#शहीद का लफ़्ज़ इतना अहम है कि इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इस लफ़्ज़ में दीनी, क़ौमी और अख़लाक़ी वैल्यूज़ का एक ख़ज़ाना पोशीदा है। जब आप कहते हैं शहीद तो यह एक किताब है, दीनी वैल्यूज़ का एक ज़ख़ीरा है। इस लफ़्ज़ में अख़लाक़ी तालीमात का ज़ख़ीरा है।
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هُوَ الَّذِي أَرْسَلَ رَسُولَهُ بِالْهُدَىٰ وَدِينِ الْحَقِّ لِيُظْهِرَهُ عَلَى الدِّينِ كُلِّهِ وَكَفَىٰ بِاللَّهِ شَهِيدًا (الفتح 29)
वह वही तो है जिसने अपने रसूल को हिदायत और सच्चा दीन देकर भेजा ताकि उसको तमाम दीनों पर ग़ालिब रखे और गवाही के लिए तो बस ख़ुदा ही काफ़ी है। सूरा अलफ़त्ह आयत 29