इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने 28 जुलाई 2024 की सुबह तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुल्क के सिविल व सैन्य अधिकारियों, कुछ शहीदों के घर वालों और तेहरान में तैनात कुछ विदेशी राजदूतों की मौजूदगी में आयोजित होने वाले समारोह में, संविधान की धारा 110 के नवें अनुच्छेद के तहत जनाब डाक्टर मसऊद पिज़िश्कियान को राष्ट्रपति चुनाव में मिले जनादेश को अनुमोदित किया और उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए नियुक्त किया।
उन्होंने इस मौक़े पर अपने ख़ेताब में चौदहवें राष्ट्रपति चुनाव के आयोजन को एक अहम इम्तेहान में क़ौम की कामयाबी क़रार दिया और कहा कि शहीद रईसी की मौत से पैदा होने वाले आम दुख के माहौल के बावजूद इलेक्शन शांति व सुकून के माहौल में पूरी पारदर्शिता के साथ और निर्वाचित राष्ट्रपति के साथ दूसरे उम्मीदवारों की तारीफ़ के क़ाबिल प्रतिस्पर्धा और अच्छे रवैये के साथ संपन्न हुआ।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने मुल्क में प्रतिस्पर्धा और पारदर्शिता के साथ लोकतंत्र को अतीत की दुखद स्थिति के मुक़ाबले में क़ौम के आंदोलन और इंक़ेलाब का नतीजा बताया और कहा कि इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह ने इंक़ेलाब की कामयाबी के पहले दिन से ही ठोस तरीक़े से मुल्क की व्यवस्था चलाने में अवाम की मौजूदगी, भागीदारी और भरपूर किरदार को बेमिसाल तरीक़े से मज़बूती से स्थापित किया।
उन्होंने अपने ख़ेताब के एक हिस्से में ग़ज़ा को एक वैश्विक मसला बताया और कहा कि कभी फ़िलिस्तीन सिर्फ़ इस्लामी जगत के मुल्कों का मसला था लेकिन आज वह विश्व स्तर पर मसला बन गया है जो अमरीकी कांग्रेस, यूएनओ, ओलम्पिक और सभी मैदानों के भीतर पहुंच चुका है।
उन्होंने क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार के बरबर्तापूर्ण कृत्यों का हवाला देते हुए उसे एक अपराधी, क़ातिल और आतंकवादी गैंग बताया और कहा कि यह सरकार नहीं बल्कि उसने सबसे घिनौने अपराधी गैंग की अपनी छवि दुनिया को दिखाई है और अपराध के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने ग़ज़ा में नवजात शिशुओं, छोटे बच्चों, अस्पतालों के मरीज़ों और औरतों की बड़ी तादाद की शहादत की ओर इशारा करते हुए कहा कि ज़ायोनियों के बड़े बड़े बम उन लोगों पर गिराए जा रहे हैं जिन्होंने एक गोली तक नहीं चलायी है।
उन्होंने रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ की लगातार बढ़ती ताक़त की ओर इशारा करते हुए कहा कि ज़ायोनी, अमरीका और कुछ ग़द्दार सरकारें सारी मदद के बावजूद रेज़िस्टेंस फ़ोर्स को हरा नहीं सकी हैं और हमास के पूरी तरह अंत का उनका घोषित लक्ष्य नाकाम रहा और हमास, जेहाद (इस्लामी) और रेज़िस्टेंस फ़्रंट पूरी ताक़त से डटा हुआ है।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने एक ज़ायोनी अपराधी की तक़रीर की मेज़बानी करने पर अमरीकी कांग्रेस के दो दिन पहले के क़दम को बहुत बड़ा कलंक बताया और कहा कि दुनिया को ग़ज़ा के मसले के बारे में गंभीर क़दम उठाना चाहिए और सरकारों, क़ौमों और राजनैतिक व वैचारिक हस्तियों को मुख़्तलिफ़ मैदानों में काम करना चाहिए।
उन्होंने मुख़्तलिफ़ विषयों ख़ास तौर पर विदेश नीति के क्षेत्र में सरकार के पूरी तरह सरगर्म होने पर बल दिया और कहा कि विश्व स्तर पर होने वाले वाक़ए ख़ास तौर पर क्षेत्रीय घटनाओं और राजनीति यहाँ तक कि आर्टिफ़िशल इंटेलिजेंस जैसे वैज्ञानिक व इल्मी मसलों में रक्षात्मक नहीं बल्कि सक्रिय, प्रभावी और आक्रामक रुख़ अख़्तियार कीजिए।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता कहा कि दुनिया और क्षेत्र की घटनाओं की ओर से लापरवाही सही नहीं है और हर वाक़ए के सिलसिले में मुल्क के स्टैंड को खुलकर गंभीरता के साथ बयान कीजिए ताकि दुनिया इस्लामी ईरान के स्टैंड को जान सके।
उन्होंने शहीद विदेश मंत्री अमीर अब्दुल्लाहियान को श्रद्धांजलि पेश करते हुए जिन्होंने एक अच्छे कूटनीतिज्ञ और वार्ताकार की हैसियत से प्रभावी काम और कोशिशें कीं, कहा कि यह काम और कोशिश जारी रहनी चाहिए।
उन्होंने मुल्क की विदेश नीति की प्राथमिकताओं का ज़िक्र करते हुए पड़ोसी मुल्कों के साथ संबंध की मज़बूती के लिए गंभीर कोशिशों को ज़रूरी बताया और कहा कि विदेश नीति की दूसरी प्राथमिकता, अफ़्रीक़ी और एशियाई मुल्कों के साथ संबंध को बढ़ावा देना है जो ईरान की कूटनीति के दायरे को बढ़ा सकता है।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने विदेश नीति की एक और प्राथमिकता का ज़िक्र करते हुए कहा कि उन मुल्कों की क़द्र करनी चाहिए और उनसे संबंध मज़बूत बनाने चाहिएं जिन्होंने इन बरसों में दबाव के बावजूद ईरान की मदद की और कूटनीति तथा आर्थिक मैदान में उसके साथ सहयोग किया।
उन्होंने इस सिलसिले में कहा कि हमने विदेश नीति की प्राथमिकताओं में योरोपीय मुल्कों का नाम नहीं लिया तो यह मुख़ालेफ़त और दुश्मनी के अर्थ में नहीं है बल्कि इस वजह से है कि पाबंदियों और तेल जैसे मामलों में उनका रवैया ईरान के साथ अच्छा नहीं रहा है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि अगर उनका यह बुरा रवैया न हो तो उनके साथ संबंध भी हमारी प्राथमिकताओं में शामिल होंगे, अलबत्ता कुछ मुल्क हैं जिनके दुश्मनी भरे व कष्टदायक रवैये को हम भूलेंगे नहीं।