rss https://hindi.khamenei.ir/feed/service/13519 hi चौतरफ़ा हमले से निपटने में नाकामी से ज़ायोनी शासन पर बौखलाहट छा गई https://hindi.khamenei.ir/news/7709 जब भी फ़िलिस्तीनी संघर्ष की शानदार तारीख़ लिखी जाएगी, 7 अक्तूबर और 14 अप्रैल का ज़िक्र बहुत बड़ा बदलाव लाने वाले लम्हों के तौर पर होगा। हालांकि अतीत में क़ाबिज़ ज़ायोनी वजूद को रेज़िस्टेंस के फ़्रंट से लगातार चुनौतियां मिल रही थीं, इन दोनों तारीख़ों में वो हुआ जो पैमाने और व्यापकता के लेहाज़ से अब तक अभूतपूर्व रहा है। Wed, 17 Apr 2024 21:55:00 +0330 .. /news/7709 ग़ज़ा संकट और पश्चिमी युनिवर्सिटियों का अपनी ज़िम्मेदारी से भटक जाना https://hindi.khamenei.ir/news/7692 योरोप में पुनर्जागरण के शुरू होने और मानववादी विचारों के फैलाव के साथ ही यूनिवर्सिटी का अर्थ भी बदल गया। यूनिवर्सिटी का रुख़ धार्मिक ज्ञानों से उन ज्ञानों की ओर मुड़ गया जो क़ानू Tue, 09 Apr 2024 21:43:00 +0330 .. /news/7692 रेज़िस्टेंस; ग़ज़ा के संकट से निकलने का इकलौता विकल्प https://hindi.khamenei.ir/news/7663 ग़ज़ा पट्टी में ज़ायोनी हुकूमत के जुर्म से संबंधित ख़बरें रोज़ाना ही न्यूज़ चैनलों और अख़बारों में आती रहती हैं। इसी तरह ग़ज़ा का संकट टॉक शोज़, राजनैतिक समीक्षाओं और न्यूज़ डिबेट का दैनिक विषय बन गया है। इस सिलसिले में जो सबसे अहम सवाल पाए जाते हैं उनमें से एक, ग़ज़ा के मौजूदा संकट से बाहर निकलने और इस क्षेत्र में जारी भयानक क़त्ले आम और विध्वंसक गतिविधियों के अंत के रास्ते के बारे में है। Wed, 03 Apr 2024 17:46:00 +0330 .. /news/7663 ग़ज़ा के अस्पतालों पर हमला ज़ायोनियों के अमानवीय स्वभाव का हिस्सा https://hindi.khamenei.ir/news/7620 गिरफ़तारियां, उत्पीड़न, तफ़तीश, अस्पताल के भीतर लोगों का क़त्ल, लाशों को बाहर ले जाने पर पाबंदी, अस्पतालों में सहायता आने पर रोक, मेडिकल स्टाफ़ पर सीधी फ़ायरिंग, अस्पतालों की दीवारों को विस्फोटकों से उड़ा देना, क़ब्रों से लाशों को बाहर घसीटना और फिर उन्हें बुल्डोज़रों से कुचल देना ज़ायोनियों के वर्तमान वहशीपन के नमूने हैं। Mon, 25 Mar 2024 15:03:00 +0330 .. /news/7620 एक ग़लत चयन का नतीजा, ग़ज़ा की जंग और अमरीका के पतन में तेज़ी https://hindi.khamenei.ir/news/7616 मोहम्मद महदी अब्बासी, शोधकर्ता अमेरिकन स्टडीज़ Sun, 24 Mar 2024 16:15:00 +0330 .. /news/7616 इमाम ख़ामेनेई ने ज़ायोनी हुकूमत के बारे में क्यों कहा कि वो ऐसी हुकूमत है जो संकट में है और संकट से बाहर निकलने में भी संकट में घिरी हुयी है? https://hindi.khamenei.ir/news/7612 इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने 20 मार्च 2024 को नौरोज़ की तक़रीर में ग़ज़ा के विषय पर बात करते हुए ज़ायोनी हुकूमत की हालत इन लफ़्ज़ों में बयान कीः “ग़ज़ा के वाक़यात में पता चला कि ज़ायोनी हुकूमत न सिर्फ़ अपनी रक्षा के सिलसिले में संकट का शिकार है बल्कि संकट से बाहर निकलने में भी उसे संकट का सामना है। ग़ज़ा में ज़ायोनी हुकूमत के दाख़िल होने से उसके लिए एक दलदल पैदा हो गया। अब अगर वो ग़ज़ा से बाहर निकले तो भी हारी हुयी है और बाहर न निकले तब भी हारी हुयी मानी जाएगी।” Sat, 23 Mar 2024 14:17:00 +0330 .. /news/7612 ग़ज़ा की औरतों के लिए महिला दिवस कहाँ! https://hindi.khamenei.ir/news/7565 एक दूल्हा दुल्हन की नई ज़िन्दगी शुरू हुयी, इश्क़ व मोहब्बत से भरी, ज़िंदगी में आगे बढ़ने व तरक़्क़ी करने की चाह के साथ, लेकिन ग़ज़ा की दुल्हनों के लिए स्थिति अलग तरह की है। किसी माँ के लिए एक नवज़ात के जन्म के आग़ाज़ के क्षण उसकी ज़िंदगी के सबसे ख़ूबसूरत लम्हे होते हैं। ऐसे लम्हें जो इंतेज़ार की लंबी घड़ियों के अंत और उम्मीद और इश्क़ से भरी ज़िंदगी शुरू होने की ख़ुशख़बरी देते हैं। लेकिन ग़ज़ा की माँओं के लिए स्थिति अलग तरह की है। ज़रा कलपना कीजिए एक परिवार के लोग इकट्ठा हैं, बच्चे आस पास खेल में मसरूफ़ हैं और माँ बाप खाना तैयार करने में लगे हैं। खाना तैयार है। माँ बच्चों को आवाज़ देती है कि खाने के लिए आएं, कितना मीठा अनुभव है ये। लेकिन ग़ज़ा की माँओं के लिए स्थिति अलग तरह की है। Fri, 08 Mar 2024 22:09:00 +0330 .. /news/7565 चुनाव जो गहरा असर रखता है https://hindi.khamenei.ir/news/7533 इमाम ख़ामेनेई से पहली बार वोट डालने वालों की मुलाक़ात का आंखों देखा हाल Thu, 29 Feb 2024 19:57:00 +0330 .. /news/7533 आयतुल्लाह ख़ामेनेई की स्मृतियों पर आधारित किताब “ज़िंदां से परे रंगे चमन” का परिचय https://hindi.khamenei.ir/news/7497 आयतुल्लाह ख़ामेनेई अपनी पत्नी के बारे में: "उन्होंने मुझसे कभी भी लेबास ख़रीदने के लिए नहीं कहा। उन्होंने कभी अपने लिए कोई ज़ेवर नहीं ख़रीदा। उनके पास कुछ ज़ेवर थे जो वो अपने पिता के घर से लायी थीं या कुछ रिश्तेदारों ने तोहफ़े में दिए थे। उन्होंने वो सारे ज़ेवर बेच दिए और उससे मिलने वाले पैसों को अल्लाह की राह में ख़र्च कर दिया। इस वक़्त उनके पास सोना और ज़ेवर के नाम पर कुछ भी नहीं है, यहाँ तक कि एक मामूली सी अंगूठी भी नहीं है।" सैयद हसन नसरुल्लाहः “जब यह किताब मेरे पास पहुंची तो मैंने उसी रात इसे पढ़ डाला।” Mon, 19 Feb 2024 09:44:00 +0330 .. /news/7497 ग़ज़ा के साथ मज़बूती से खड़ा है यमन https://hindi.khamenei.ir/news/7482 सन 2023 ऐसी स्थिति में ख़त्म हुआ कि क़ाबिज़ ज़ायोनियों के ज़ुल्म व अपराध के सामने फ़िलिस्तीनी मुजाहिदों की बहादुरी और ग़ज़ा की औरतों और बच्चों की दृढ़ता दिन प्रतिदिन बढ़ती रही और नए साल में भी जारी है। इस दौरान ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ एक नया मोर्चा खुल गया है जिससे न सिर्फ़ यह कि इस शासन की विश्व स्तर पर साख पहले से ज़्यादा कलंकित हुयी बल्कि उस पर भारी आर्थिक बोझ भी पड़ा है। Tue, 13 Feb 2024 09:59:00 +0330 .. /news/7482 इमाम ख़ुमैनी का तथ्यों की तशरीह का जेहाद https://hindi.khamenei.ir/news/7478 हालिया बरसों में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की ओर से तथ्यों को बयान करने के जेहाद पर लगातार बल दिया जाना, इस विषय की अहमियत को दर्शाता है जो आज इस्लामी इंक़ेलाब की अहम बहसों में तबदील हो चुका है। Mon, 12 Feb 2024 15:38:00 +0330 .. /news/7478 ग़ज़ा में मीडिया कर्मियों का क़त्ले आम, जातीय सफ़ाए की ओर से सचेत करने वालों की टार्गेट किलिंग https://hindi.khamenei.ir/news/7455 पिछले कुछ दशकों के दौरान अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और क़ानून की जानकार सोसायटी के सामने जो एक बड़ी चुनौती रही है वो शांति और जंग के मुख़्तलिफ़ हालात में मीडिया कर्मियों की सुरक्षा की है। अगरचे बीसवीं सदी के आरंभिक बरसों में जंग के हालात में क़ैदी रिपोर्टरों के सपोर्ट में हेग के सन 1907 के कन्वेन्शन जैसे अंतर्राष्ट्रीय क़ानून बनाए गए लेकिन इस सदी के दूसरे भाग में रिपोर्टरों के काम के क़ानूनी पहलू पर ख़ास ध्यान दिया गया। इस सिलसिले में जनेवा के चार पक्षीय 1977 के पहले अडिश्नल प्रोटोकॉल का उल्लेख किया जा सकता है जिसमें रिपोर्टिंग की शब्दावली में, जिसे अडिश्नल प्रोटोकॉल में इस्तेमाल किया गया है, उन सभी लोगों को शामिल किया गया है जो मीडिया से जुड़े हुए हैं कि जिनमें रिपोर्टर, कैमरामेन, वॉइस टेक्निशियन वग़ैरह शामिल हैं। इस प्रोटोकॉल के मुताबिक़, जंग के इलाक़ों में ख़तरनाक पेशावराना काम करने वाले रिपोर्टरों की आम नागरिकों की हैसियत से हिमायत की गयी है और उन्हें वो सारे अधिकार दिए गए हैं जो आम नागरिकों को दिए जाते हैं, अलबत्ता इस शर्त के साथ कि वो कोई ऐसा काम न करें जो आम नागरिक की हैसियत से उनकी पोज़ीशन से टकराता हो। दूसरी ओर यूएनओ की सेक्युरिटी काउंसिल ने सन 2006 के प्रस्ताव नंबर 1674 और सन 2009 के प्रस्ताव नंबर 1894 को मंज़ूरी दी जिनका मक़सद झड़पों में आम नागरिकों की हिमायत है और इसी तरह उसने रिपोर्टरों और मीडिया कर्मियों की हिमायत में सन 2006 में प्रस्ताव नंबर 1738 को पास किया। सन 2015 में मंज़ूर होने वाला प्रस्ताव नंबर 2222 भी झड़प और जंग के हालात में रिपोर्टरों सहित मीडिया कर्मियों की रक्षा पर बल देता है और रिपोर्टरों के काम को जातीय सफ़ाए के बारे में सचेत करने वाला एक मेकनिज़्म बताता है। इसके बावजूद, लड़ने वाले पक्षों द्वारा रिपोर्टरों की जान की रक्षा किए जाने पर अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और क़ानूनी संगठनों द्वारा बल दिए जाने के बरख़िलाफ़, सन 2002 से लेकर सन 2003 तक रिपोर्टरों के ख़िलाफ़ हिंसक व्यवहार अपनाया गया। इस बीच सन 2023 के आंकड़ों पर दो पहलुओं से ध्यान दिए जाने की ज़रूरत हैः पहला पहलु पिछले बरसों की तुलना में हिंसा के आंकड़े इज़ाफ़ा दिखाते हैं, जैसा कि ग़ज़ा जंग में कुछ महीनों में मारे जाने वाले मीडिया कर्मियों की तादाद सन 2002 और सन 2003 में मारे जाने वाले रिपोर्टरों से भी ज़्यादा है। दूसरा पहलू, आंकड़े के मुताबिक़ मारे गए सभी रिपोर्टर जंग के एक ही पक्ष के हाथों ही मारे गए हैं। Mon, 05 Feb 2024 08:42:00 +0330 .. /news/7455 ग़ज़ा पट्टी में अपने लक्ष्य हासिल करने में इन कारणों से फ़ेल हो गया ज़ायोनी शासन https://hindi.khamenei.ir/news/7447 “ग़ज़ा के संबंध में भविष्यवाणियां पूरी तरह सही साबित हो रही हैं। शुरू से ही हालात पर नज़र रखने वालों ने यहां भी और दूसरी जगहों पर भी यह भविष्यवाणी की थी कि इस मसले में फ़िलिस्तीन का रेज़िस्टेंस फ़्रंट फ़ातेह होगा। इस जंग में हार, दुष्ट व मनहूस ज़ायोनी फ़ौज की होगी। ज़ायोनी फ़ौज क़रीब 100 दिन से जारी अपराध के बाद भी अपना कोई भी लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी है। उसने कहा कि हमास को ख़त्म कर देंगे, न कर सकी। उसने कहा कि ग़ज़ा के लोगों का कहीं और पलायन करा देंगे, वो न कर सकी। उसने कहा कि रेज़िस्टेंस फ़्रंट के हमले रुकवा देंगे, वो यह भी न कर सकी।” यह 9 जनवरी को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की स्पीच का एक हिस्सा है जिसमें उन्होंने ग़जा पट्टी में अपने लक्ष्य को हासिल करने में ज़ायोनी फ़ौज की नाकामी की ओर इशारा किया। अब जबकि ग़ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी फ़ौज के हमले को 100 दिन से ज़्यादा हो गए हैं, अपने इन लक्ष्यों को हासिल करने में तेल अबीब की नाकामी पहले से कहीं ज़्यादा उजागर हो गयी है, जिन्हें हासिल करने का उसने प्रण किया था। Wed, 31 Jan 2024 12:04:00 +0330 .. /news/7447 वो हथियार जो फ़िलिस्तीनियों के पास है और ज़ायोनियों के पास नहीं https://hindi.khamenei.ir/news/7324 रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने 23 दिसंबर सन 2023 को ख़ूज़िस्तान और किरमान प्रांतों के अवाम से मुलाक़ात में ग़ज़ा के अवाम के रेज़िस्टेंस व दृढ़ता की तारीफ़ करते हुए कहाः "ग़ज़ा का वाक़ेया फ़िलिस्तीनी अवाम और फ़िलिस्तीनी मुजाहिदों के पहलू से भी बेनज़ीर है क्योंकि ऐसा रेज़िस्टेंस, सब्र, दृढ़ता और दुश्मन को इस तरह बदहवास कर देना कभी देखा नहीं गया। ग़ज़ा के अवाम पहाड़ की तरह डटे हुए हैं। खाना, पानी, दवाएं और ईंधन नहीं पहुंच रहा है लेकिन वे डटे हुए हैं और झुक नहीं रहे हैं। यही घुटने न टेकना उन्हें फ़ातेह बनाएगा।" "बेशक अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है।" (सूरए अनफ़ाल, आयत-46) फ़िलिस्तीनी अवाम का यह सब्र, जंग के आग़ाज़ के दिनों से ही देखने के लायक़ था और इस वक़्त ध्यान का केन्द्र बन चुका है। Mon, 25 Dec 2023 16:47:00 +0330 .. /news/7324 कुछ नहीं के बारे में बहुत कुछ https://hindi.khamenei.ir/news/7280 अपने ऑप्रेश्नल और टैक्टिकल गोल में से किसी एक को भी हासिल न कर पाने की वजह से हताश, ज़ायोनी शासन एक बार फिर फ़िलिस्तीनी नागरिकों पर अपनी खीझ निकाल रहा है, सौरभ कुमार शाही के क़लम से। Thu, 07 Dec 2023 17:34:00 +0330 .. /news/7280 ग़ज़ा की जंग ने किस तरह इलाक़े में अमरीका की साज़िश पर पानी फेर दिया https://hindi.khamenei.ir/news/7274 आज से कुछ महीने पहले शायद ही कोई यह सोच सकता था कि अमरीकी सरकार की एक सबसे बड़ी चिंता व मुश्किल विदेश नीति का विषय होगा। क्योंकि कभी भी संयुक्त राज्य अमरीका में चुनाव पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों का बहुत ज़्यादा असर नहीं होता और वो इस मुल्क के राष्ट्रपति की लोकप्रियता को प्रभावित करने की बहुत ज़्यादा क्षमता नहीं रखते। Wed, 06 Dec 2023 11:47:00 +0330 .. /news/7274 क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार के विनाश के बारे में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के नज़रिये पर एक नज़र https://hindi.khamenei.ir/news/7254 इस्राईल का अंतः लोकतांत्रिक हल से लेकर सशस्त्र रेज़िस्टेंस की स्ट्रैटेजी तक Sat, 02 Dec 2023 12:34:00 +0330 .. /news/7254 बोतल से जिन कब बाहर आ गया, ज़ायोनियों को पता ही नहीं! https://hindi.khamenei.ir/news/7188 हमारी आँखों के सामने बड़ा बदलाव शुरू हो गया है। जो लोग इसका हिस्सा हैं अकसर इसे महसूस नहीं कर पाते। इसे ‘ब्वाइलिंग फ़्रॉग सिंड्रोम’ कहते हैं। Wed, 08 Nov 2023 11:28:00 +0330 .. /news/7188 बेइन्तेहा ज़ुल्म पर एक ग़ैरतमंद क़ौम का स्वाभाविक जवाब https://hindi.khamenei.ir/news/7160 डॉक्टर अब्बास मूसवी, पाकिस्तान Tue, 31 Oct 2023 15:46:00 +0330 .. /news/7160 क़ाबिज़ कॉलोनियल शासन को पड़ा तमाचा https://hindi.khamenei.ir/news/7133 सौरभ कुमार शाही, पश्चिम व दक्षिण एशिया मामलों के एक्सपर्ट पत्रकार Mon, 23 Oct 2023 17:31:00 +0330 .. /news/7133 आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात करने वाली सीरिया की मां-बेटी की दर्दनाक दास्तान https://hindi.khamenei.ir/news/6968 सीरिया के फ़ूआ और कफ़रिया इलाक़े की एक माँ-बेटी, मोहर्रम के दिनों में ईरान के टीवी चैनल-3 के मोअल्ला प्रोग्राम में शरीक हुईं। मां ने यह आरज़ू ज़ाहिर की थी कि उनकी गुमशुदा बेटियां मिल जाएं और आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से उनकी मुलाक़ात हो जाए। 16 अगस्त 2023 को दोनों ने, टीवी प्रोग्राम की टीम के साथ इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की। वेबसाइट KHAMENEI.IR इस संबंध में फ़ूआ और कफ़रिया में आतंकवादी क़ैदियों और उस इलाक़े में नाकाबंदी में घिरे लोगों के तबादले के दिन होने वाली भयानक घटना के बारे में एक संक्षिप्त रिपोर्ट पेश कर रही है। Sat, 09 Sep 2023 18:57:00 +0330 .. /news/6968 इस्राईल और 80 साल पूरे न कर पाने का डर https://hindi.khamenei.ir/news/6780   Sun, 16 Jul 2023 15:44:00 +0330 .. /news/6780 ‘पोस्ट अमेरिकन एरा’ का आग़ाज़ और शहीद सुलैमानी का रोल https://hindi.khamenei.ir/news/6045 जनवरी ऐसा महीना है जिसके शुरूआती दिन, दुनिया में पोस्ट अमेरिकन इरा के आग़ाज़ का सिंबल बन गए हैं। 3 जनवरी को जनरल सुलैमानी की शहादत से 6 जनवरी को अमरीकी कांग्रेस पर प्रदर्शनकारियों के के क़ब्ज़े तक, Wed, 04 Jan 2023 14:22:00 +0330 .. /news/6045 शहीद क़ासिम सुलैमानीः फ़ौजी सरहदों के साथ साथ अख़लाक़ी सरहदों का मुहाफ़िज़ कमांडर https://hindi.khamenei.ir/news/6028   फ़ौजी सरहदों के साथ साथ अख़लाक़ी सरहदों का मुहाफ़िज़ कमांडर Mon, 02 Jan 2023 11:10:00 +0330 .. /news/6028 कैसे तबाह हो रहा है अमरीका? https://hindi.khamenei.ir/news/5849 सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने स्कूली बच्चों से मुलाक़ात में, अमरीका के पतन और तबाही की शुरुआत का ज़िक्र करते हुए कहा था कि “दुनिया के बहुत से एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमरीका पतन और तबाही की ओर बढ़ रहा है, वह बूंद बूंद पिघल रहा है। यह बात हम नहीं कह रहे हालांकि हमारा भी यही ख़्याल है लेकिन पूरी दुनिया के एक्सपर्ट्स यह बात कह रहे हैं।”  इस सिलसिले में KHAMENEI.IR  वेब साइट ने अमरीका और इन्टरनेशनल अफ़ेयर्स के एक्सपर्ट जनाब हमीद रज़ा ग़ुलामज़ादे का एक आर्टिकल छापा है जिसमें अमरीका के चढ़ते और ढलते सूरज का जायज़ा लिया गया है। Sun, 13 Nov 2022 09:10:00 +0330 .. /news/5849