#पाबंदियों की मार से बचने के लिए #अमरीका या किसी भी ताक़त से दब जाना बहुत बड़ी भूल और अपनी सियासी ताक़त पर वार है। इससे ज़्यादा बचकाना और नासमझी वाला कोई प्रस्ताव नहीं हो सकता कि दुश्मन को ग़ुस्सा दिलाने से बचने के लिए हमें अपनी रक्षा शक्ति सीमित कर देनी चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
10 मार्च 2022
क्षेत्रीय रोल को ख़त्म या न्युक्लियर मैदान में साइंसी प्रगति को रोक देने का प्रस्ताव हमारी राष्ट्रीय ताक़त पर वार है। क्षेत्रीय रोल हमें स्ट्रैटेजिक गहराई और अधिक राष्ट्रीय ताक़त प्रदान करता है और एटमी मैदान में साइंसी प्रगति भविष्य में मुल्क को पेश आने वाली ज़रूरत को पूरा करने का ज़रिया है।
इमाम ख़ामेनेई
10 मार्च 2022
दुनिया में इन दिनों की राजनैतिक और फ़ौजी घटनाएं, उसी #तारीख़ी_मोड़ की रचना कर रही हैं जिसकी उम्मीद थी। स्कालरों का अल्पकालिक फ़र्ज़ मोर्चाबंदियों की पहिचान और सही स्टैंड का इंतेख़ाब और मध्यकालिक फ़र्ज़ हक़ की मदद करने वाले परिवर्तनों में रोल निभाना है।
इमाम ख़ामेनेई
10 मार्च 2022
आप अज़ीज़ नौजवान दोनों ही मैदानों में शानदार रोल अदा कर सकते हैं और इस्लाम के मुबारक नाम से सुशोभित इन अंजुमनों से की जाने वाली उम्मीदों को पूरा कर सकते हैं। ख़ुदाए क़दीर व हकीम से आपकी दिन दूनी रात चौगुनी कामयाबियों की दुआ करता हूं।
इमाम ख़ामेनेई
10 मार्च 2022
राष्ट्रीय शक्ति, आपस में जुड़ा हुआ एक समूह है। साइंस, टेक्नालोजी, चिंतन, सुरक्षा, रक्षा शक्ति, सार्वजनिक सुविधाएं, कल्चर, क्षेत्र और दुनिया के स्तर पर राष्ट्रीय हितों की हिफ़ाज़त के लिए राजनैतिक कोशिशें और बहस की ताक़त और दूसरी क़ौमों को अपनी ओर आकर्षित करने वाली सोच, राष्ट्रीय शक्ति के बाज़ू हैं।
इमाम ख़ामेनेई
10 मार्च 2022
#राष्ट्रीय_ताक़त हर देश के लिए बुनियादी अहमियत रखती है और अगर कोई क़ौम स्वाधीनता और सरबुलंदी चाहती है और दुश्मनों की ग़लत मांगों को ठुकरा देना चाहती है तो उसे चाहिए कि ताक़तवर बने वरना कमज़ोर, अपमानित और भयभीत होने की स्थिति में दुश्मनों की लालच का निशाना बनेगी।
आज दुनिया में माडर्न जाहेलियत, भेदभाव, ज़ुल्म और संकट को जन्म देने की तसवीर अमरीका है। दरअस्ल अमरीकी सरकार संकटजनक और संकटजीवी सरकार है जो दुनिया भर में तरह तरह के संकटों से अपनी आजीविका हासिल करती है। #यूक्रेन इसी सियासत की भेंट चढ़ गया।
इमाम ख़ामेनेई
1 मार्च 2022
अमरीका माफ़ियाई सरकार है। सियासी माफ़िया, आर्थिक माफ़िया वग़ैरा के हाथ में बागडोर है जो राष्ट्रपतियों को सत्ता में लाते हैं। वे दुनिया में संकट पैदा करते हैं ताकि ज़्यादा फ़ायदा हासिल करें: दाइश का मसला, यूक्रेन संकट। वे सीरिया का तेल चुराते हैं, अफ़ग़ान अवाम का पैसा चोरी करते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
1 मार्च 2022
सरकारों का सबसे बड़ा सहारा अवाम हैं। यह यूक्रेन संकट का दूसरा बड़ा सबक़ है। अगर #यूक्रेन के अवाम मैदान में उतर पड़ते तो यूक्रेन की सरकार की यह हालत न होती। अवाम मैदान में नहीं उतरे क्योंकि सरकार से संतुष्ट नहीं थे।
इमाम ख़ामेनेई
1 मार्च 2022
अमरीका ने #यूक्रेन को इस हालत में पहुंचाया है। अमरीका ने इस मुल्क के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करके, रंगीन विद्रोह करवाकर, एक सरकार को हटाने और दूसरी को सत्ता में लाने का सिलसिला शुरू करके यूक्रेन की यह हालत कर दी।
इमाम ख़ामेनेई
1 मार्च 2022
यूक्रेन के हालात से दो सबक़ मिलते हैं: जो सरकारें अमरीका और यूरोप से मदद की आस लगाए बैठी हैं जान लें कि यह मदद फ़रेब है हक़ीक़त नहीं। आज #यूक्रेन कल #अफ़ग़ानिस्तान। दोनों मुल्कों के राष्ट्रपतियों ने कहा कि हमने अमरीका और पश्चिम पर भरोसा किया और उन्होंने हमें बेसहारा छोड़ दिया।
इमाम ख़ामेनेई
1 मार्च 2022
#यूक्रेन में ईरान युद्ध विराम का तरफ़दार है। हम चाहते हैं कि वहां जंग ख़त्म हो जाए लेकिन किसी भी संकट का हल तभी मुमकिन है जब उसकी जड़ों को पहिचान लिया जाए। यूक्रेन संकट की जड़ अमरीका की संकटजनक नीतिया हैं और यूक्रेन इन्हीं नीतियों की भेंट चढ़ गया।
इमाम ख़ामेनेई
1 मार्च 2022
जो शख़्स रईसाना ज़िंदगी बसर करता है और उसका जीवन गुज़ारने का तरीक़ा रईसाना है वह ग़रीबों के समर्थन के नारे को क़ुबूल नहीं कर सकता। इंक़ेलाब का नारा कमज़ोरों और ग़रीब तबक़ों की हिमायत का नारा है। जो लोग आरामदेह ज़िंदगी की फ़िक्र में हैं वे इस नारे के वफ़ादार नहीं हो सकते।
इमाम ख़ामेनेई
17 फ़रवरी 2022
यह जो आप देखते हैं कि साम्राज्यवादी ताक़तें इस अंदाज़ से इंक़ेलाब और ईरान की इंक़ेलाबी क़ौम के ख़िलाफ़ लामबंद हैं तो इसकी वजह यह है कि इंक़ेलाब ज़िंदा है। अगर इंक़ेलाब न होता तो उन्हें ईरानी क़ौम के ख़िलाफ़ इतनी घटिया और शैतानी हरकतें करने की ज़रूरत न होती। इंक़ेलाब के ज़िंदा होने का क्या मतलब है? इसका मतलब है मुल्क की नई नस्लों का इंक़ेलाब के लक्ष्यों और उद्देश्यों से दिली लगाव।
इमाम ख़ामेनेई
17 फ़रवरी 2022
हालांकि पैग़म्बरे इस्लाम की एक रूहानी हैबत थी, उनकी मौजूदगी में लोगों पर रोब छाया रहता था लेकिन पैग़म्बर लोगों के साथ बड़ी मुहब्बत और अख़लाक़ से पेश आते थे। जब वो लोगों के बीच बैठते थे तो पहचाने नहीं जाते थे कि वो लोगों के पैग़म्बर, कमांडर और सरदार हैं।
इमाम ख़ामेनेई
27 सितम्बर 1991
रसूले ख़ुदा (स.अ.) की अज़ीम शख़्सियत सारे पैग़म्बरों में सब से महान है और हम मुसलमानों को पैग़म्बरे इस्लाम के अनुसरण का हुक्म दिया गया है। कहा गया हैः “और तुम लोगों के लिए अल्लाह के रसूल बेहतरीन नमूना थे।” (सूरा अहज़ाब आयत 21) हमें पैग़म्बर के नक़्शे क़दम पर चलना चाहिए। केवल चंद रकअत नमाज़ों की अदायगी में नहीं बल्कि अपने किरदार में, अपनी गुफ़तगू में, अपने रहन सहन में और अपने लेनदेन में भी हमें उन्हीं का अनुसरण करना चाहिए। इसलिए हमें उनकी शिनाख़्त हासिल करनी चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
12 मई 2000
पैग़म्बरे इस्लाम अपनी उस अज़मत और मरतबे के बावजूद इबादत की तरफ़ से कभी ग़ाफ़िल नहीं हुए। आधी रात को दुआ और इस्तेग़फ़ार करते थे। उम्मे सलमा ने पूछा कि आपको अल्लाह इतना चाहता है फिर भी आप गिरया करते हैं? हज़रत ने फ़रमाया कि अगर मैं अल्लाह से ग़ाफ़िल हो जाऊं तो कौन सी चीज़ मुझे बचाएगी? यह हमारे लिए सबक़ है।
इमाम ख़ामेनेई
27 सितम्बर 1991
हमारे अज़ीम पैग़म्बर के जन्म से लेकर पैग़म्बरी के एलान तक उनकी परीक्षा के मैदान थे पाकीज़गी, अमानत, पुरुषार्थ और सच्चाई। उस ज़माने में दोस्त और दुश्मन सभी इक़रार करते थे और गवाही देते थे कि यह अज़ीम और पाकीज़ा इंसान पाकीज़गी, अमानतदारी, सच्चाई और पुरुषार्थ की जीती जागती तसवीर है।
इमाम ख़ामेनेई
20 मार्च 2008
मुश्किलों के हल की कुंजी दुआ, ज़िक्रे ख़ुदा और दिलों को पाकीज़ा बनाना है। रजब का महीना उन लोगों की ईद है जो अपने दिलों को पाकीज़ा बनाने का इरादा रखते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
9 अप्रैल 2018
इस मक़सद के लिए कि इंसान जब रमज़ान के महीने में क़दम रखे तो खुली आंखों के साथ रखे, ग़ाफ़िल न हो बल्कि हमारे और आपके अंदर इसकी ज़रूरी आमादगी पैदा हो जाए, रजब और शाबान के इन महीनों का बंदोबस्त किया गया है। रजब ज़्यादा से ज़्यादा नमाज़ों का महीना है। शाबान ज़्यादा से ज़्यादा दुआओं और रोज़े का महीना है।
इमाम ख़ामेनेई
4 अकतूबर 2004
तीन महीने यानी रजब, शाबान और रमज़ान पूरे साल में आत्म निर्माण के अवसर और ज़िंदगी व तक़दीर के बड़े सफ़र के लिए ज़रूरी सामान और ऊर्जा हासिल करने के महीने हैं।
इमाम ख़ामेनेई
13 जनवरी 1993
दुआ की सिर्फ़ यह तासीर नहीं कि इंसान अपना दिल अल्लाह के क़रीब कर लेता है। यह तो हासिल होता ही है इसके साथ ही उसे इल्म भी हासिल होता है। दुआ में तालीम भी है और पाकीज़गी थी।
इमाम ख़ामेनेई
19 जून 2009
अगर इंसान अक़्लमंद, होशियार और जागरूक हो तो इसके हर लम्हे से वह चीज़ हासिल कर सकता है जिसके सामने दुनिया की सारी नेमतें मामूली हैं। यानी अल्लाह की रज़ामंदी, करम, इनायत और तवज्जो हासिल कर सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
8 फ़रवरी 1991
इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम से हमें यह सबक़ मिलता है कि मुनाफ़िक़ और मक्कार ताक़तों का सामना हो तो हिम्मत से काम लें और उन ताक़तों का मुक़ाबला करने के लिए अवाम के अंदर बेदारी पैदा करें। इमाम जवाद अलैहिस्सलाम ने अब्बासी ख़लीफ़ा मामून के चेहरे से दिखावे और फ़रेब की नक़ाब हटाने के लिए काम किया और कामयाब हुए।
इमाम ख़ामेनेई
10 अकतूबर 1980
ईरानी अवाम का अल्लाहो अकबर का नारा अपना ख़ास अंदाज़ रखता है क्योंकि यह पैग़म्बर का नारा है, यह बुतों को तोड़ देने वाला अल्लाहो अकबर का नारा है, यह ताक़त व दौलत के बुतों को नाचीज़ साबित कर देने वाला नारा है, यह विश्व साम्राज्यवाद के मुक़ाबले में एक राष्ट्र की शुजाअत और बहादुरी का नारा है।
इमाम ख़ामेनेई
28 अगस्त 1985
इमाम ख़ुमैनी वाक़ई बड़े फ़ौलादी इरादे वाले इंसान थे। वह इंसान थे जिसे अपनी राह की सच्चाई पर सौ प्रतिशत यक़ीन हो। जैसा कि क़ुरआन में पैग़म्बर के बारे में आया है कि रसूल उस चीज़ पर पूरा अक़ीदा व ईमान रखते हैं जो उनके परवरदिगार की तरफ़ से उन पर नाज़िल की गई है (बक़रा 285)। सच्चे और साफ़गो इंसान थे। सियासत बाज़ी से दूर थे। बड़े ज़ेहीन और दूरदर्शी इंसान थे।
इमाम ख़ुमैनी एक अवामी शख़्सियत थे और अवाम पर उन्हें बड़ा भरोसा था। 1962 की बात है जब इमाम ख़ुमैनी इस क़द्र मशहूर नहीं थे, उन्होंने क़ुम में अपनी एक तक़रीर में तत्कालीन सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर तुमने अपना रवैया न बदला तो क़ुम के मरुस्थल को अवाम से भर दूंगा। कुछ ही महीने गुज़रे थे कि इमाम ख़ुमैनी ने फ़ैज़िया मदरसे में निर्णायक भाषण दिया। जनता बंदूक़ों और टैंकों के मुक़ाबले में डट गई।
इमाम ख़ुमैनी ने इस्लामी शिक्षाओं को बयान किया। हुकूमत का अर्थ बयान किया। इंसान का अर्थ समझाया और अवाम को यह बताया कि उनके साथ क्या हो रहा है और क्या होना चाहिए। जिन तथ्यों को ज़बान पर लाने की लोग हिम्मत नहीं करते थे, इमाम ख़ुमैनी ने उन तथ्यों को दबे लफ़्ज़ों में नहीं खुले आम बयान किया।
हमारा इंक़ेलाब उस सरकार के ख़िलाफ़ महान अवामी इंक़ेलाब था जो एक निंदनीय सरकार की सारी बुराइयों में लिप्त थी। भ्रष्टाचारी थी, बाहरी ताक़तों की पिट्ठू थी, बग़ावत के ज़रिए थोपी गई थी और नाकारा भी थी।
“हल अता” सूरे में अल्लाह, हज़रत फ़ातेमा ज़हरा और उनके परिवार के बारे में तफ़सील से बात करता है, यह बहुत अहम बात है। वाक़ई यह एक परचम है जिसे क़ुरआने मजीद, हज़रत फ़ातेमा ज़हरा के घर पर लहराता है।
इमाम ख़ामेनेई
23 जनवरी 2022
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेईः “किसी ने कहा था कि ‘शहीद सुलैमानी’ दुश्मनों के लिए ‘जनरल सुलैमानी’ से ज़्यादा ख़तरनाक हैं। उसने बिल्कुल सही समझा। अमरीका की हालत आप देखिए! अफ़ग़ानिस्तान से फ़रार होता है, इराक़ से बाहर निकलने का दिखावा करने पर मजबूर है। यमन और लेबनान को देखिए। शाम में भी धराशायी हो चुका है।”
1 जनवरी 2022
इस ईद और जन्म दिन की मुबारकबाद पेश करता हूं।
यह भी इस्लाम का एक करिश्मा है कि हज़रत ज़हरा (स.अ.) इस छोटी सी ज़िंदगी में कायनात की औरतों की सरदार बन गईं। यह कैसी शक्ति और कैसी अंदरूनी ताक़त है जो इंसान को छोटी सी मुद्दत में ज्ञान, बंदगी, पाकीज़गी और आध्यात्मिक बुलंदी के महासागर में तब्दील कर देती है। यह भी इस्लाम का करिश्मा है।
इमाम ख़ामेनेई
5 जूलाई 2007
हमें यह बात हमेंशा मद्देनज़र रखनी चाहिए कि दुनिया में हमारी दुश्मनी के मोर्चे में वे दुश्मन भी हैं जो मतभेद की आग भड़काने में ख़ास महारत रखते हैं। वे “फूट डालो राज करो” के उस्ताद हैं।
इमाम ख़ामेनेई
9 जनवरी 2022
जितना मुमकिन हो हमें आपसी फूट की वजहों को कम करना चाहिए। अलबत्ता सोच, तौर तरीक़े, शैली और आदतों में फ़र्क़ पाया जाता है। मगर इन सब को एक दूसरे के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल लेने की वजह नहीं बनने देना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
9 जनवरी 2022
दीनी ग़ैरत और स्वाभिमान का स्रोत बुनियादी तौर पर बसीरत है और बसीरत, अक़्ल और गहरी समझदारी का एक पहलू है जो दीनदारी की गहराई का पता देती है। अकसर मामलों में आप दीनी ग़ैरत को अक़्ल और समझदारी के साथ पाएंगे।
इमाम ख़ामेनेई
9 जनवरी 2022
हमारे मुल्क में पिछले डेढ़ सौ साल के दौरान जो अहम तारीख़ी और समाजी घटनाएं हुईं और जिनमें अवाम मैदान में उतर पड़े, उनमें अकसर घटनाएं वो हैं जिनमें कोई धर्मगुरु, कोई साहसी, मुजाहिद और राजनीति की सूझबूझ रखने वाला आलिम नज़र आता है।
इमाम ख़ामेनेई
9 जनवरी 2022
जिन लोगों ने सुलैमानी को शहीद किया, ट्रम्प और उनके जैसे लोग, वह इतिहास में दफ़्न हो जाएंगे, लेकिन सुलैमानी अमर हैं। उनके दुश्मन विलुप्त हो जाएंगे, अलबत्ता इंशाअल्लाह दुनिया में ख़मियाज़ा भुगतने के बाद।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 2022
ईरान की पासदाराने इंक़ेलाब फ़ोर्स ने फ़िलहाल एक जवाबी वार किया और अमरीकी छावनी को अपने मिसाइलों से तबाह कर दिया, ज़ालिम और अहंकारी हुकूमत की अकड़ और इज़्ज़त मिट्टी में मिला दी जबकि उसको दी जाने वाली असली सज़ा इलाक़े से उसकी बेदख़ली है।
इमाम ख़ामेनेई
17 जनवरी 2020