इस्लामी इंक़ेलाब के वरिष्ठ नेता का चयन करने वाली विशेषज्ञ असेंबली का छठा दौर 21 मई 2024 को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई के पैग़ाम के साथ शुरू हुआ। इस पैग़ाम को उनके दफ़्तर के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मोहम्मदी गुलपायगानी ने विशेषज्ञ असेंबली में पढ़ा। पैग़ाम इस तरह हैः
बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम
सारी तारीफ़ कायनात के मालिक के लिए, दुरूद व सलाम हो हमारे सरदार मोहम्मद मुस्तफ़ा और उनकी पाक नस्ल और उनके चुने हुए साथियों और उन पर जिन्होंने उनका नेकी में अनुसरण किया, क़यामत तक के लिए।
ताक़तवर व तत्वदर्शी अल्लाह का शुक्रिया कि उसने ईरान की अज़ीम कौम को (इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का चयन करने वाली) छठे दौर की विशेषज्ञ असेंबली के गठन का मौक़ा दिया। यह असेंबली इस्लामी गणराज्य सिस्टम के बुनियादी स्तंभों में से एक है जो निर्धारित समय के फ़ासलों से क़ौम के मज़बूत हाथों से मज़बूती पाती है और सिस्टम की सलामती और उसके जारी रहने को सुनिश्चित करती है। इस असेंबली के सम्मानीय चुने हुए सदस्यों को अल्लाह की मशीयत और अवाम के इरादे से यह मौक़ा मिला है कि वो सिस्टम के नेतृत्व की फ़ौलादी ज़ंजीर की मज़बूती के सबसे ऊंचे किरदारों में से एक को अपने ज़िम्मे लें और बहुत उचित है कि वो इस नेमत के लिए अल्लाह के शुक्रगुज़ार और अवाम के क़द्रदान रहें।
विशेषज्ञ असेंबली इस्लामी गणराज्य का प्रतीक है। इस्लामी मानदंडों के मुताबिक़ इस्लामी क्रांति के नेता का चयन इस असेंबली के ज़िम्मे है कि जो ख़ुद अवाम के हाथों चुनी हुयी है। मानदंड इस्लामी हैं और चयन अवाम के हाथों में है। यह इस्लामी गणराज्य की सबसे स्पष्ट निशानी और उसका परिचय है।
इस्लामी सिस्टम में शासन मानवीय और लक्ष्य, पाकीज़ा हैं
लक्ष्य, इंसाफ़, मानवीय शरफ़, ज़मीन को बेहतरीन तरीक़े से आबाद करना, वक़्त का सही और बेहतरीन इस्तेमाल और नतीजे में तौहीद पर आधारित ज़िंदगी और अल्लाह की निकटता के दर्जे को हासिल करना जबकि तरीक़े, सामूहिक अक़्ल और तजुर्बे का उपयोग और सभी लोगों के विचारों, ज़बान, सक्षम बाज़ुओं और ठोस क़दमों से फ़ायदा उठाना है।
यह अक़्लमंदी पर आधारित वह व्यवस्था है जिसका तोहफ़ा क़ुरआन और इस्लाम की मारेफ़त ने अपने पैरोकारों को दिया है और इसमें शरीअत, बुद्धि और ग़ायब तथा ज़ाहिर को एक दूसरे के साथ और एक दूसरे की दिशा में रखा है।
यह बड़ी नीतियों के मैदान में एक हैरतअंगेज़ व आकर्षक तत्व है और धर्म विरोधी या धर्म से भागने वाले सिस्टमों की कड़वी सच्चाइयों पर ग़ौर, इसके आकर्षण को दिन ब दिन बढ़ाता रहेगा।
पूरी दुनिया के उन इंसानों को जिनकी अंतरात्मा जीवित है, हमारी यह आम दावत है कि वो इंसाफ़ या आज़ादी के दावेदार मगर धार्मिक अध्यात्म व तत्व-ज्ञान से ख़ाली सिस्टमों के विफल अनुभवों को देखें, ज़ुल्म, दोहरे व्यवहार और बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को, नैतिकता की तबाही को, परिवारों की बुनियाद के लड़खड़ाने को, औरत के सम्मान और बीवी तथा माँ के मक़ाम व मर्तबे में कमी को, मीडिया में सच्चाई की जानकारी देने पर द्वेषपूर्ण लक्ष्यों के वर्चस्व को और इसी तरह उन मुनाफ़िक़ पाखंडी और ज़ालिम सिस्टमों के प्रभाव वाले इलाक़ों में बहुत सी दूसरी गंभीर मुश्किलों को देखें और उसके बाद इस्लामी शासन के व्यापक, ठोस और मुश्किलों को हल करने वाले उपायों पर ग़ौर करें।
आज ग़ज़ा की त्रासदी, क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार के हाथों बर्बरतापूर्ण जातीय सफ़ाया, हज़ारों निहत्थे बच्चों, औरतों और मर्दों का क़त्ले आम और पश्चिम की कथित लिबरल सरकारों की ओर से इस ख़ूंख़ार भेड़िये को सपोर्ट और मदद, पश्चिम की आज़ादी और मानवाधिकार के मानी, जागरुक अंतरात्मा पर स्पष्ट कर देती है।
आज फिर एक नया मौक़ा है कि इस्लामी गणराज्य सिस्टम के अधिकारी और उसके सभी चाहने वाले इस अज़ीम तत्व की हक़ीक़त को करनी और कथनी से पूरी दुनिया में सच्चाई के इच्छुक लोगों के सामने पेश कर दें।
एक बार फिर अल्लाह से इस सम्मानीय असेंबली की कामयाबियों में इज़ाफ़े की दुआ करता हूं।
मैं मरहूम व अज़ीज़ राष्ट्रपति और तबरीज़ के सम्मानीय इमामे जुमा को श्रद्धांजलि पेश करना और रहम करने वाले अल्लाह से उनके दर्जे में बुलंदी की दुआ करना ज़रूरी समझता हूं जो इस असेंबली के सदस्य थे।
आप सब पर सलाम और अल्लाह की रहमत व बरकत हो
सैयद अली ख़ामेनेई
20/05/2024