आज इंसान का दिमाग़ ये जानने, समझने और मानने के लिए तैयार है कि एक असाधारण इंसान आएगा और इंसानियत को ज़ुल्म व सितम से मुक्ति दिलाएगा। ये वही चीज़ है जिसके लिए सभी पैग़म्बरों ने कोशिश की है, ये वही चीज़ है जिसका वादा पैग़म्बरे अकरम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के माध्यम से क़ुरआने मजीद की आयत में किया गया हैः और वह उन पर से भारी बोझ उतारता और बंदिशें खोलता है। (सूरए आराफ़, आयत 157) अल्लाह का दस्ते क़ुदरत, एक आसमानी इंसान, एक ख़ुदाई इंसान, ग़ैब की दुनिया, रूहानियत की दुनिया और उन दुनियाओं से जुड़ा हुआ इंसान, जो हम जैसी सीमित सोच वाले इंसानों के लिए समझ से परे हैं, इंसानियत की इस मनोकामना को पूरा कर सकता है। इसी लिए दिल, इश्क़ और चाहत उसी मरकज़ की तरफ़ केंद्रित है और दिन ब दिन अधिक केंद्रित होती जा रही है।
इमाम ख़ामेनेई
24/11/1999
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هُوَ الَّذِي أَرْسَلَ رَسُولَهُ بِالْهُدَىٰ وَدِينِ الْحَقِّ لِيُظْهِرَهُ عَلَى الدِّينِ كُلِّهِ وَكَفَىٰ بِاللَّهِ شَهِيدًا (الفتح 29)
वह वही तो है जिसने अपने रसूल को हिदायत और सच्चा दीन देकर भेजा ताकि उसको तमाम दीनों पर ग़ालिब रखे और गवाही के लिए तो बस ख़ुदा ही काफ़ी है। सूरा अलफ़त्ह आयत 29