rss https://hindi.khamenei.ir/feed/service/20 تولید شده توسط نرم افزار خبری سینا - عصر پایش اطلاعات hi ईरान अमरीका से वार्ता क्यों नहीं करता? https://hindi.khamenei.ir/news/8647 अमरीकी राष्ट्रपति ने, इसी शख़्स ने पूरी हो चुकी, मुकम्मल हो चुकी वार्ता, दस्तख़त हो चुके समझौते को मेज़ से उठाकर फेंक दिया, फाड़ दिया। इस इंसान से किस तरह वार्ता की जा सकती है? वार्ता में इंसान को यक़ीन होना चाहिए कि सामने वाला पक्ष उस चीज़ पर अमल करेगा जिसका उसने वादा किया है हम जानते हैं कि वह अमल नहीं करेगा तो फिर किस लिए वार्ता हो? Fri, 14 Mar 2025 15:28:00 +0330 .. /news/8647 हम तुझ से ही मदद चाहते हैं कि सिर्फ़ तेरी ही बंदगी करें न किसी ग़ैर की https://hindi.khamenei.ir/news/8646 "व इय्याका नस्तईन" और सिर्फ़ तुझ ही से मदद चाहते हैं। किस चीज़ में तुझसे मदद चाहते हैं? इस चीज़ में कि हम सिर्फ़ तेरी ही बंदगी करें, किसी दूसरे की नहीं। अल्लाह के अलावा किसी की बंदगी न करना ज़बान से तो बहुत आसान है लेकिन अमल में यह सबसे मुश्किल कामों में है; व्यक्तिगत ज़िंदगी में भी बहुत कठिन है और सामाजिक ज़िंदगी में भी कठिन है, एक क़ौम की हैसियत से भी कठिन है और आप इसकी कठिनाइयों को देख रहे हैं कि जब इस्लामी गणराज्य ने बड़ी ताक़तों के मुक़ाबले में तौहीद का पर्चम उठा रखा है, इससे भी ज़्यादा कठिन हमारे भीतर के उस शैतान और सरकश को भगाना है, यह उससे भी ज़्यादा कठिन है। इच्छाओं और वासनाओं की तुलना में अमरीका से मुक़ाबला आसान है, इच्छाओं से लड़ना कठिन है, उस जंग की बुनियाद भी यह जंग है।   इमाम ख़ामेनेई 24 अप्रैल 1991 Fri, 14 Mar 2025 13:34:00 +0330 .. /news/8646 तौहीद को मानने वाले की अल्लाह की इबादत में पूरी सृष्टि के साथ समानता https://hindi.khamenei.ir/news/8645 हम तेरी इबादत करते हैं; इस 'हम' के दायरे में कौन लोग हैं? उसमें एक मैं हूँ। मेरे अलावा, समाज के बाक़ी लोग हैं; 'हम' के दायरे में पूरी इंसानियत का हर शख़्स है न सिर्फ़ तौहीद को मानने वाले बल्कि वे भी हैं जो तौहीद को नहीं मानते और अल्लाह की इबादत करते हैं। जैसा कि हमने कहा कि उनकी फ़ितरत में अल्लाह की इबादत रची बसी है, उनके भीतर जिससे वे अंजान हैं, अल्लाह की इबादत करने वाला और अल्लाह का बंदा है; हालांकि उनका ध्यान इस ओर नहीं है। इससे भी ज़्यादा व्यापक दायरा हो सकता है जिसमें पूरी कायनात को शामिल माना जाए यानी पूरी कायनात अल्लाह की बंदगी का मेहराब हो। मैं और कायनात के सभी तत्व, सारे जीव-जन्तु तेरी इबादत करते हैं; यानी कायनात का हर ज़र्रा, अल्लाह की बंदगी की हालत में है, यह वह चीज़ है कि इंसान अगर इसे महसूस कर ले तो समझिए वह बंदगी के बहुत ऊंचे दर्जे पर पहुंच गया है। वह तौहीद के इस नग़मे को पूरी कायानात में सुनता है, यह एक हक़ीक़त है। मुझे उम्मीद है कि अल्लाह की बंदगी और इबादत में हम ऐसे स्थान पर पहुंच जाएं कि इस सच्चाई को महसूस कर सकें।   इमाम ख़ामेनेई 24 अप्रैल 1991 Thu, 13 Mar 2025 21:52:00 +0330 .. /news/8645 मौजूदा अमरीकी राष्ट्रपति से वार्ता से, कोई मुश्किल हल नहीं होगी https://hindi.khamenei.ir/news/8643 हम बैठे, कई साल बातचीत की;  इसी शख़्स ने, बातचीत पूरी होने, समझौते पर दस्तख़त होने के बाद, समझौते को मेज़ से उठाकर फेंक दिया, फाड़ दिया। ऐसे शख़्स के साथ बातचीत कैसे की जा सकती है?  Wed, 12 Mar 2025 21:02:00 +0330 .. /news/8643 नुमायां शख़्सियतों को खो देना, पीछे हटने के मानी में नहीं है https://hindi.khamenei.ir/news/8642 अगर दो तत्व एक आला मक़सद और दूसरे कोशिश किसी क़ौम में हों तो शख़्सियतों के न होने से नुक़सान तो होता है लेकिन मूल अभियान को कोई नुक़सान नहीं पहुंचता।   Wed, 12 Mar 2025 19:48:00 +0330 .. /news/8642 स्टूडेंट्स की इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात https://hindi.khamenei.ir/news/8641 मुल्क के हज़ारों की तादाद में स्टूडेंट्स ने बुधवार 12 मार्च 2025 की शाम को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। यह सालाना मुलाक़ात हर साल रमज़ान के मुबारक महीने में होती है।    Wed, 12 Mar 2025 17:15:00 +0330 .. /news/8641 ख़ुद फ़रामोशी से मुक्ति का रास्ता https://hindi.khamenei.ir/news/8640 इंसान दुआ से, अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाकर, रोज़े से ख़ुद को भूल जाने की इस ग़फ़लत से मुक्ति पा सकता है और अगर यह ग़फ़लत दूर हो जाए तो उस वक़्त इंसान को अल्लाह का सवाल याद आता है और हम ध्यान देते हैं कि अल्लाह हमसे सवाल करेगा। Wed, 12 Mar 2025 15:09:00 +0330 .. /news/8640 अल्लाह की बंदगी का स्वाभाविक होना https://hindi.khamenei.ir/news/8639 इस आयत के अंतर्गत एक अहम बिन्दु यह है कि यह बंदगी, इंसान की फ़ितरत में मौजूद है; इंसान अपने स्वभाव के तक़ाज़े के तहत ताक़त के एक बिन्दु, ताक़त के एक ऐसे केन्द्र की ओर आकर्षित होता है जिसे वह अपने से श्रेष्ठ समझता है और उसके सामने समर्पित हो जाता है। यह इंसान की रूह और उसके वजूद में है। चाहे इस ओर उसका ध्यान हो या न हो। दुनिया की सारी बंदगी, अल्लाह की बंदगी है; यहाँ तक कि मूर्ति पूजने वाला भी अपने दिल में, अल्लाह को पूजता है; लेकिन जिस चीज़ की वजह से उसका यह काम ग़लत हो गया है वह उस श्रेष्ठ ताक़त की पहचान में ग़लती है। धर्मों का रोल यह है कि वे इंसान के सोए हुए ज़मीर को जगाएं, उसकी आँख खोलें और कहें कि वह श्रेष्ठ ताक़त कौन है। उस हद तक जितना इंसान का दिमाग़ उसे समझने की सलाहियत रखता है। इमाम ख़ामेनेई 24 अप्रैल 1991 Wed, 12 Mar 2025 12:46:00 +0330 .. /news/8639 ख़ुद फ़रामोशी, बहुत बड़ा नुक़सान https://hindi.khamenei.ir/news/8638 उन्होंने अल्लाह को भुला दिया तो अल्लाह ने भी ऐसा किया कि वे अपने आप को ही भूल गए, यानी ख़ुद फ़रामोशी का शिकार हो गए। व्यक्तिगत स्तर पर इंसान के ख़ुद को भुल जाने का मतलब यह है कि इंसान अपने पैदा होने के मक़सद को भूल जाता है। Tue, 11 Mar 2025 09:52:00 +0330 .. /news/8638 इय्याका ना’बुदो का मतलब https://hindi.khamenei.ir/news/8637 "इय्याका ना’बुदो" यानी अल्लाह के सामने इंसान का समर्पित होना। यह अल्लाह की बंदगी और उसकी इबादत का मानी है। अल्लाह और इंसान के बीच संबंध को बहुत से आसमानी धर्मों और इस्लाम में भी समर्पण कहा गया है। अल्लाह का बंदा होने का मतलब है अल्लाह के सामने सिर झुकाने वाला। दूसरी ओर अल्लाह सारी भलाइयों का स्रोत है तो अल्लाह का बंदा होने का मतलब परिपूर्णता, अच्छाइयों और ख़ालिस नूर का बंदा होना है। यह समर्पण अच्छा है। इंसानों का बंदा होना, इंसानों का ग़ुलाम होना, बहुत बुरी चीज़ है क्योंकि इंसान में ऐब हैं, इंसान सीमित हैं, इसलिए उनका बंदा होना इंसान के लिए ज़िल्लत है। ज़ालिम ताक़तों का बंदा होना, इंसान के लिए ज़िल्लत है, इच्छाओं का ग़ुलाम होना, इंसान के लिए ज़िल्लत व रुसवाई है। इसलिए बंदगी उन चीज़ों में से नहीं है जो हर जगह अच्छी या हर जगह बुरी हो, बल्कि कहीं पर बंदगी अच्छी हो सकती है और कहीं पर बुरी। अल्लाह का बंदा होना बहुत ही उत्कृष्ट अर्थ रखता है।  इमाम ख़ामेनेई 10 अप्रैल 1991 Tue, 11 Mar 2025 09:43:00 +0330 .. /news/8637 जो अल्लाह को भूल जाए उल्लाह उसे भुला देता है https://hindi.khamenei.ir/news/8636 अल्लाह के भुला देने का मतलब यह है कि अल्लाह उसे अपनी रहमत और रहनुमाई के दायरे से निकाल देता है। Mon, 10 Mar 2025 15:08:00 +0330 .. /news/8636 अल्लाह के मालिक होने और हमारे मालिक होने में फ़र्क़ https://hindi.khamenei.ir/news/8635 दुनिया में हमारे पास मालेकाना हक़ के नाम पर एक चीज़ है। यह वास्तविक स्वामित्व नहीं है बल्कि किसी और के ज़रिए दिया गया स्वामित्व है। यहाँ तक कि हम अपने जिस्म के भी मालिक नहीं हैं। हम अपने जिस्म के कैसे मालिक हैं कि इस जिस्म में आने वाले बदलाव हमारी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ सामने आते हैं और उन्हें कंट्रोल करना हमारे बस में नहीं है? इस जिस्म में दर्द होता है, यह जिस्म मिट जाता है और इस पर हमारा कोई अख़्तियार नहीं होता। हम दुनिया में बहुत सी चीज़ों को अपनी संपत्ति समझते हैं। इस कमज़ोर से स्वामित्व पर ही इंसान फ़ख़्र करता है, क़यामत में यह थोड़ा सा स्वामित्व भी नहीं होगा। क़यामत में हमारे शरीर के अंग हमारे ख़िलाफ़ बोलेंगे और वहाँ सामने आने वाली सारी बातें इंसान के अख़्तियार के दायरे से बाहर होंगी।   इमाम ख़ामेनेई 10 अप्रैल 1991 Mon, 10 Mar 2025 15:05:00 +0330 .. /news/8635 रमज़ान ज़िक्र का महीना और क़ुरआन ज़िक्र की किताब https://hindi.khamenei.ir/news/8633 रमज़ान का महीना ज़िक्र का महीना है, क़ुरआन का महीना है और क़ुरआन ज़िक्र की किताब है। 'ज़िक्र' का क्या मतलब है? ज़िक्र, ग़फ़लत और फ़रामोशी की ज़िद्द है। Sun, 09 Mar 2025 17:14:00 +0330 .. /news/8633 बदमाश सरकारों का वार्ता पर इसरार, अपनी मर्ज़ी थोपने की कोशिश https://hindi.khamenei.ir/news/8632 कुछ बदमाश सरकारें, वार्ता पर इसरार कर रही हैं,उनका वार्ता पर इसरार मसले के हल के लिए नहीं बल्कि हुक्म चलाने के लिए है। वार्ता करें ताकि मेज़ की दूसरी ओर जो पक्ष बैठा है उस पर अपनी इच्छा थोपें। Sun, 09 Mar 2025 15:39:00 +0330 .. /news/8632 "मालिके यौमिद्दीन" का मतलब https://hindi.khamenei.ir/news/8631 यानी आपकी ज़िंदगी के उस हिस्से का मालिक व मुख़्तार जहाँ आपका कोई अमल नहीं है, केवल जज़ा है -दुनिया के इस छोटे से टुकड़े में आपने जो किया, उसकी जज़ा- अल्लाह है; हर चीज़ उसके अख़्तियार में है। वहाँ अब वह स्वामित्व नहीं है जो हम और आप इस दुनिया में बहुत ही ख़ामियों से भरे समझौते के दिखावटी मालिक होते हैं। इमाम ख़ामेनेई 10 अप्रैल 1991 Sun, 09 Mar 2025 13:31:00 +0330 .. /news/8631 योरोप को दो टूक जवाब, ढिठाई की भी हद होती है https://hindi.khamenei.ir/news/8629 अब तीन योरोपीय देश, विज्ञप्ति जारी कर रहे हैं, बयान दे रहे हैं कि ईरान ने परमाणु समझौते जेसीपीओए में अपने वचन पर अमल नहीं किया! कोई उनसे यह पूछे कि आपने अमल किया?!आपने पहले दिन से अमल नहीं किया! अमरीका के निकल जाने के बाद, आपने वादे किया था कि किसी न किसी तरह भरपाई करेंगे, आप अपने वादे से फिर गए, फिर कुछ और वादा किया, उस दूसरे वादे से भी फिर गए।  Sat, 08 Mar 2025 20:28:00 +0330 .. /news/8629 मुल्क के आला अधिकारियों की इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से सालाना मुलाक़ात https://hindi.khamenei.ir/news/8628 मुल्क के आला अधिकारियों ने 8 मार्च 2025 की शाम को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। यह मुलाक़ात हर साल रमज़ानुल मुबारक के महीने में होती है। Sat, 08 Mar 2025 17:55:00 +0330 .. /news/8628 मुसलमान के मन पर "अलहम्दोलिल्लाहे रब्बिल आलमीन" आयत का असर https://hindi.khamenei.ir/news/8627 एक मुसलमान की सोच का निचोड़ यह हैः सभी भलाइयों का स्रोत अल्लाह को मानना, हर चीज़ को अल्लाह का मानना, ख़ुद को भी अल्लाह का मानना, सारी सराहना, तारीफ़ और प्रशंसा को अल्लाह से विशेष मानना और सभी चीज़ को अल्लाह की कसौटी पर तौलना। यही इस्लामी सोच और इस्लामी अक़ीदे का बुनियादी उसूल और नियम है। यही चीज़ एक इंसान को बलिदानी बनाती है, यही सोच एक इंसान को अपने वजूद के दायरे की क़ैद से रिहा करती है, व्यक्तिगत निर्भरता की क़ैद से रिहा करती है, भौतिक और भौतिकवाद की ज़ंजीरों से मुक्ति दिलाती है, उसके लगाव को, भौतिकवाद के शिकार लोगों के लगाव से बहुत बुलंदी पर ले जाती है, क्योंकि वह अल्लाह का बन जाता है। यही "अलहम्दो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन" का मतलब है। इस्लामी सोच, जज़्बे, लक्ष्य और मक़सद की बुनियाद यही है।   इमाम ख़ामेनेई 13 मार्च 1991 Sat, 08 Mar 2025 15:50:00 +0330 .. /news/8627 इस्लाम औरत को सम्मान की नज़र से देखता है https://hindi.khamenei.ir/news/8626 इस्लाम चाहता है कि औरत में इतनी इज़्ज़त और शान रहे कि उसे इस बात की तनिक भी परवाह न हो कि कोई मर्द उसे देख रहा है या नहीं। यानी औरत में आत्म-सम्मान ऐसा हो कि उसे इस बात की परवाह नहीं होनी चाहिए कि कोई मर्द उसे देख रहा है या नहीं देख रहा है। यह स्थिति कहाँ और यह बात कहाँ कि औरत अपना लेबास, अपना श्रंगार, अपनी चाल और अपने बातचीत के अंदाज़ को किस तरह का अपनाए कि लोग उसे देखें? ग़ौर कीजिए इन दोनों बातों में कितना अंतर है! इमाम ख़ामेनेई 26 अक्तूबर 1992 Sat, 08 Mar 2025 12:58:00 +0330 .. /news/8626 अलहम्दो लिल्लाह और रब्बिल आलमीन में संबंध https://hindi.khamenei.ir/news/8625 "अलहम्दो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन" में "रब्बिल आलमीन" "अलहम्दो लिल्लाह" का सबब बता रहा है। क्यों सारी तारीफ़ें अल्लाह से विशेष हैं? क्योंकि अल्लाह "सब जहानों का परवरदिगार है"...'रब' का मतलब चलाने वाला है। किसी चीज़ का रब यानी किसी चीज़ का संचालन उसके हाथ में है, उस चीज़ को चलाना उसके हाथ में है...इसी तरह पालने वाले के मानी में, परवान चढ़ाने वाले के मानी में... इसी तरह मालिक और साहब के मानी में,...   इमाम ख़ामेनेई 13 मार्च 1991 Fri, 07 Mar 2025 15:44:00 +0330 .. /news/8625 हम्द और मदह में फ़र्क़ https://hindi.khamenei.ir/news/8624 "अलहम्दो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन।" इसमें 'हम्द' का मतलब किसी इंसान या किसी वजूद की तारीफ़ करना किसी ऐसे अमल या ख़ूबी की वजह से जिसे उसने अपने अख़्तियार से अंजाम दिया हो। अगर किसी में कोई ख़ुसूसियत हो लेकिन वह उसके अख़्तियार से न हो तो उसके लिए हम्द शब्द इस्तेमाल नहीं होता...मिसाल के तौर पर अगर हम किसी की ख़ूबसूरती की तारीफ़ करना चाहें, तो अरबी में उसके लिए हम्द शब्द का इस्तेमाल नहीं होता, लेकिन किसी शख़्स की बहादुरी के लिए हम्द शब्द का इस्तेमाल हो सकता है, किसी की दानशीलता की तारीफ़ के लिए हम्द शब्द का इस्तेमाल हो सकता है, किसी के भले काम की तारीफ़ के लिए हम्द शब्द का इस्तेमाल हो सकता है या उसकी किसी ऐसी ख़ूबी की तारीफ़ के लिए जो उसने अख़्तियार से अपने भीतर पैदा की है, हम्द शब्द का इस्तेमाल हो सकता है...अलहम्द का मतलब हर तरह की तारीफ़ अल्लाह से विशेष है। यह जुमला जो बात हमको समझाना चाहता है, यह है कि उन सभी भलाइयों, उन सभी ख़ूबसूरतियों, उन सभी चीज़ों जिनके लिए हम्द की जा सकती है, सब अल्लाह से विशेष हैं...   इमाम ख़ामेनेई 13 मार्च 1991 Thu, 06 Mar 2025 11:06:00 +0330 .. /news/8624 पेड़ लगाने में कोई नुक़सान नहीं, सिर्फ़ फ़ायदा है https://hindi.khamenei.ir/news/8623 पेड़ लगाना, पूंजिनिवेश है, हक़ीक़त में भविष्य के मुताबिक़ अमल है, पूंजि पैदा करना है। आप पौधा लगाकर मुनाफ़ा हासिल करते हैं। आपको नुक़सान नहीं होता।   Wed, 05 Mar 2025 19:36:00 +0330 .. /news/8623 अल्लाह की रहमत के 'रहीमी' आयाम की मिसालें https://hindi.khamenei.ir/news/8622 अब रहमत का रहीमी पहलू। 'रहीम' शब्द से रहमत का जो अर्थ समझा जाता है, वह दूसरी तरह की रहमत है; ख़ास तरह की रहमत है, ऐसी रहमत जो सृष्टि के एक ख़ास समूह से मख़सूस है और वह समूह मोमिनों और अल्लाह के नेक बंदों का समूह है। जब हम कहते हैं 'अर्रहीम' अल्लाह का रहीम के नाम से गुणगान करते है- तो हक़ीक़त में हम अल्लाह की ख़ास रहमत की ओर इशारा करते हैं और वह मोमिनों से मख़सूस रहमत है; वह क्या है? वह ख़ास मार्गदर्शन, गुनाहों की माफ़ी, भले कर्मों का अज्र, अल्लाह की मर्ज़ी पर राज़ी रहना है जो मोमिनों से मख़सूस है। हालांकि इस रहमत का दामन सीमित है और एक समूह से मख़सूस है लेकिन हमेशा बाक़ी रहने वाली है, यह इस दुनिया से मख़सूस नहीं है, जारी रहेगी; इस लोक से परलोक तक, बर्ज़ख़ के दौरान, (मरने के बाद और क़यामत से पहले का चरण) क़यामत तक और स्वर्ग तक। इमाम ख़ामेनेई 13 मार्च 1991 Wed, 05 Mar 2025 17:54:00 +0330 .. /news/8622 वृक्षारोपण दिवस पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने 3 पौधे लगाए https://hindi.khamenei.ir/news/8620 वृक्षारोपण दिवस पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 5 मार्च 2025 की सुबह 3 पौधे लगाए।   Wed, 05 Mar 2025 17:30:00 +0330 .. /news/8620 अल्लाह की रहमत के 'रहमानी' आयाम की मिसालें https://hindi.khamenei.ir/news/8619 जब हम अल्लाह का रहमान के नाम से गुणगान करते हैं तो हक़ीक़त में हम कहते हैं कि अल्लाह की रहमत सृष्टि की सभी चीज़ों को अपने दामन में समेटे हुए है; तो रहमान का मतलब सबको पहुंचने वाली रहमत है... अल्लाह की यह सर्वव्यापी रहमत क्या है? अल्लाह की रहमत सृष्टि की हर चीज़ पर फैली हुयी हैः उन्हें वजूद देने की रहमत- उन्हें पैदा किया और यह अल्लाह की ओर से हर मख़लूक़ पर रहमत है- और उनकी सामान्य तौर पर रहनुमाई करने की रहमत; "हर चीज़ को ख़िलक़त बख़्शी और रहनुमाई फ़रमाई।" (सूरए ताहा, आयत-50) अल्लाह सभी चीज़ की एक मार्ग की ओर रहनुमाई कर रहा हैः पेड़ की भी अल्लाह रहनुमाई करता है बढ़ने की ओर, कमाल (संपूर्णता) की ओर; दाने की खुलने की ओर, खाद्य पदार्थ बनने की ओर, उगने की ओर, फल देने की ओर; जानवरों की भी इसी तरह, निर्जीव चीज़ों की भी इसी तरह... इमाम ख़ामेनेई 13 मार्च 1991 Tue, 04 Mar 2025 16:16:00 +0330 .. /news/8619