हालांकि पैग़म्बरे इस्लाम की एक रूहानी हैबत थी, उनकी मौजूदगी में लोगों पर रोब छाया रहता था लेकिन पैग़म्बर लोगों के साथ बड़ी मुहब्बत और अख़लाक़ से पेश आते थे। जब वो लोगों के बीच बैठते थे तो पहचाने नहीं जाते थे कि वो लोगों के पैग़म्बर, कमांडर और सरदार हैं। इमाम ख़ामेनेई 27 सितम्बर 1991