"फ़िलिस्तीन" नामक किताब फ़िलिस्तीन के बारे में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के वर्णन और समीक्षा पर आधारित बयानों और उनकी ओर से पेश किए गए हल का संग्रह है। फ़िलिस्तीन के मसले में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के विचारों की अहमियत और निर्णायक हैसियत सहित इस वक़्त के ख़ास हालात के मद्देनज़र इस किताब के अरबी, अंग्रेज़ी, रूसी, तुर्की इस्तांबोली और दूसरी ज़बानों में अनुवाद प्रकाशित हुए हैं।
आप देखिए कि इन्होंने भारत में क्या किया? चीन में क्या किया? 19वीं सदी में अंग्रेज़ों ने भारत में वह तबाही मचाई कि - मुझे विश्वास है कि आप युवा इतिहास को भी और इन चीज़ों को भी कम ही अहमियत देते हैं - जो कुछ हुआ है उसका हज़ारवां हिस्सा भी आपने प्रचारों में और बातों में नहीं सुना है।
किताब तालीम ए अहकाम सही तरीक़े से इबादत अंजाम देने और हलाल व हराम की पहिचान के लिए आसान ज़बान में तहरीर की गई है। यह आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई के फ़तवों और फ़िक़ही विचारों पर आधारित है।
जवाहर लाल नेहरू ने लिखा कि ग़रीबी भी उन्हीं की देन है। ऐसे बहुत से ग़रीब देश जिनकी जनता ग़रीबी में जीवन बिता रही है और अपने प्राकृतिक स्रोतों से लाभ नहीं उठा सकती, उनकी ग़रीबी का पाप भी इन्हीं के सिर है।