा मानदंड, सीधे रास्ते पर चलने वाला वह पथिक होना चाहिए जिसे अल्लाह ने नेमत अता की हो और जो उसके ग़ज़ब का निशाना न बना हो।  इमाम ख़ामेनेई 10 जूलाई 2013   Sun, 30 Mar 2025 11:00:00 +0330 .. /news/8693 बज़्म-ए-रहबर में शब-ए-शेर https://hindi.khamenei.ir/news/8691 जब मैं हुसैनिया इमाम ख़ुमैनी पहुंचा तो शाम के साढ़े चार बज रहे थे। मग़रिब की नमाज़ में अभी लगभग दो घंटे बाक़ी थे। हालांकि, सफ़ों को व्यवस्थित रखने के लिए कपड़े की पट्टियां बिछा दी गई थीं, जो सजदे और खड़े होने की जगह को दर्शाती थीं। पहली सफ़ आधी से थोड़ी कम भरी हुई थी और दूसरी सफ़ उससे भी छोटी थी। एक साहब ब्राउन रंग का कुर्दी लेबास पहने हुए नज़र आए, जो अहले सुन्नत फिरक़े से थे और अस्र की नमाज़ अदा कर रहे थे। मग़रिब की नमाज़ में वो मेरे सामने वाली सफ़ में थे। Sat, 29 Mar 2025 13:39:00 +0330 .. /news/8691 पहलेः जिन पर तूने इनाम व एहसान किया https://hindi.khamenei.ir/news/8690 पहली ख़ुसूसियत यह है कि उन पर इनाम व एहसान किया हो। क़ुरआन में कहा गया है कि अल्लाह ने पैग़म्बरों को भी, सिद्दीक़ीन को भी, शहीदों को भी और सालेहीन को भी नेमतें दी हैं। उन्होंने सत्य के रास्ते को तलाश कर लिया, गुमराह भी नहीं हुए और अल्लाह के क्रोध का निशाना भी नहीं बने। ये वे लोग हैं जिन्हें अल्लाह ने भरपूर नेमत दी, उन पर क्रोधित नहीं हुआ और वे लोग अपनी पाक सीरत और दृढ़ता की वजह से ज़रा भी गुमराही की ओर नहीं बढ़े। इसकी सबसे बड़ी मिसाल अहलेबैत और इमाम अलैहेमुस्सलाम हैं। यही वह रास्ता है जिस पर हमें चलना चाहिए। अब अगर दुनिया में ज़्यादातर लोग दूसरी तरह की बात करते हैं, दूसरी तरह अमल करते हैं तो हमें अल्लाह की हिदायत को मानने या उसे रद्द करने के लिए अपनी अक़्ल और दीन को कसौटी बनाना चाहिए। मोमिन और मुस्लिम जगत, वह उम्मत है जो क़ुरआन मजीद से, अल्लाह की हिदायत से मानदंड हासिल करता है। यही ठोस मानदंड है।  इमाम ख़ामेनेई  10 जुलाई 2013 Sat, 29 Mar 2025 09:24:00 +0330 .. /news/8690 सीधे रास्ते पर चलने वाले https://hindi.khamenei.ir/news/8689 सूरए अलहम्द में हमें सीधे रास्ते पर चलने वालों की निशानियां बतायी गयी हैं: " रास्ता उन लोगों का जिन पर तूने इनाम व एहसान किया" सिराते मुस्तक़ीम या सीधा रास्ता उन लोगों का जिन्हें तूने नेमत दी है। ज़ाहिर सी बात है कि यह नेमत खाना, पीना नहीं है, अल्लाह की ओर से मार्गदर्शन की नेमत है...अध्यात्मिक नेमत है जो सबसे बड़ी नेमत है। ये उन लोगों की राह है जिन्हें तूने नेमत अता की है, उन पर क्रोधित नहीं हुआ और वे गुमराह भी नहीं हुए। ये तीन ख़ुसूसियतें होनी चाहिएः अल्लाह ने मार्गदर्शन की नेमत दी हो, उन्होंने अपने बुरे कर्म से उस नेमत को अल्लाह के क्रोध का पात्र न बनाया हो और गुमराह भी न हुए हों। ये शर्त जिन लोगों पर पूरी उतरती है उन्हें आप अपने ज़माने में, अतीत में, इस्लाम के आरंभिक दिनों में और इतिहास में बड़ी आसानी से तलाश कर सकते हैं। इमाम ख़ामेनेई 11 जून 1997 Fri, 28 Mar 2025 18:27:00 +0330 .. /news/8689 विश्व क़ुद्स दिवस की रैलियां, ईरानी राष्ट्र का गौरव https://hindi.khamenei.ir/news/8688 क़ुद्स दिवस की रैली इस बात का भी सबूत है कि ईरानी क़ौम अपने अज़ीम सियासी और बुनियादी लक्ष्यों पर अडिग और दृढ़ है। ऐसा नहीं है कि फ़िलिस्तीन के समर्थन का नारा देकर एक-दो साल बाद भूल जाए। 40 से अधिक वर्षों से ईरानी राष्ट्र क़ुद्स दिवस पर रैलियां निकालता आ रहा है। Fri, 28 Mar 2025 00:03:00 +0330 .. /news/8688 विश्व क़ुद्स दिवस की रैलियां, ईरानी राष्ट्र का गौरव और अपने राजनैतिक लक्ष्यों पर उसके अडिग रहने का सुबूत हैं https://hindi.khamenei.ir/news/8687 क़ुद्स दिवस की रैली के मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने पैग़ाम जारी किया है।  Thu, 27 Mar 2025 22:15:00 +0330 .. /news/8687 सुप्रीम लीडर ने कुछ क़ैदियों की सज़ाएं माफ़ या कम करने या बदलने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी https://hindi.khamenei.ir/news/8685 नए ईरानी साल के आग़ाज़, ईदुल फ़ित्र और इस्लामिक रिपब्लिक की सालगिरह के मद्देनज़र, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने न्यायपालिका प्रमुख की तरफ़ से कुछ क़ैदियों की सज़ा को माफ़ करने, या कम करने या बदलने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी। यह अलग अलग अदालतों से सज़ा पाने वाले क़ैदी हैं। Thu, 27 Mar 2025 13:21:00 +0330 .. /news/8685 इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के फ़तवे के मुताबिक़, ईदुल फ़ित्र पर फ़ितरे की रक़म का एलान https://hindi.khamenei.ir/news/8684 इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के कार्यालय ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के फ़तवे के मुताबिक़, ईदुल फ़ित्र पर फ़ितरे की रक़म का एलान किया है। Thu, 27 Mar 2025 13:12:00 +0330 .. /news/8684 सीधा रास्ता, इच्छाओं को कंट्रोल करना https://hindi.khamenei.ir/news/8683 क़ुरआन मजीद के आग़ाज़ में ही सूरए अलहम्द में अल्लाह से हमारी दरख़ास्त "हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझ ही से मदद मांगते हैं" से शुरू होती है। इस मदद तलब करने का एक बड़ा मक़सद अगली आयत में आता हैः "हमें सीधे रास्ते की (और उस पर चलने की) हिदायत करता रह।" मानो यह सारी तैयारी, इस इबारत के लिए हैः "हमें सीधे रास्ते की (और उस पर चलने की) हिदायत करता रह।" फिर सूरए अलहम्द के आख़िर तक इस सीधे रास्ते की व्याख्या की जाती है। सीधा रास्ता, अल्लाह की बंदगी का रास्ता है। इसका क्या मतलब है? इसका मतलब है अपनी इच्छाओं को कंट्रोल करना। इस्लाम इच्छाओं को ख़त्म नहीं करता, उन्हें कंट्रोल करता है, क्योंकि ये इच्छाएं आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। इस्लाम इन इच्छाओं को लगाम लगाता है और उनका दिशा निर्देश करता है। इस्लाम यौनेच्छा को ख़त्म नहीं करता बल्कि उस पर लगाम लगाता है। धन दौलत की इच्छा को ख़त्म नहीं करता क्योंकि ये तरक़्क़ी का साधन हैं लेकिन इसे कंट्रोल करता है, यानी हिदायत करता है। इमाम ख़ामेनेई 6 मार्च 2000 Thu, 27 Mar 2025 10:44:00 +0330 .. /news/8683 सीधा रास्ता, दीन की पहचान, धार्मिक हुक्म और अल्लाह पर ईमान पर बाक़ी रहना https://hindi.khamenei.ir/news/8682 सूरए अनआम की आयत 161 में पैग़म्बरे इस्लाम से कहा गया हैः "आप कहें! बेशक मेरे परवरदिगार ने मुझे बड़े सीधे रास्ते की रहनुमाई कर दी है यानी उस सही और सच्चे दीन की तरफ़ जो बातिल से हटकर सिर्फ़ हक़ की तरफ़ राग़िब इब्राहीम (अ) की मिल्लत है..." यानी दीन का मतलब दीनी विचार, पहचान और अमल है और इसे सीधा रास्ता कहा गया है। सूरए निसा की आयत नंबर 175 में कहा गया हैः " तो जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और मज़बूती से उसका दामन पकड़ा..." इस्मत यानी ख़ता से महफ़ूज़ रखा गया जिसमें लड़खड़ाना मुमकिन न हो, तो अल्लाह उन्हें अपनी रहमत और फ़ज़्ल के विशाल दायरे में दाख़िल करेगा और सीधे रास्ते की ओर उनकी रहनुमाई करेगा। इससे पता चलता है कि सीधे रास्ते पर पहुंचने का ज़रिया अल्लाह से जुड़े रहना है।  इमाम ख़ामेनेई 1 मई 1991 Wed, 26 Mar 2025 10:13:00 +0330 .. /news/8682 सीधा रास्ता, लोगों को अल्लाह और पैग़म्बरे इस्लाम की सुन्नत की राह पर लाने के लिए जद्दोजेहद https://hindi.khamenei.ir/news/8681 सूरए साफ़्फ़ात की आयत 118 में हज़रत मूसा और हज़रत हारून के बारे में कहा गया हैः "और हमने (ही) इन दोनों को राहे रास्त दिखाई।" अगर आप हज़रत मूसा और हज़रत हारून की ज़िंदगी पर नज़र डालें तो यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी कि इन दोनों की ज़िंदगी सरकश का अनुपालन न करने और अल्लाह के अलावा किसी और के हुक्म को न मानने और इस राह में यानी लोगों के मार्गदर्शन, उन्हें सरकश शासन से मुक्ति दिलाने और उन्हें अल्लाह के आदेश के पालन के दायरे में लाने के लिए निरंतर संघर्ष और इस राह में मुसीबत बर्दाश्त करने की तस्वीर पेश करती है। सूरए यासीन की आयत नंबर 3 और 4 में पैग़म्बरे इस्लाम से अल्लाह फ़रमाता हैः "यक़ीनन आप (स) (ख़ुदा के) रसूलों में से हैं। (और) सीधे रास्ते पर ही हैं।" जैसा कि आपने हज़रत मूसा की ज़िंदगी में देखा, पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही वसल्लम की सीरत, उनका व्यवहार, उनकी राह भी वही सीधा रास्ता है।   इमाम ख़ामेनेई 1 मई 1991 Tue, 25 Mar 2025 10:31:00 +0330 .. /news/8681 सेरात, तरीक़ और सबील जैले लफ्ज़ों में फ़र्क़ https://hindi.khamenei.ir/news/8680 क़ुरआन मजीद में राह या रास्ते के लिए कई लफ़्ज़ इस्तेमाल हुए हैं। 'तरीक़' जब एक फ़र्ज़ किए हुए रास्ते पर कोई बढ़ता है जबकि उस पर न कोई निशान है, न उसे समतल किया गया है, बस कोई एक फ़र्ज़ किए हुए रास्ते पर चलने लगे तो उसे तरीक़ कहते हैं। इस रास्ते में कोई ख़ुसूसियत नहीं सिवाए इसके कि कोई रास्ता चलने वाला उस पर चले। तो यह एक आम मानी है। 'सबील' के मानी इससे ज़्यादा सीमित हैं, यह वह रास्ता है जिस पर चलने वाले ज़्यादा हैं। सबील ऐसा रास्ता है जिस पर चलने वालों की ज़्यादा तादाद की वजह से वह समतल और स्पष्ट हो गया है, अलबत्ता मुमकिन है कभी इंसान इस रास्ते को खो दे। 'सिरात' पूरी तरह स्पष्ट रास्ते को कहते हैं। यह रास्ता इतना स्पष्ट है कि इस रास्ते को खो देना मुमकिन नहीं है। "इहदेनस्सिरात" यानी बिल्कुल साफ़ रास्ता दिखा, उस पर 'अलमुस्तक़ीम' की शर्त भी लगा दी यानी बिल्कुल साफ़ और सीधा रास्ता दिखा। इमाम ख़ामेनेई 24 अप्रैल 1991 Mon, 24 Mar 2025 11:58:00 +0330 .. /news/8680 रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ ईरान की प्रॉक्सी नहीं हैं https://hindi.khamenei.ir/news/8677 अमरीकी, योरोपीय और उन जैसे दूसरे राजनेता जो एक बड़ी ग़लती करते हैं वह यह है कि क्षेत्र में रेज़िस्टेंस के सेंटरों को ईरान की प्रॉक्सी फ़ोर्सेज़ कहते हैं। फ़िलिस्तीन पर नाजायज़ क़ब्ज़े के वक़्त से ही उसके ख़िलाफ़ खड़े होने वालों की अग्रिम पंक्ति में जो मुल्क थे, उनमें से एक यमन था। Mon, 24 Mar 2025 11:48:00 +0330 .. /news/8677 अमरीकी जान लें... https://hindi.khamenei.ir/news/8679 अमरीकियों को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि ईरान के मामले में धमकियों से उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा। Sun, 23 Mar 2025 20:52:00 +0330 .. /news/8679 इस्राईल के लिए बेरहम बहुत छोटा लफ़्ज़ है https://hindi.khamenei.ir/news/8676 आज ज़ायोनिस्ट रेजीम की बेरहमी ने, बल्कि बेरहमी लफ़्ज़ भी कम है, कई ग़ैर-मुस्लिम नेशन्ज़ के दिलों को दुख दर्द से भर दिया है। Sun, 23 Mar 2025 10:58:00 +0330 .. /news/8676 क़ुरआन की शब्दावली में "सीधा रास्ता" https://hindi.khamenei.ir/news/8678 सीधा रास्ता हक़ीक़त में क्या है? यह सीधा रास्ता क्या है जिसकी ओर हम अल्लाह से हिदायत चाहते हैं? जिनके योग से समझा जा सकता है कि सीधा रास्ता क्या है।सूरए आले इमरान की आयत 51 में अल्लाह फ़रमाता हैः "बेशक अल्लाह मेरा और तुम्हारा परवरदिगार है तो तुम उसकी इबादत करो, यही सीधा रास्ता है।" तो इस आयत में सीधा रास्ता क्या है? बंदगी; बंदगी के मक़ाम तक पहुंचना। मानव इतिहास में आपको जो ये गुमराहियां, ये पीड़ाएं, ये ज़ुल्म बहुत ज़्यादा नज़र आते हैं उसकी वजह वे लोग हैं जिन्होंने अल्लाह की बंदगी को क़ुबूल नहीं किया बल्कि वे अपनी इच्छाओं के ग़ुलाम थे। एक दूसरी आयत है। सूरए यासीन की आयत नंबर 61 में आया हैः "हाँ अलबत्ता मेरी इबादत करो कि यही सीधा रास्ता है।" तो इस आयत के मुताबिक़ सीधा रास्ता अल्लाह की बंदगी है, ख़ुदा की बदंगी करना यानी अल्लाह के सामने समर्पित होना। इमाम ख़ामेनेई 1 मई 1991 Sun, 23 Mar 2025 10:57:00 +0330 .. /news/8678 रेज़िस्टेंस के नतीजे में ज़ायोनियों की हार निश्चित है https://hindi.khamenei.ir/news/8675 शक न कीजिए कि इस दृढ़ता का नतीजा, दुश्मनों की हार है। दुष्ट, भ्रष्ट और अपराधी ज़ायोनी सरकार की हार है। Sat, 22 Mar 2025 17:22:00 +0330 .. /news/8675 सारे इंसानों के लिए उचित है कि वे अल्लाह से हमेशा हिदायत की दरख़ास्त करें https://hindi.khamenei.ir/news/8674 कुछ लोग यह सवाल करते हैं कि जब क़ुरआन पढ़ते वक़्त, नमाज़ पढ़ते वक़्त "हमें सीधे रास्ते की (और उस पर चलने की) हिदायत करता रह" कहते हैं, तो हम हिदायत याफ़्ता हैं; इसका जवाब यह है कि हम अल्लाह से ज़्यादा से ज़्यादा हिदायत की दरख़ास्त करें, क्योंकि उसकी ओर से हिदायत का दायरा बहुत व्यापक है। पैग़म्बरे इस्लम भी कहते थे "हमें सीधे रास्ते की (और उस पर चलने की) हिदायत करता रह" पैग़म्बरे इस्लाम भी अल्लाह से हिदायत चाहते थे, क्यों? क्योंकि जो हिदायत पैग़म्बरे इस्लाम के पास थी, मुमकिन है उसमें और इज़ाफ़ा हो जाए; इंसान के कमाल का दायरा बहुत व्यापक है जिसकी हदबंदी नहीं की जा सकती।  दूसरा बिंदु यह है कि इंसान के सामने हमेशा दो रास्ते होते हैं, इंसान की वासनाएं, इंसान की इच्छाएं, इंसान के भीतर अस्वस्थ जज़्बे कभी भी ख़त्म नहीं होते, नेक बंदे भी बड़े ख़तरे के निशाने पर हैं...कभी कभी हम ऐसे दो राहे पर होते हैं कि सही रास्ते का चयन नहीं कर पाते तो बार बार "हमें सीधे रास्ते की (और उस पर चलने की) हिदायत करता रह" कहने का मतलब यह है कि हर क्षण हमें अल्लाह की ओर से हिदायत की ज़रूरत है।  इमाम ख़ामेनेई 1 मई 1991  Sat, 22 Mar 2025 11:36:00 +0330 .. /news/8674 शबे क़द्र की रातों का एक पल, एक पूरी ज़िंदगी की अहमियत रखता है https://hindi.khamenei.ir/news/8673 इस रात, अपनी ज़िंदगी के अंजाम, बल्कि एक राष्ट्र की ज़िंदगी के अंजाम को एक दुआ से बदल सकते हैं।   Sat, 22 Mar 2025 11:26:00 +0330 .. /news/8673