दुआ की सिर्फ़ यह तासीर नहीं कि इंसान अपना ‎दिल अल्लाह के क़रीब कर लेता है। यह तो हासिल होता ही है इसके साथ ही उसे इल्म भी हासिल होता है। दुआ में ‎तालीम भी है और पाकीज़गी थी। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎19 जून 2009‎