इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने 28 जुलाई 2024 की सुबह तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुल्क के सिविल व सैन्य अधिकारियों, कुछ शहीदों के घर वालों और तेहरान में तैनात कुछ विदेशी राजदूतों की मौजूदगी में आयोजित होने वाले समारोह में, संविधान की धारा 110 के नवें अनुच्छेद के तहत जनाब डाक्टर मसऊद पिज़िश्कियान को राष्ट्रपति चुनाव में मिले जनादेश को अनुमोदित किया और उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए नियुक्त किया।
ग़ज़ा की घटना में अमरीका निश्चित तौर पर अपराधियों के साथ शरीक है, यानी इस अपराध में अमरीका के हाथ कोहनियों तक मज़लूमों और बच्चों के ख़ून से सने हुए हैं। हक़ीक़त में...अमरीका ही संचालन कर रहा है।
इमाम ख़ामेनेई
25/10/2023
क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार की पीठ पर अमरीका जैसी एक बड़ी फ़ौजी, राजनैतिक और आर्थिक ताक़त, प्रतिरोध करने वाले एक गिरोह से लड़ रही है लेकिन वह उसे घुटने टेकने पर मजबूर न कर सकी। वे अपनी भड़ास आम लोगों पर निकाल रहे हैं।
ग़ज़ा के मसले को पहली प्राथमिकता बताते हुए आयतुल्लाह ख़ामेनेईः
किस तरह ग़ज़ा की स्थिति से पश्चिम के प्रजातंत्र, मानवाधिकार और सबसे बढ़कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अर्थों की पोल खुल गयी है? इस बारे में लेख पेश है।
इस्राईल ने ग़ज़ा में पानी पहुंचाने वाली सभी पाइप लाइनों को बंद कर, फ़िलिस्तीनियों को समुद्र का खारा पानी पीने पर मजबूर कर दिया है जिसके स्वास्थय के लेहाज़ से बहुत नुक़सान हैं। इस्राईल की यह करतूत, फ़िलिस्तीनियों के जातीय सफ़ाए का नया हथकंडा है। इस बारे में एक लेख पेश है।
आपको सलाम कि दुनिया की सबसे ज़्यादा हथियारों से लैस सेनाओं में से एक और धरती के सबसे घटिया लोगों के मुक़ाबले में आज अपकी दृढ़ता ने हमें, प्रतिरोध का अर्थ समझाया।
ग़ज़ा में पश्चिमी सभ्यता बेनक़ाब हो गई... 30 हज़ार लोग ज़ायोनी सरकार के हाथों मारे जाते हैं, ये लोग अपनी आँखें बंद कर लेते हैं, जैसे कुछ हुआ ही न हो! इनमें से कुछ तो मदद भी करते हैं, हथियार देते हैं... यह पश्चिम की लिबरल डेमोक्रेसी है, यह न तो लिबरल हैं और न ही डेमोक्रेट, ये झूठ बोलते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
24/02/2024
ग़ौर कीजिए कि अमरीकी, इस्राईल का ज़बानी विरोध किए जाने पर क्या कार्यवाही कर रहे हैं?! अमरीकी स्टूडेंट्स के साथ इस तरह का सुलूक किया जा रहा है। यह वाक़या अमली तौर पर यह दिखाता है कि ग़ज़ा में नस्लीय सफ़ाए के बड़े अपराध में अमरीका, ज़ायोनी हुकूमत का शरीके जुर्म है।
इमाम ख़ामेनेई
1/5/2024
हज़रत इब्राहीम की शिक्षाओं की बुनियाद पर इस साल का हज ख़ास तौर पर बराअत का हज है, क्योंकि एक तरफ़ ख़ूंख़ार ज़ायोनी है तो दूसरी ओर ग़ज़ा के मुसलमान अवाम का इतनी मज़लूमियत के साथ प्रतिरोध है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने 6 मई 2024 को हज संस्था के अधिकारियों, सदस्यों और हज के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं से मुलाक़ात में हज के विषय पर अहम गुफ़तगू की और ग़ज़ा पर ज़ायोनियों के हमलों के परिप्रेक्ष्य में मुसलमानों की ज़िम्मेदारियों को रेखांकित किया। (1)
छात्रों से पेश आने का अमरीकी सरकार का तरीक़ा अमली तौर पर ग़ज़ा में नस्लीय सफ़ाए के भयानक जुर्म में ज़ायोनी हुकूमत के साथ अमरीका के लिप्त होने का सुबूत है।
इमाम ख़ामेनेई
01/05/2024
ग़ज़ा आज दुनिया का सबसे अहम मुद्दा है। ज़ायोनी और उनके अमरीकी व यूरोपीय समर्थक दुनिया के जनमत के एजेंडे से ग़ज़ा को बाहर निकालने की जितनी भी कोशिशें कर रहे हैं सब व्यर्थ हैं। आप अमरीका और यूरोप की युनिवर्सिटियों की हालत देखिए।
ग़ज़ा, दुनिया का सबसे बड़ा मुद्दा है। हमें इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दुनिया के लोगों की नज़रों से हटने नहीं देना चाहिए, ये मुद्दा नंबर एक की पोज़ीशन से दुनिया के लोगों की नज़रों से हटने न पाए।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने बुधवार की सुबह मशहूर विचारक उस्ताद शहीद आयतुल्लाह मुर्तज़ा मुतह्हरी की शहादत की बरसी और शिक्षक दिवस पर मुल्क भर से आए हुए टीचरों से मुलाक़ात की।
छात्रों से पेश आने का अमरीकी सरकार का तरीक़ा अमली तौर पर ग़ज़ा में नस्लीय सफ़ाए के भयानक जुर्म में ज़ायोनी हुकूमत के साथ अमरीका के लिप्त होने का सुबूत है।
इमाम ख़ामेनेई
01/05/2024
हम बरसों से अमरीका और यूरोप की सख़्त पाबंदियों का सामना कर रहे हैं। पाबंदियों का लक्ष्य क्या है? झूठ बोलते हैं कि एटमी हथियार और मानवाधिकार की वजह से लगई गईं। ऐसा नहीं है। ईरान पर पाबंदी लगाते हैं आतंकवाद के समर्थन के कारण। उनकी नज़र में आतंकवाद क्या है? #गज़ा के अवाम।
इस साल रमज़ान के महीने में ग़ज़ा के ख़ूंरेज़ वाक़यात ने सारी दुनिया में मुसलमानों को रंजीदा कर दिया। अल्लाह की लानत हो क़ाबिज़ ज़ायोनी हुकूमत पर। ज़ायोनी हुकूमत ने एक और ग़लती अपनी ग़लतियों में बढ़ा ली और वो सीरिया में ईरान की काउंसलेट पर हमला था। घटिया हुकूमत को सज़ा मिलेगी।
तेहरान में ईदे फ़ित्र की मुख़्य नमाज़ इमाम ख़ुमैनी मुसल्ला में बुधवार की सुबह अवाम की बड़ी तादाद की शिरकत से इस्लामी इंक़ेलाब के नेता सैयद अली ख़ामेनेई की इमामत में अदा की गयी।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 10 अप्रैल 2024 की सुबह मुल्क के आला अधिकारियों, तेहरान में नियुक्त इस्लामी देशों के राजदूतों और अवाम के विभिन्न वर्गों की एक तादाद से मुलाक़ात की।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी मुसल्ला काम्पलेक्स में 10 अप्रैल 2024 को ईदुल फ़ित्र की नमाज़ अदा की गई। नमाज़ के ख़ुतबों में रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने रमज़ानुल मुबारक की ख़ास रूहानी फ़ज़ा के बारे में बात की और ईरान के दूतावास पर इस्राईल के हमले के बारे में अहम एलान किया। (1)
यूनिवर्सिटी के तीन मुख़्य फ़रीज़े हैं। विद्वान की तरबियत करे, दूसरे ये कि इल्म का प्रोडक्शन करे और तीसरे ये कि विद्वान की तरबियत और इल्म के प्रोडक्शन को दिशा दे। दुनिया की यूनिवर्सिटियां विद्वान की तरबियत करती हैं, इल्म का प्रोडक्शन भी करती हैं लेकिन इस तीसरे फ़रीज़ें में लड़खड़ा जाती हैं। नतीजा क्या होता है? नतीजा ये होता है कि उनके इल्म की तरबियत, इल्म का प्रोडक्शन और विद्वान की तरबियत का प्रोडक्ट दुनिया ज़ायोनी और साम्राज्यवादी ताक़तों के हाथों का खिलौना बन जाता है। इस बारे में एक लेख पेश है।
पश्चिम के महिला अधिकार के झूठे दावे को
ज़ायोनियों के अपराध भुलाए नहीं जा सकेंगे यहाँ तक कि ज़ायोनी शासन के तबाह हो जाने के बाद भी। लेखक किताबों में लिखेंगे कि इन लोगों ने कुछ हफ़्तों में हज़ारों बच्चों और औरतों को मार डाला।
इमाम ख़ामेनेई
09/01/2024
पश्चिमी सभ्यता ने अपनी धूर्तता, पाखंड और झूठ को ज़ाहिर कर दिया। जब तीन या चार महीने में ज़ायोनी शासन के हाथों 30000 लोग मारे जाते हैं तो वो अपनी आँखें बंद कर लेते हैं मानो कुछ हुआ ही न हो।
इमाम ख़ामेनेई
24/02/2024
ग़ज़ा पट्टी में ज़ायोनी हुकूमत के जुर्म से संबंधित ख़बरें रोज़ाना ही न्यूज़ चैनलों और अख़बारों में आती रहती हैं। इसी तरह ग़ज़ा का संकट टॉक शोज़, राजनैतिक समीक्षाओं और न्यूज़ डिबेट का दैनिक विषय बन गया है। इस सिलसिले में जो सबसे अहम सवाल पाए जाते हैं उनमें से एक, ग़ज़ा के मौजूदा संकट से बाहर निकलने और इस क्षेत्र में जारी भयानक क़त्ले आम और विध्वंसक गतिविधियों के अंत के रास्ते के बारे में है।
जनमत में ग़ज़ा के मसले को प्राथमिकता के तौर पर बाक़ी रखने पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की ताकीद
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने बुधवार 3 अप्रैल 2024 की शाम को मुल्क के आला अधिकारियों व ओहदेदारों से मुलाक़ात में ग़ज़ा के हालात की ओर इशारा करते हुए कहा कि ग़ज़ा के मसले को विश्व जनमत की प्राथमिकता के दायरे से बाहर नहीं होने देना चाहिए।
फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस के जवानों ने पैग़ाम दिया जो हमारे कानों तक भी पहुंचा कि हमारे बारे में फ़िक्रमंद होने की ज़रूरत नहीं है। हमारे लगभग 90 प्रतिशत संसाधन और क्षमताएं सुरक्षित हैं।
इमाम ख़ामेनेई
12 मार्च 2024
पश्चिम के समर्थन से अंजाम पाने वाले ज़ायोनी सरकार के अपराध और दरिंदगी पर ग़ज़ा के अवाम का तारीख़ी सब्र एक अज़ीम हक़ीक़त है जिसने इस्लाम की मर्यादा बढ़ाई।
ज़ायोनी हुकूमत केवल अपनी सुरक्षा के मसले में ही संकट का शिकार नहीं बल्कि संकट से बाहर निकलने के मसले में भी संकट में घिरी है। दलदल में फंसी है, बाहर नहीं निकल सकती। अगर ग़ज़ा से निकल जाए तो उसकी हार है और न निकले तब भी उसकी हार है।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2024
पश्चिम के समर्थन से अंजाम पाने वाले ज़ायोनी सरकार के अपराध और दरिंदगी पर ग़ज़ा के अवाम का तारीख़ी सब्र एक अज़ीम हक़ीक़त है जिसने इस्लाम की मर्यादा बढ़ाई। ग़ज़ा वासियों के सब्र की अज़ीम हक़ीक़त ने फ़िलिस्तीन के विषय को दुश्मन की इच्छा के विपरीत दुनिया का सबसे अहम मुद्दा बना दिया।
इमाम ख़ामेनेई
25 मार्च 2024
इस्माईल हनीया से मुलाक़ात में रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ और ग़ज़ा के अवाम की दृढ़ता की सराहना के साथ आयतुल्लाह ख़ामेनेईः
रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने मंगलवार 26 मार्च 2024 को हमास आंदोलन के पोलित ब्योरो चीफ़ इस्माईल हनीया और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में फ़िलिस्तीन की रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ और ग़ज़ा के अवाम की ऐतिहासिक दृढ़ता की सराहना की।