हमारे अज़ीम पैग़म्बर के जन्म से लेकर पैग़म्बरी के एलान तक उनकी परीक्षा के मैदान थे पाकीज़गी, अमानत, पुरुषार्थ और सच्चाई। उस ज़माने में दोस्त और दुश्मन सभी इक़रार करते थे और गवाही देते थे कि यह अज़ीम और पाकीज़ा इंसान पाकीज़गी, अमानतदारी, सच्चाई और पुरुषार्थ की जीती जागती तसवीर है। इमाम ख़ामेनेई 20 मार्च 2008