तीन महीने यानी रजब, शाबान और रमज़ान पूरे साल में आत्म निर्माण के अवसर और ज़िंदगी व तक़दीर के बड़े ‎सफ़र के लिए ज़रूरी सामान और ऊर्जा हासिल करने के महीने हैं। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎13 जनवरी 1993‎