इस मक़सद के लिए कि इंसान जब रमज़ान के महीने में क़दम रखे तो खुली आंखों के साथ रखे, ग़ाफ़िल न हो ‎बल्कि हमारे और आपके अंदर इसकी ज़रूरी आमादगी पैदा हो जाए, रजब और शाबान के इन महीनों का बंदोबस्त ‎किया गया है। रजब ज़्यादा से ज़्यादा नमाज़ों का महीना है। शाबान ज़्यादा से ज़्यादा दुआओं और रोज़े का महीना है। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎4 अकतूबर 2004‎