जो शख़्स रईसाना ज़िंदगी बसर करता है और उसका जीवन गुज़ारने का तरीक़ा रईसाना है वह ग़रीबों के समर्थन के नारे को क़ुबूल नहीं कर सकता। इंक़ेलाब का नारा कमज़ोरों और ग़रीब तबक़ों की हिमायत का नारा है। जो लोग आरामदेह ज़िंदगी की फ़िक्र में हैं वे इस नारे के वफ़ादार नहीं हो सकते।  इमाम ख़ामेनेई  17 फ़रवरी 2022